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This Article is From Nov 16, 2023

2027 से सबको मिलेगा ट्रेन का कंफर्म टिकट, रेलवे के बेड़े में जुड़ेंगी 3 हजार नई ट्रेन - सूत्र

अभी रोज़ाना 10748 ट्रेनें चल रही हैं. इसे 13000 ट्रेन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. रेलवे हर साल ट्रैक को बढ़ा रही है. अभी 4 से 5 हजार किलोमीटर ट्रैक का नया जाल बनाया गया है. अगले 3- 4 साल में 3000 और नई ट्रेनों को ट्रैक पर उतारने की योजना है.

2027 से सबको मिलेगा ट्रेन का कंफर्म टिकट, रेलवे के बेड़े में जुड़ेंगी 3 हजार नई ट्रेन - सूत्र
रेलवे हर साल ट्रैक को बढ़ा रही है.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
अभी सालाना 800 करोड़ मुसाफिर ट्रेन में करते हैं यात्रा
3- 4 साल में 3000 और नई ट्रेनों को ट्रैक पर उतारने की योजना
सालाना 225 ट्रेन LHB कोच वाले चलाए जा रहे
नई दिल्ली:

फेस्टिवल सीजन में ट्रेनों में जबरदस्त भीड़ होती है. खासकर दिवाली और छठ पर्व (Diwali-Chhat Special Trains) के मौके पर लोग अपने घरों को जाते हैं. ऐसे में ट्रेन (Train Confirm Ticket)में कंफर्म टिकट मिलना करीब-करीब नामुमकिन हो जाता है. इस वजह से कई लोग काउंटर से वेटिंग टिकट लेकर ट्रेन में खड़े होकर यात्रा करने को मजबूर होते हैं. भारतीय रेलवे (Indian Railway) अब इस समस्या को खत्म करने जा रहा है. रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, अब से चार साल के अंदर यानी 2027 तक सभी यात्रियों को ट्रेन का कंफर्म टिकट मिलेगा. सूत्रों के मुताबिक, भारतीय रेलवे के बेड़े में 3 हजार नई ट्रेनें जोड़ी जाएंगी.

रेल मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, अभी रोज़ाना 10748  ट्रेनें चल रही हैं. इसे 13000 ट्रेन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. रेलवे हर साल ट्रैक को बढ़ा रही है. अभी 4 से 5 हजार किलोमीटर ट्रैक का नया जाल बनाया गया है. अगले 3- 4 साल में 3000 और नई ट्रेनों को ट्रैक पर उतारने की योजना है. 

ट्रैवल टाइम कम करने पर चल रहा काम
रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक, अभी सालाना 800 करोड़ मुसाफिर ट्रेन में यात्रा करते हैं. इस संख्या को भी 1000 करोड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य है. सूत्रों के मुताबिक, ट्रैवल टाइम कम करने को लेकर भी काम चल रहा है. इसके साथ ही ट्रैक बढ़ाना, स्पीड बढ़ाना और एक्सीलरेशन और डेसिलरेशन को बढ़ाने पर भी काम किया जाएगा, ताकि ट्रेन रुकने और रफ्तार पकड़ने में पहले के मुकाबले कम वक्त ले.

पुश-पुल टेकनीक से मिलेगी मदद
रेलवे की एक स्टडी के मुताबिक, दिल्ली से कोलकाता जाने में 2 घंटे 20 मिनट का टाइम बच सकता है. बशर्ते अगर एक्सीलरेशन और डेसिलरेशन को बढ़ा दिया जाए. पुश-पुल टेकनीक से एक्सीलरेशन और डेसिलरेशन बढ़ाने से अभी के ट्रेनों से 2 गुना ज़्यादा मदद मिलेगी. 

रेलवे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि फिलहाल करीब 225 ट्रेन सालाना LHB कोच वाले बनाए जा रहे हैं, जिसमें पुश पुल टेकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. वहीं, 'वंदे भारत' ट्रेनों में एक्सीलरेशन और डेसिलरेशन की क्षमता अभी चल रही ट्रेनों से 4 गुना ज्यादा है.

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