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This Article is From Mar 20, 2025

सलवार का नाड़ा तोड़ना... ये बलात्‍कार का प्रयास नहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी, पढ़ें

कासगंज ट्रायल कोर्ट के निर्देश पर पवन और आकाश को शुरू में बलात्कार के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और पॉक्सो एक्‍ट की धारा 18 के तहत मुकदमा चलाना था. हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले का रुख ही बदल गया.

सलवार का नाड़ा तोड़ना... ये बलात्‍कार का प्रयास नहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी, पढ़ें
पायजामा का नाड़ा तोड़ना बलात्कार का प्रयास नहीं: इलाहाबाद उच्च न्यायालय
इलाहाबाद:

किसी महिला के साथ किस हद तक शारीरिक शोषण बलात्‍कार की श्रेणी में आता है? इस पर अदालतें कई अलग-अलग फैसलों में स्थिति साफ करती रही हैं. इस बार इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि पीड़िता की चेस्‍ट पकड़ना और उसकी सलवार का नाड़ा तोड़ना बलात्कार या बलात्कार का प्रयास नहीं माना जाएगा, बल्कि गंभीर यौन उत्पीड़न माना जाएगा. पवन और आकाश पर उत्तर प्रदेश के कासगंज में 11 वर्षीय पीड़िता की चेस्‍ट पकड़ने, उसके पायजामा का नाड़ा तोड़ने और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करने का आरोप है. राहगीरों के हस्तक्षेप के बाद आरोपी मौके से भाग गए. 2021 की घटना तब हुई, जब आरोपी ने बच्ची को लिफ्ट देने की पेशकश की थी.

'पॉक्सो एक्‍ट की धारा 18 नहीं... 

कासगंज ट्रायल कोर्ट के निर्देश पर पवन और आकाश को शुरू में बलात्कार के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और पॉक्सो एक्‍ट की धारा 18 के तहत मुकदमा चलाना था. हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने निर्देश दिया कि आरोपियों पर धारा 354-बी आईपीसी (निर्वस्‍त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के साथ-साथ पॉक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत मुकदमा चलाया जाए. पीठ ने कहा, 'आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य शायद ही मामले में बलात्कार के प्रयास का अपराध बनाते हैं. बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए अभियोजन पक्ष को यह स्थापित करना होगा कि यह तैयारी के चरण से आगे निकल गया था. तैयारी और अपराध करने के वास्तविक प्रयास के बीच का अंतर मुख्य रूप से दृढ़ संकल्प की अधिक डिग्री में होता है.'

'कपड़े भी नहीं उतरे...'

प्रतिवादियों में से एक के वकील ने यह भी तर्क दिया कि आरोप तय करने के चरण में, ट्रायल कोर्ट को जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूतों और सामग्री को सावधानीपूर्वक छांटना और तौलना नहीं चाहिए. उस स्तर पर, अभियुक्त व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए केवल प्रथम दृष्टया मामला ही पाया जाना है. 
अदालत ने कहा, 'गवाहों ने यह भी नहीं कहा कि आरोपी के इस कृत्य के कारण पीड़िता निर्वस्‍त्र हो गई या उसके कपड़े उतर गए. ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आरोपी ने पीड़िता के साथ यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की.' इसके बाद न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला कि रिकॉर्ड पर कोई भी बात यह अनुमान नहीं लगाती कि आरोपी बलात्कार करने के इरादे से ही लड़की को लेकर गया था. 

गवाहों ने क्‍या कहा?

अदालत ने अपने आदेश में कहा, 'आकाश के खिलाफ आरोप यह है कि उसने पीड़िता को पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की और उसकी पजामी का नाड़ा तोड़ दिया. गवाहों ने यह भी नहीं कहा कि आरोपी के इस कृत्य के कारण पीड़िता निर्वस्‍त्र हो गई या उसके कपड़े उतर गए. ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आरोपी ने पीड़िता के साथ यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की.' तीसरे आरोपी अशोक, जो पवन का पिता है, उसके खिलाफ आरोप यह है कि जब शिकायतकर्ता घटना के बाद उसके पास गई, तो उसने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसे धमकाया. इस प्रकार, अशोक को भारतीय दंड संहिता की धारा 504 और 506 के तहत तलब किया गया है.

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