आयकर नियमों के अनुसार, ड्यू डेट के बाद, यानी विलंब से ITR फाइल करने वाले हर शख्स को 5,000 रुपये का जुर्माना अदा करना होता है, लेकिन जिन लोगों की कुल आय बेसिक छूट सीमा से कम रहती है, उन पर यह जुर्माना अंतिम तिथि के बाद इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने पर भी नहीं लगाया जाता.
आयकर के नए रिजीम (regime) के तहत व्यक्तिगत बेसिक छूट सीमा 2,50,000 रुपये है, जबकि पुराने रिजीम के अनुसार बेसिक छूट सीमा आयु के हिसाब से बदल जाया करती है. पुराने टैक्स रिजीम के अनुसार, 60 वर्ष की आयु तक वाले व्यक्तियों के लिए बेसिक छूट सीमा 2,50,000 रुपये ही है, लेकिन 60 से 80 वर्ष तक की आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेसिक छूट सीमा 3,00,000 रुपये है. 80 वर्ष से अधिक आयु वाले सुपर सीनियर नागरिकों के लिए यह बेसिक छूट सीमा 5,00,000 रुपये रखी गई है.
बहरहाल, ध्यान रहे कि यदि किसी शख्स की आय वार्षिक कर छूट सीमा के दायरे में आती है, फिर भी उन्हें कुछ विशेष हालात में ITR दाखिल करना अनिवार्य होगा.
यदि करदाता ने किसी बैंक या कोऑपरेटिव बैंक के एक या एक से अधिक करेंट खाते (current bank account) में एक वित्तवर्ष के दौरान 1,00,00,000 रुपये से अधिक की राशि जमा कराई है, तो ITR दाखिल करना अनिवार्य है.
इसी तरह, किसी व्यक्ति ने अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए विदेश यात्रा करने के लिए 2,00,000 रुपये से अधिक खर्च किए हैं, तो उसे भी आईटीआर फाइल करना अनिवार्य होगा.
इनके अलावा, जिस किसी व्यक्ति ने एक वर्ष के भीतर 1,00,000 रुपये से अधिक बिजली का बिल भरा है, तो उसे भी इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होगा.
जिन व्यक्तियों के लिए उपर्लिखित शर्तों के तहत ITR दाखिल करना अनिवार्य है, उन्हें अंतिम तिथि से पहले ही ITR फाइल कर देनी चाहिए, क्योंकि इन लोगों को डेडलाइन मिस करने के लिए जुर्माने में छूट नहीं दी जाती है.
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