केंद्र सरकार ने हाई प्रीमियम वाली यूनिट लिंक्ड पॉलिसी यानी यूलिप पर टैक्स के दायरे में लाने के ऐलान को लागू कर दिया है. हाई प्रीमियम वाली यूनिट लिंक्ड बीमा पॉलिसी (यूलिप) से मिली राशि को कर के दायरे में लाया गया है. इसका उद्देश्य इसे म्यूचुअल फंड के समरूप बनाना है. आयकर विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी.केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 2.5 लाख रुपये से अधिक के सालाना प्रीमियम वाले यूलिप पर कैपिटल गेन की गणना के तौरतरीकों को लेकर नियमों को अधिसूचित कर दिया है.
आयकर विभाग के सूत्रों ने कहा कि पिछले केंद्रीय बजट में यूलिप के संबंध में की गयी घोषणा को प्रभावी बनाने के लिए सीबीडीटी ने नियमों और दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया है.यह कोई नया टैक्स नहीं हैं, बल्कि केवल विशिष्ट मामलों में यूलिप को भुनाने के लिए पूंजीगत लाभ की गणना के तरीके को स्पष्ट करता है. आयकर विभाग ने कहा कि वर्ष 2021 के वित्त अधिनियम के जरिये आयकर अधिनियम की धारा 10(10डी) में संशोधन किया गया.
1 फरवरी, 2021 या उसके बाद जारी उस यूलिप के तहत प्राप्त राशि को छूट नहीं दी जाएगी जिसमें किसी भी वर्ष के लिए देय वार्षिक प्रीमियम 2.50 लाख रुपये से अधिक है. यह प्रावधान म्यूचुअल फंड निवेश और यूलिप निवेश के बीच समान अवसर उपलब्ध करने के लिये लाया गया है. यह कदम तब उठाया गया जब यह पाया गया कि यूलिप को बीमा की तुलना में निवेश उद्देश्यों के लिए निवेशक अधिक पसंद कर रहे हैं.
म्यूचुअल फंड के मामले में इसको भुनाने पर पूंजीगत लाभ कर लगाया जाता है. हालांकि, यूलिप के मामले में ऐसा नहीं था. हालांकि, प्रीमियम का बीमा हिस्सा बहुत कम था और प्रीमियम का निवेश हिस्सा अधिक था. 2021 के वित्त अधिनियम में इस संशोधन ने तय किया कि म्यूचुअल फंड यूनिट और यूलिप दोनों कर के मामले में समान हों.
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