
उत्तर प्रदेश का गोरखपुर... एक ऐसा शहर, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है. लेकिन बुधवार की शाम, इस शहर ने एक ऐसी खौफ़नाक वारदात देखी, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया. एक ऐसी घटना, जहां रिश्तों का कत्ल कर दिया और एक मासूम की आंखों के सामने, उसका संसार उजड़ गया. यह कहानी है ममता चौहान की है. एक मां... एक पत्नी... जिसकी ज़िंदगी ख़त्म हुई, उस शख्स के हाथों, जिससे उसने कभी प्यार किया था.
3 सितंबर की शाम... शहर अपनी सामान्य रफ़्तार से चल रहा था. लेकिन शाहपुर थानाक्षेत्र के जेल रोड बाईपास पर, राधिका स्टूडियो के ठीक बाहर, कुछ ऐसा होने वाला था, जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी. यह जगह कुछ ही पलों में एक ख़ूनी वारदात की गवाह बनने वाली थी, जिसने सबको सन्न कर दिया.
बेटी ने पुलिस को पूरी कहानी बताई. ममता चौहान और विश्वकर्मा चौहान की साल 2008 में शादी हुई थी, 15 साल तक सब कुछ ठीक था. एक प्यारी सी बेटी भी थी. लेकिन पिछले दो साल से उनके रिश्ते में दरार आनी शुरू हो गई थी. यह दरार इतनी गहरी हो गई कि ममता अपनी बेटी के साथ विश्वकर्मा से अलग, किराए के मकान में रहने लगी. उसने एक प्राइवेट कंपनी में काम करना शुरू किया, अपनी बेटी की हर ख़्वाहिश पूरी कर रही थी, नए सिरे से ज़िंदगी जीने की कोशिश कर रही थी.
दो साल पहले, विश्वकर्मा ने जिम जॉइन किया, बॉडी बनाने के लिए. लेकिन वहां उसका ध्यान बॉडी बनाने से ज़्यादा, दूसरी लड़कियों से बात करने में लगने लगा. फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर वो अपनी तस्वीरें डालता, लड़कियों से चैट करता. जब ममता ने सवाल उठाया, तो शुरू हुई मारपीट. झगड़े इतने बढ़े कि ममता भी जिम जॉइन करने लगी, अपनी रील्स बनाने लगी, शायद अपनी पहचान तलाशने लगी. यहीं से उनके रिश्ते में नफ़रत का ज़हर घुलना शुरू हुआ. यह विवाद इतना बढ़ा कि ममता को अलग रहना पड़ा, और कोर्ट में तलाक का मुकदमा भी चल रहा था.
पुलिस की पूछताछ में विश्वकर्मा ने जो बताया, वो और भी चौंकाने वाला था. उनका कहना था कि तलाक की बात लगभग तय हो गई थी. लेकिन ममता ने दहेज का सामान वापस मांगा, जो उसे मिल भी गया. पर इसके बाद ममता कोर्ट में गवाही देने नहीं जाती थी, पैसों का दबाव बनाती थी, अपने बच्चे के ख़र्च के लिए. विश्वकर्मा के अनुसार, वह इन सब से इतना परेशान हो गया कि उसने ज़मीन बेचकर दो महीने पहले एक पिस्टल खरीदी... और फिर उसी से ममता को गोली मारी. यह एक पूर्व-नियोजित क़त्ल था, जो गुस्से और हताशा की आग में पका था.
पेट में दो गोलियां दाग दीं
उस रात, ममता राधिका स्टूडियो पर अपनी डेढ़ महीने पहले खिंचवाई हुई तस्वीरें लेने आई थी. स्टूडियो से बाहर निकलते ही, विश्वकर्मा वहां पहुंच गया. दोनों में बहस शुरू हुई, जो देखते ही देखते नोकझोंक में बदल गई. फिर पलक झपकते ही, विश्वकर्मा ने तमंचा निकालकर ममता के सीने और पेट में दो गोलियां दाग दीं. ममता तड़पती रही, स्टूडियो के बाहर बेसुध पड़ी रही. हैरान करने वाली बात यह थी कि विश्वकर्मा आधे घंटे तक वहीं घूमता रहा, जबकि ममता की तड़पने की सारी तस्वीर CCTV में क़ैद हो रही थी.
आनन-फानन में पुलिस को सूचना दी गई, ममता को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. विश्वकर्मा को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और वह अब जेल में है. लेकिन इस घटना ने एक बार फिर रिश्तों में बढ़ते ज़हर, और हिंसा की उस क्रूरता को सामने ला दिया है, जहां एक मासूम बेटी ने अपनी आंखों के सामने अपनी मां को खो दिया, और अपने पिता को एक हत्यारे के रूप में देखा. यह ख़बर हमें मजबूर करती है यह सोचने पर कि कैसे मामूली विवाद इतना बड़ा रूप ले सकते हैं.
अबरार अहमद की रिपोर्ट
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