लगभग हर नौकरीपेशा शख्स के लिए किसी भी वित्तवर्ष की पहली तिमाही खत्म होते ही इनकम टैक्स रिटर्न या Income Tax Return (ITR FIling) फ़ाइल करना या साल के शुरू होते ही अपने कार्यालय या ऑफ़िस में पूरे साल की जाने वाली संभावित बचत की घोषणा करना झंझट-सरीखा होता है, क्योंकि आम आदमी को इन बातों और नियमों की बारीक जानकारी होती ही नहीं. वैसे, सच्चाई यह है कि अगर आप सही समय पर की जाने वाली बचत की सटीक और सही घोषणा कर सकें, तो आप ढेर सारा इनकम टैक्स तो बचा ही सकते हैं, सालभर के घर-खर्च की प्लानिंग भी बेहतर तरीके से कर सकते हैं.
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी, धारा 80डी, धारा 80ई सहित ढेरों ऐसी धाराएं हैं, जिनके तहत किए गए खर्च और निवेश पर इनकम टैक्स में काफ़ी बचत हो सकती है. ऐसी ही एक घोषणा किराये के मकान में रहने वाले किया करते हैं. किराये के घर में बसे, लेकिन अपने घर का ख्वाब देखते हुए नौकरी करने वालों के लिए मकान किराया भत्ता, यानी HRA सचमुच काफ़ी इनकम टैक्स बचत करवाता है. ध्यान रहे, क़ायदे से नियोक्ता (Employer) के समक्ष इसकी घोषणा सही वक्त पर सही तरीके से किया जाना ज़रूरी होता है.
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HRA Exemption हासिल करने में एक और समस्या यह भी है कि ज़्यादातर नौकरीपेशा लोगों को इसका कैलकुलेशन करना आता ही नहीं है. आम नौकरीपेशा को आमतौर पर यह जानकारी भी नहीं होती कि HRA Exemption किस तरह हासिल किया जा सकता है. सो, आज हम ऐसे ही नौकरीपेशा लोगों की सहायता के लिए यह ख़बर लाए हैं.
किन्हें और कैसे मिल सकता है HRA Exemption...?
HRA Exemption हासिल करने के लिए सबसे पहली, सबसे ज़रूरी जानकारी यही है कि इनकम टैक्स से जुड़ी छूट किसे हासिल हो सकती है. याद रहे, HRA Exemption उन्हीं को मिल सकता है, जिनकी तनख्वाह, यानी वेतन में एक मद के तौर पर HRA (मकान किराया भत्ता) दिया जाता है. इसके अलावा, नौकरीपेशा शख्स जिस मकान का किराया चुकाने का दावा कर रहा है, वह खुद उसी के नाम नहीं हो सकता.
HRA Exemption कैलकुलेशन का नियम क्या है...?
HRA Exemption इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के सेक्शन 10 (13 ए) के अंतर्गत वेतनभोगियों को दिया जाता है. इसके लिए, वेतन पाने वाले किसी भी शख्स को - उसके (1) मूल वेतन, यानी Basic Salary का 50 फ़ीसदी, (2) HRA के तौर पर वेतन में मिलने वाली रकम, या (3) उसके द्वारा असल में चुकाए किराये की रकम में से मूल वेतन का 10 फ़ीसदी घटाने के बाद बची रकम - तीन रकमों में से सबसे छोटी रकम पर इनकम टैक्स में छूट दे दी जाती है.
किसे कितनी मिल सकती है HRA Exemption...?
कितनी तनख्वाह पाने वाले या कितना मकान किराया चुकाने वाले किस शख्स को कितना HRA Exemption हासिल हो सकता है, इसे समझाने के लिए हम आज यह चार्ट बना लाए हैं. PDF फ़ॉरमैट में बने इस चार्ट में छह वेतनभोगियों के उदाहरण लिए गए हैं, जिन्हें हर महीने क्रमशः ₹25000, ₹50000, ₹50000, ₹50000, ₹75000 तथा ₹100000 बेसिक सैलरी के रूप में मिलते हैं. इसके बाद, हमने माना कि इन्हीं लोगों को अपने मूल वेतन का 50 फ़ीसदी HRA के तौर पर भी वेतन में हर महीने मिलता है, और ये लोग क्रमशः ₹12500, ₹20000, ₹25000, ₹30000, ₹40000 तथा ₹45000 प्रतिमाह मकान किराये के तौर पर वास्तव में चुकाते हैं.
कैसे कैलकुलेट करें HRA Exemption by vrastogi on Scribd
यदि बेसिक सैलरी है ₹25000
अब चार्ट को पढ़कर समझें - ₹25000 बेसिक सैलरी पाने वाले पहले व्यक्ति को HRA के तौर पर ₹12500 मिलते हैं, और वह उतनी ही रकम मकान किराये के तौर पर हर महीने चुकाता है. अब लगाते हैं हिसाब - इस शख्स के मूल वेतन का आधा, यानी 50 फ़ीसदी ₹12500 बनता है, जो बनी हिसाब-किताब की पहली रकम. इसी शख्स को वेतन में HRA के तौर पर ₹12500 मिलते हैं, जो हुई दूसरी रकम. और इस शख्स द्वारा चुकाए गए असल किराये में से मूल वेतन का 10 फ़ीसदी घटाने के बाद ₹10000 की रकम मिली, जो बनी तीसरी रकम. अब चूंकि इन तीनों रकमों में सबसे छोटी रकम ₹10000 है, इसलिए नियमानुसार इस व्यक्ति को हर महीने ₹10000 या सालाना ₹120000 की रकम पर HRA Exemption दिया जाएगा, यानी इनकम टैक्स का हिसाब-किताब करते वक्त इसकी टैक्सेबल इनकम, यानी करयोग्य आय में से ₹120000 घटाए जाएंगे. अब मोटे तौर पर देखें, तो अगर यह शख्स इनकम टैक्स की अधिकतम स्लैब के तहत टैक्स चुकाया करता है, तो वह HRA Exemption की बदौलत ₹37440 की बचत कर सकेगा (इनकम टैक्स बचत की इस रकम में ₹36000 का इनकम टैक्स और 4 प्रतिशत उपकर (Cess), यानी ₹1440 शामिल हैं).
अगर मूल वेतन हो ₹50000
बिल्कुल इसी प्रकार, PDF चार्ट में दर्ज दूसरे शख्स को बेसिक सैलरी के तौर पर ₹50000 मिलते हैं, और ₹25000 उसे HRA के तौर पर हासिल होते हैं. यही व्यक्ति प्रतिमाह ₹20000 मकान किराये के तौर पर चुकाता है. अब इस शख्स की बेसिक सैलरी का 50 फ़ीसदी हुआ ₹25000, HRA के तौर पर इसे मिले ₹25000, और चुकाए किराये में से बेसिक सैलरी का 10 फ़ीसदी घटाने पर दिख रहे हैं ₹15000. सो, अब इस व्यक्ति के हिसाब के लिए सबसे छोटी रकम हुई ₹15000, इसलिए इसे प्रतिमाह ₹15000 या सालाना ₹180000 की रकम पर HRA Exemption हासिल हो सकेगा, और इस व्यक्ति को इनकम टैक्स और सेस मिलाकर ₹56160 की बचत हो सकेगी.
यदि मकान किराया हो ₹25000 या ₹30000
PDF चार्ट में दर्ज तीसरे और चौथे व्यक्ति को एक साथ देखेंगे. इन दोनों नौकरीपेशाओं को मूल वेतन, यानी बेसिक सैलरी मिलती है ₹50000, HRA हासिल होता है ₹25000, लेकिन ये दोनों मकान किराये के रूप में प्रतिमाह क्रमशः ₹25000 और ₹30000 चुकाया करते हैं. अब इन दोनों व्यक्तियों की बेसिक सैलरी 50 फ़ीसदी और वेतन में हासिल HRA तो ₹25000 ही होगा, लेकिन चुकाए मकान किराये में से बेसिक सैलरी का 10 फ़ीसदी घटाने पर मिलने वाली रकम क्रमशः ₹20000 और ₹25000 बन जाएंगी. इन दोनों को इन्हीं दोनों रकमों के आधार पर सालाना HRA Exemption कैलकुलेट करनी होगी, जो क्रमशः ₹240000 और ₹300000 बनेंगी, जिनकी बदौलत दोनों इनकम टैक्स में क्रमशः ₹74880 और ₹93600 हर साल बचा पाएंगे.
अगर बेसिक सैलरी है ₹75000
हमारे PDF चार्ट में दर्ज पांचवां शख्स बेसिक सैलरी के तौर पर ₹75000 हर महीने हासिल करता है, और उसे HRA के तौर पर वेतन में ₹37500 मिलते हैं. अगर यह व्यक्ति प्रतिमाह ₹40000 मकान किराया चुकाता है, तो इसके मूल वेतन का आधा हुआ ₹37500, HRA मिला ₹37500, और किराये की रकम से मूल वेतन का 10 फ़ीसदी घटाने पर मिले ₹32500, इसलिए इस व्यक्ति को हर महीने ₹32500 या सालाना ₹390000 पर HRA Exemption मिल सकेगा, जिसकी बदौलत इस शख्स की सालाना इनकम टैक्स बचत ₹121680 हो जाएगी.
अगर मूल वेतन हो ₹100000
हमारे चार्ट में दिया गया आखिरी उदाहरण उस व्यक्ति का है, जिसे बेसिक सैलरी के तौर पर हर महीने ₹100000 मिला करता है. इसी शख्स को HRA के तौर पर ₹50000 हर महीने हासिल होते हैं. यह व्यक्ति हर महीने ₹45000 मकान का किराया भी चुकाता है. हमारे चार्ट के हिसाब से इस व्यक्ति की तीन रकम होंगी - ₹50000, ₹50000 और ₹35000. इन तीनों रकमों में से सबसे छोटी है ₹35000, सो, इस शख्स को वार्षिक तौर पर ₹420000 का HRA Exemption हासिल होगा, जिसकी मदद से इसे इनकम टैक्स में पूरे साल में ₹131040 की बचत हो सकती है.
अब HRA Exemption से जुड़ी कुछ बेहद ज़रूरी बातें...
HRA Exemption, या आमतौर पर HRA Rebate कहे जाने वाले इस लाभ को पाने के ख्वाहिशमंदों को याद रखना चाहिए कि यदि आप मकान के किराये के तौर पर सालाना ₹100000 (यानी हर महीने ₹8333) से ज़्यादा चुका रहे हैं, तो मकान-मालिक (चाहे वे आपकी पत्नी या माता-पिता ही क्यों न हों) का PAN नंबर (Permanent Account Number) भी आपको शर्तिया दर्ज करवाना होगा (आप अपने दफ़्तर में मकान-मालिक के PAN कार्ड की फ़ोटोकॉपी दे सकते हैं), और किराये के तौर पर हासिल होने वाली इस रकम पर आपके मकान-मालिक को भी इनकम टैक्स चुकाना होगा. और हां, यह भी नहीं भूलना है कि HRA Exemption हासिल करने के लिए आपको मकान किराये की रसीदें भी आपके पास संभालकर रखनी चाहिए, जिन्हें आपको आपके कार्यालय में जमा करना होगा.
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