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ITR processing के पहले या बाद टैक्सपेयर्स को मिल सकते हैं ये 8 तरह के नोटिस, क्या आपको मिला कोई?

टैक्सपेयर्स को कई तरह के इनकम टैक्स नोटिस मिल सकते हैं, लेकिन उनमें से सभी नोटिस इंडिविजूअल पर लागू नहीं होते हैं.

ITR processing के पहले या बाद टैक्सपेयर्स को मिल सकते हैं ये 8 तरह के नोटिस, क्या आपको मिला कोई?
Income Tax Notice: इनकम टैक्स नोटिस भेजने के पीछे की वजह को समझना जरूरी है.
नई दिल्ली:

Income tax notices: अगर फाइल किए गए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में कोई गलती  पाई जाती है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स को नोटिस भेजता है. गलती और नोटिस के बारे में आपकी कार्रवाई के आधार पर, टैक्स डिपार्टमेंट आपके खिलाफ कार्यवाही शुरू करता है. इसलिए, उन परिस्थितियों को समझना जरूरी है जिनके तहत आपको इनकम टैक्स नोटिस भेजा जा सकता है और नोटिस भेजने के पीछे की वजह को समझना भी उतना ही जरूरी है. इससे आपको ऐसा नोटिस मिलने पर उनका जवाब देने में मदद मिलेगी.

हालांकि टैक्सपेयर्स को कई तरह के इनकम टैक्स नोटिस मिल सकते हैं, लेकिन उनमें से सभी नोटिस इंडिविजुअल पर लागू नहीं होते हैं. यहां कुछ टैक्स नोटिस के बारे में बताया जा रहा है, जो एक सैलरीड व्यक्ति को मिल सकते हैं यदि उनके ITR में गलतियां गलतियां पाई जाती हैं:

1. सेक्शन 143(1)(a) टैक्स नोटिस : Section 143(1)(a) tax notice

इस टैक्स नोटिस को इंटिमेशन नोटिस (Intimation Under Section 143(1) of Income Tax Act )कहा जाता है और यह तब भेजा जाता है जब टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर के जमा किए गए ITR को सफलतापूर्वक प्रोसेस कर लिया हो. यह इंटिमेशन नोटिस यह बताएगा कि ITR में सबमिट की गई कैलकुलेशन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा स्वीकार की गई हैं या नहीं. अगर रिटर्न में आपकी फाइल की गई कैलकुलेशन और टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा की गई कैलकुलेशन के बीच कोई अंतर है, तो इसका कारण भी इंटिमेशन नोटिस में बताया जाएगा.

143(1) मिसमैच इंटिमेशन नोटिस मिलने के पीछे संभावित कारण:  ऐसे इंटिमेशन सेक्शन 139(1)/139(5) के तहत फाइल ITR के साथ-साथ सेक्शन 142 के तहत जारी नोटिस के जवाब में फाइल किए ITR के मामले में जारी किये जा सकते हैं. (1). टैक्सपेयर्स द्वारा फाइल ITR और सेक्शन 143(1) के मुताबिक कैलकुलेट की गई इनकम के बीच अंतर, अर्थमेटिकल एरर (arithmetical errors), किसी भी गलत क्लेम, सेक्शन  234A/B/C के तहत ब्याज की गलत कैलकुलेशन, फॉर्म 26AS से तुलना करने पर टैक्स रिटर्न डिटेल का मैच न होना, आदि वजहों से किसी टैक्सपेयर को मिसमैच इंटिमेशन नोटिस मिल सकता है.

ऐसे नोटिस का जवाब देने की समय सीमा: आपको केवल तभी कार्रवाई करने की आवश्यकता है जब आपके ITR कैलकुलेशन और टैक्स डिपार्टमेंट की कैलकुलेशन के बीच कोई अंतर हो. यदि इंटिमेशन नोटिस रिफंड की वजह से जारी किया गया है या आपके ITR कैलकुलेशन और टैक्स डिपार्टमेंट के बीच कोई मिसमैच नहीं है, तो आपको इंटिमेशन का जवाब देने की जरूरत नहीं है. टैक्सपेयर्स को सेक्शन 143(1)(a) के तहत इंटिमेशन मिलने पर उसके जारी होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर अपना जवाब फाइल करना होता है.
 

2. सेक्शन 139 (9) डिफेक्टिव ITR नोटिस (Defective Notice Under Section 139(9))

आपने जो ITR फाइल किया है, उसमें दी गई अधूरी जानकारी या गलत जानकारी की वजह से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको सेक्शन 139 (9) के तहत यह नोटिस भेज सकता है. ITR को कई वजहों से दोषपूर्ण यानी डिफेक्टिव माना जा सकता है. उदाहरण के लिए जैसे ITR फाइल करने के लिए गलत आईटीआर फॉर्म का इस्तेमाल करना.

डिफेक्टिव ITR नोटिस (Defective Return Notice) मिलने के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं: ITR में HRA क्लेम करना लेकिन सैलरी के ब्रेकअप में कोई HRA कंपोनेंट का न होना, ITR फाइल करते समय इनकम पर TDS  क्लेम करना लेकिन संबंधित इनकम की सूचना न देना. उदाहरण के तौर पर, ITR में FD के इंटरेस्ट को डिक्लेयर न करना, लेकिन ऐसी FD पर काटे गए TDS को क्लेम करना.

डिफेक्टिव ITR नोटिस कब तक जारी किया जा सकता है?

यह नोटिस उस फाइनेंशियल ईयर के अंत से नौ महीने के भीतर जारी किया जा सकता है जिसमें ITR फाइल किया गया है. जैसे फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के लिए फाइल किए गए ITR के लिए, डिफेक्टिव ITR नोटिस 31 दिसंबर, 2025 को या उससे पहले जारी किया जा सकता है.
डिफेक्टिव ITR नोटिस का जवाब देने की समय सीमा: "यदि आपका रिटर्न डिफेक्टिव पाया जाता है, तो आपको नोटिस मिलने की तारीख से 15 दिन का समय मिलेगा या आपके फाइल रिटर्न में डिफेक्ट को ठीक करने के लिए नोटिस में दी गई समय सीमा मिलेगी. हालांकि, आप उसके एक्सटेंशन के लिए रिक्वेस्ट कर सकते हैं.

3. सेक्शन 142(1) टैक्स नोटिस (Notice under Section 148  of Income Tax Act)

इस टैक्स नोटिस को असेसमेंट नोटिस (Notice Under Assessment or Reassessment)से पहले पूछताछ (inquiry) के तौर पर भी जाना जाता है. यदि सेक्शन 139(1) के तहत कोई ITR फाइल नहीं किया गया है, तो सेक्शन 142(1) के तहत उस व्यक्ति को ITR फाइल करने के लिए नोटिस जारी किया जा सकता है.

इस नोटिस के पीछे के संभावित कारण: इस नोटिस को जारी करने के पीछे वजह यह है कि टैक्स डिपार्टमेंट इस बारे में स्पष्टीकरण चाहता है कि आपने बुनियादी छूट सीमा से ऊपर इनकम के सबूत होने के बावजूद ITR क्यों फाइल नहीं किया. आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के द्वारा पूछे गए सभी सवालों का जवाब देना होगा और अपने जमा किए गए ITR में किए गए दावों को सपोर्ट करने के लिए जरूरी डिटेल और डॉक्यूमेंट प्रोवाइड करने होंगे.ऐसे नोटिस को जारी करने की कोई समय सीमा (time limit) नहीं है.

नोटिस का जवाब देने की समय सीमा: टैक्सपेयर्स को नोटिस में दी गई समय सीमा के भीतर नोटिस का जवाब देना होगा जो आम तौर पर 15 दिन की होती है.

4. Section 143 (2): इस नोटिस को स्क्रूटनी असेसमेंट नोटिस (scrutiny assessment notice) के तौर पर जाना जाता है. यह नोटिस तब भेजा जाता है जब टैक्स डिपार्टमेंट जमा किए ITR का डिटेल असेसमेंट करना चाहता है और आपके द्वारा किए गए सभी दावों (आय और कटौती) की वास्तविकता की पुष्टि करना चाहता है.

इस नोटिस के पीछे के संभावित कारण: सेक्शन 143(3) के तहत स्क्रूटनी असेसमेंट करने के मकसद से टैक्सपेयर को सेक्शन 143(2) के तहत नोटिस जारी किया जा सकता है. स्क्रूटनी असेसमेंट एक डिटेल असेसमेंट है जो टैक्सपेयर द्वारा प्रस्तुत ITR में किए गए विभिन्न दावों, कटौतियों आदि की वास्तविकता की पुष्टि करने के लिए किया जाता है.

जवाब देने की समय सीमा: आमतौर पर ऐसे नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है, हालांकि, ऐसे नोटिस का जवाब देने की समय सीमा नोटिस में ही दी गई होती है. यह नोटिस मिलने पर आपको आवश्यक डॉक्यूमेंट अपलोड करके अपना जवाब सब्मिट करना है.

5. सेक्शन 148

Section 148: जब कोई ऐसी इनकम (income) होती है जो मूल्यांकन (assessment) से बच जाती है, तब यह नोटिस भेजा जाता है . यह नोटिस तब जारी किया जाता है जब मूल्यांकन अधिकारी (assessing officer - AO) के पास कोई ऐसा सबूत होता है जो यह बताता है कि टैक्सपेयर की आय पिछले साल मूल्यांकन से बच गई है. टैक्स डिपार्टमेंट 148A (b) के तहत कारण बताओ नोटिस जारी करने से पहले सेक्शन 148 के तहत नोटिस जारी करता है ताकि पूछा जा सके कि इस मामले को दोबारा असेसमेंट (show-cause) के लिए क्यों नहीं चुना जाना चाहिए.

टैक्सपेयर से रिस्पॉन्स मिलने के बाद या यदि टैक्सपेयर से कोई रिस्पांस नहीं मिलता है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सेक्शन 148A(d)  के तहत अपना आदेश पारित करता है, यह बताते हुए कि यह रीअसेसमेंट के लिए उपयुक्त मामला है या नहीं.

ऐसा नोटिस कब तक जारी किया जा सकता है: सेक्शन 148 के तहत नोटिस  संबंधित असेसमेंट ईयर की समाप्ति से 3 साल 3 महीने के भीतर जारी किया जा सकता है, यदि असेसमेंट से बच गई इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है हालांकि, यदि असेसमेंट से बच गई इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है, तो संबंधित असेसमेंट ईयर (relevant assessment year) के लिए 5 साल 3 महीने तक दोबारा असेसमेंट (reassessment) किया जा सकता है.

जवाब देने की समय सीमा: टैक्सपेयर को नोटिस में दी गई समय सीमा के भीतर नोटिस का जवाब देना होता है जो आम तौर पर 30 दिन होती है.

6. सेक्शन 245: इस सेक्शन के तहत, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पिछले साल के किसी भी बकाया टैक्स के लिए मौजूदा वर्ष से इनकम टैक्स रिफंड की भरपाई कर सकता है. यह एडजस्टमेंट सिर्फ तभी किया जाता है जब चालू वर्ष में इनकम टैक्स बकाया या टैक्स रिफंड बकाया हो.

इस नोटिस के पीछे संभावित कारण: यदि आपके पास पिछले साल का कोई बकाया टैक्स है जिसका आपने सेटलमेंट या पेमेंट नहीं किया है, तो आपको यह नोटिस भेजा जा सकता है.
यह नोटिस कब जारी किया जा सकता है: इस नोटिस को भेजने की कोई समय सीमा (time limit) नहीं है.

जवाब देने के लिए समय सीमा: इंटीमेशन नोटिस में समय सीमा दी गई होती है, जो आम तौर पर 30 दिन होती है. यदि आपको इस नोटिस पर कोई आपत्ति है, या आपने पहले ही बकाया टैक्स राशि का भुगतान कर दिया है तो अपने जवाब में टैक्स पेमेंट का सबूत भी दें.

इसके अलावा कुछ दूसरे नोटिस जो टैक्सपेयर्स को मिल सकते हैं उसमें शामिल हैं...

Section 154: यदि इनकम टैक्स अथॉरिटी द्वारा ITR को स्वीकार करने के बाद रिटर्न में किए गए दावों में कोई गलती पाई जाती है, तो आयकर प्राधिकारी इन गलतियों को सुधारने के लिए सेक्शन 154 के तहत नोटिस जारी कर सकते हैं.

Section 263: अगर आयकर आयुक्त (Commissioner of Income-tax - CIT) को पता चलता है कि उसके अधीनस्थ अधिकारी ने कोई आदेश पारित किया है जो त्रुटिपूर्ण है, और सरकार के हित के लिए हानिकारक है, तो जिस साल त्रुटिपूर्ण आदेश पारित किया गया था, उसके अंत से 12 महीने के भीतर, CIT अपने अधीनस्थ अधिकारी द्वारा पारित आदेश को संशोधित करने के लिए सेक्शन 263 के तहत नोटिस जारी कर सकता है.

Section 131 (1A): अगर प्रिंसिपल डायरेक्टर जनरल (Principal director general), डायरेक्टर जनरल (Director general), प्रिंसिपल डायरेक्टर (Principal director), डायरेक्टर (Director), असिस्टेंट डायरेक्टर (Assistant director), डिप्टी डायरेक्टर (Deputy director) आदि के पास संदेह करने का कोई कारण है कि इनकम छुपाई गई है, तो सेक्शन 131 (1A) के तहत नोटिस जारी किया जाता है. टैक्सपेयर को नोटिस में दी समय सीमा के भीतर अपना जवाब देना होता जो आम तौर पर 30 दिन की होती है.
 

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