उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 25 से 50 लाख रुपये तक में वोट खरीदने के आरोप लग रहे हैं. कुछ लोग नोटों की गड्डियां लेकर पुलिस के पास पहुंचे और बताया कि उन्हें किसी माफिया ने वोट लेने के लिए जबरदस्ती नोट दिए हैं. दूसरी तरफ 21 जिलों में बीजेपी उम्मीदवार निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए हैं. वे उन जिलों में भी बन गए हैं, जहां बीजेपी को सिर्फ दो सीटें मिली हैं और उन जिलों में भी जहां उसे सिर्फ 12 फीसदी वोट मिले हैं.
यूपी पंचायत चुनाव में माहौल बहुत गरम है. आरोप है कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने वाले जिला पंचायत सदस्यों का एक-एक वोट 25 से 50 लाख रुपये में खरीदा जा रहा है और ब्लॉक प्रमुख चुनने वाले क्षेत्र पंचायत सदस्यों का वोट 25 हजार से डेढ़ लाख रुपये में. घूस के नोटों की गड्डियां लेकर दर्जनभर लोग गाजीपुर में पुलिस कप्तान के पास पहुंच गए. कहते हैं कि एक उम्मीदवार ने इन्हें मिठाई भिजवाई. जब डिब्बा खोला तो नोटों की गड्डियां निकलीं.
ब्लॉक प्रमुख के एक वोटर तो सो रहे थे. सोकर उठे तो देखा कि सैंटा क्लॉज़ की तरह कोई उनके सिराहने मिठाई के डिब्बे में लाख-लाख की गड्डी रख गया है. चित्रकूट के मणिकपुर में तो बीडीसी सदस्य गिरिजा देवी पुलिस को लिखा गया खत मीडिया को दिखा रही हैं. एक ब्लॉक प्रमुख उम्मीदवार ने दावा किया है कि उसने उनका वोट खरीदने के लिए उन्हें पांच लाख रुपये भेज दिए हैं लेकिन गिरिजा देवी का कहना है कि अभी तक उन्हें कुछ नहीं मिला इसलिए उन्हें अपनी मर्जी से वोट देने का अधिकार मिले.
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उन्होंने कहा, 'वो कह रहे हैं कि तुमको पांच हजार, पांच लाख दिया है. उन्होंने हमको एक रुपया नहीं दिया. वो जबरदस्ती आरोप लगा रहे हैं. हम चाहते हैं कि हमारी जहां इच्छा होगी, वहां वोट देंगे.'
अब तक 22 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुनाव जीत गए हैं, इनमें से एक समाजवादी पार्टी और 21 बीजेपी से हैं. तमाम जिलों में बहुत कम सीटें मिलने के बावजूद बीजेपी निर्विरोध जीत गई. बीजेपी को गोरखपुर में 68 में से 20, गोंडा में 65 में से 17, वाराणसी में 40 में से 8, बुलंदशहर में 52 में से 10, आगरा में 51 में 18, बहराइच में 63 में 14, शाहजहांपुर में 47 में 9 और सहारनपुर में 49 में 14 सीटें मिली हैं, लेकिन ये सारी सीटें बीजेपी निर्विरोध जीत गई.
गोरखपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष के नामांकन के दिन ये नजारा था. सपा का उम्मीदवार गायब हो गया. आरोप है कि जिसे फिर उम्मीदवार बनाया था, उसे नामांकन नहीं करने दिया गया. गोरखपुर में सपा के जिलाध्यक्ष नगीना प्रसाद साहनी ने कहा कि गोरखपुर जिला प्रशासन पूरी तरह से बीजेपी का एजेंट होकर काम कर रहा है. उन लोगों को नॉमिनेशन तक नहीं करने दिया गया. उनको तीन घंटे तक गेट पर रोकने का काम किया गया.
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