 
                                            नोटबंदी के बाद एटीएम के बाहर लगी कतार (फाइल फोटो)
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                अलीगढ़: 
                                        उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में पुराने करेंसी नोट नहीं बदल पाने से क्षुब्ध होकर खुद को आग लगाने वाली एक महिला मजदूर की नई दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई. वह दिहाड़ी मजदूरी करके अपना जीवन यापन करती थी.
परिवार के सूत्रों के मुताबिक घर में भुखमरी की स्थिति के बीच बैंक से 500 रुपये के छह पुराने नोट नहीं बदल पाने से क्षुब्ध होकर गत 20 नवम्बर को खुद को आग लगाने वाली रजिया (45) की सोमवार दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गई.
जिले के दिल्ली गेट इलाके के शाहजमाल क्षेत्र की रहने वाली रजिया का सबसे बड़ा बेटा अयान बमुश्किल नौ साल का है और उसका पति अकबर भी मजदूरी करता है.
रजिया के परिजन परिवार की आर्थिक बदहाली के मद्देनजर पर्याप्त मुआवजे की मांग कर रहे हैं. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जिले के वरिष्ठ अधिकारियों तथा सपा के जिलाध्यक्ष बाबा फरीद द्वारा प्रभावित परिवार को आर्थिक मदद का आश्वासन दिये जाने के बाद ही रजिया को सुपुर्द-ए-खाक किया जा सका था.
गत 20 नवम्बर को खुद को आग लगाने वाली रजिया ने जिला अस्पताल में संवाददाताओं को बताया था कि उसके चारों बच्चे पिछले तीन दिन से भूखे हैं और उसे किसी भी बैंक से रुपये बदलकर नहीं मिल पा रहे हैं. उससे ये हालात देखे नहीं जा रहे हैं, इसलिये उसने यह कदम उठाया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
                                                                        
                                    
                                परिवार के सूत्रों के मुताबिक घर में भुखमरी की स्थिति के बीच बैंक से 500 रुपये के छह पुराने नोट नहीं बदल पाने से क्षुब्ध होकर गत 20 नवम्बर को खुद को आग लगाने वाली रजिया (45) की सोमवार दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गई.
जिले के दिल्ली गेट इलाके के शाहजमाल क्षेत्र की रहने वाली रजिया का सबसे बड़ा बेटा अयान बमुश्किल नौ साल का है और उसका पति अकबर भी मजदूरी करता है.
रजिया के परिजन परिवार की आर्थिक बदहाली के मद्देनजर पर्याप्त मुआवजे की मांग कर रहे हैं. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जिले के वरिष्ठ अधिकारियों तथा सपा के जिलाध्यक्ष बाबा फरीद द्वारा प्रभावित परिवार को आर्थिक मदद का आश्वासन दिये जाने के बाद ही रजिया को सुपुर्द-ए-खाक किया जा सका था.
गत 20 नवम्बर को खुद को आग लगाने वाली रजिया ने जिला अस्पताल में संवाददाताओं को बताया था कि उसके चारों बच्चे पिछले तीन दिन से भूखे हैं और उसे किसी भी बैंक से रुपये बदलकर नहीं मिल पा रहे हैं. उससे ये हालात देखे नहीं जा रहे हैं, इसलिये उसने यह कदम उठाया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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