21वीं सदी का युवा है सार्थक, रहता है देश की राजधानी दिल्ली में, और घूमने-फिरने और खाने-पीने का शौकीन है... अच्छी-खासी नौकरी करता है, और मासिक वेतन है ₹70,000, लेकिन उसके बैंक अकाउंट में कंपनी की तरफ़ से हर महीने सिर्फ़ ₹64113 रुपये ही जमा होते थे... मस्तमौला सार्थक ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया, और सारा दिन पूरी मेहनत से दफ़्तर में काम करने के बाद शाम को दिल्ली शहर के अलग-अलग इलाकों में जाकर अलग-अलग रेस्तरां में नए-नए व्यंजन ट्राई करता रहता था...
अचानक जनवरी में एक छुट्टी वाले दिन उसके पिता उससे मिलने दिल्ली चले आए, और सार्थक उनसे ₹25,000 मांग बैठा, क्योंकि दोस्तों को अपने जन्मदिन की दावत का न्योता दे चुका था... पिता ने रुपये तो तुरंत दे दिए, लेकिन पूछा कि तुझसे मैंने कुछ निवेश करवाए थे, वे कर दिए थे या नहीं... सार्थक के हां बोलते ही पिता ने कहा, "फिर तो तुझे मुझसे पैसे मांगने की ज़रूरत होनी ही नहीं चाहिए थी..."
सार्थक ने चौंककर पूछा, "क्या मतलब...?"
सार्थक ने जवाब दिया, "नहीं, आपके कहने से निवेश कर दिया था... लेकिन यह तो मुझे मालूम ही नहीं था कि कंपनी को भी इस निवेश की जानकारी देनी चाहिए थी..."
अपनी ही धुन में डूबे रहने के बावजूद सार्थक आमतौर पर अपने पिता की सलाह को ध्यान से सुना करता है, और अक्सर मान भी लिया करता है, इसलिए उसने पिता के कहने पर निवेश तो कर दिया था, लेकिन पिता की बातों में पूरी निष्ठा रखने वाला भोला-भाला सार्थक यह नहीं समझ पाया कि पिता ने उसका इनकम टैक्स बचाने के लिए निवेश करवाया था, इसलिए दफ़्तर वालों को भी निवेश के बारे में बताना होगा, ताकि हर महीने उसकी तनख्वाह से काटा जाने वाला TDS रोक दिया जाए, और हर महीने उसके हाथ में ज़्यादा रकम आए...
सार्थक की जिज्ञासा जागी, और बोला, "अब क्या होगा...? क्या अब कुछ नहीं किया जा सकता, और क्या अब अगले साल ही मुझे अतिरिक्त वेतन मिलेगा...? आप मुझे समग्र रूप से समझाइए..."
पिता ने बोलना शुरू किया, "नहीं, ऐसा नहीं है कि अभी कतई कुछ नहीं किया जा सकता... तुम अब भी अपने दफ़्तर को निवेश की सूचना दे दो, और कम से कम जनवरी, फरवरी और मार्च की तनख्वाह में से तो TDS कटौती रुक जाएगी... और यही नहीं, जुलाई में जब तुम ITR फ़ाइल करोगे, तब TDS के तौर पर तुम्हारी तनख्वाह में से अब तक काटी जा चुकी रकम भी तुम्हें वापस मिल जाएगी, इनकम टैक्स रिफ़ंड के तौर पर..."
आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता के साथ अम्बर को ताकते सार्थक का जवाब था, "अच्छा... यानी हर महीने ₹1,000 रुपये एक्स्ट्रा मिलेंगे मुझे..."
पिता ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिल्कुल... लेकिन इससे भी ज़्यादा बचत होने वाली है तुझे... कुल मिलाकर लगभग ₹3,000 हर महीने..."
"और क्या करना होगा मुझे, पापा...?", सार्थक ने सवाल किया...
पिता बोले, "ध्यान से सुन... तेरी कुल तनख्वाह है ₹70,000 महीना, यानी ₹8,40,000 प्रति वर्ष... तेरी कंपनी को तेरे निवेश के बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसलिए वे लोग सिर्फ़ ₹50,000 का Standard Deduction घटाकर तेरा इनकम टैक्स कैलकुलेट कर रहे होंगे, और उसी हिसाब से प्रॉविडेंट फ़ंड (PF) और TDS कटौती कर तनख्वाह तेरे खाते में भेज रहे होंगे..."
"ओके... फिर...?"
"अब तेरी कुल तनख्वाह में तेरी बेसिक सैलरी है ₹24,500 प्रतिमाह, सो, तेरी PF कटौती होती है 12 प्रतिशत, इसलिए हर महीने तेरी तनख्वाह में से कट जाते हैं ₹2,940... और समूची तनख्वाह में से मानक कटौती घटाने के बाद नई टैक्स व्यवस्था से हर महीने का इनकम टैक्स बनेगा ₹2,946.67, सो कुल कटौतियों के बाद हर महीने तेरे खाते में आते होंगे ₹64,113..."
"अरे हां, आप बिल्कुल सही रकम बता रहे हैं, पापा..."
"अब सुन... तूने किस-किस मद में कितना-कितना निवेश किया है, वह बता..."
"मेरे हिसाब से इतना काफ़ी है... अब यह बता, तेरे बैंक खाते में ब्याज के तौर पर कितनी रकम जमा हुई है...?"
"पापा, मेरे बचत खाते में दिसंबर तक का ब्याज मैं आपको बता सकता हूं, लेकिन जो एफ़डी मैंने करवाई थी, उसका ब्याज तो 31 मार्च को FD मैच्योर होने पर ही मिलेगा..."
"चल, हिसाब लगाते हैं... मेरे गणित के हिसाब से तेरे बचत खाते में सालभर में लगभग ₹2,700 रुपये ब्याज जमा होगा, और FD पर तुझे कुल ₹6,800 का ब्याज मिलने जा रहा है, इसी वित्तवर्ष में... अब इसे भी तेरी सालाना आय में जोड़ना होगा, और इस पर टैक्स चुकाना होगा..."
"अरे, मेरे ही पैसे पर बैंक से जो ब्याज मिलेगा, उस पर भी टैक्स लगेगा...?"
"ओके..."
"अब लगाते हैं हिसाब... तेरी कुल तनख्वाह है ₹8,40,000, जिसमें जुड़ जाएंगे FD के ब्याज के तौर पर मिले ₹6,800 और बचत खाते पर ब्याज के तौर पर मिले ₹2,700... सो, तेरी पूरे साल की कुल आय होगी ₹8,49,500... अब इसमें से सबसे पहले घटाते हैं मानक कटौती, यानी ₹50,000... तो टैक्सेबल इनकम के तौर पर बचेंगे ₹7,99,500... इसमें से तुझे मकान किराये पर मिलने वाली छूट घटानी होगी, जिसका हिसाब लगाना बहुत सरल है... तुझे HRA के मद में तनख्वाह में मिलते हैं ₹12,250... तेरी बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत भी ₹12,250 ही है... इसके अलावा, तू किराया देता है ₹15,000, और उसमें से बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत घटाने के बाद सामने आते हैं ₹12,550, इसलिए इन तीनों में से सबसे कम रकम, यानी ₹12,250 होगी तुझे हर महीने मिलने वाली HRA Exemption..."
"यानी...?"
"यानी यह रकम तेरी टैक्सेबल इनकम में से घटा देते हैं... अब हर महीने ₹12,250 का मतलब हुआ, ₹1,47,000 हर साल, सो, ₹7,99,500 में से यह रकम भी घटा देते हैं... और हमारे पास बचते हैं ₹6,52,500..."
"अब...?"
"अब इसमें से घटाएंगे वह रकम, जो तूने जगह-जगह निवेश किया है... सबसे पहले देख, तेरी तनख्वाह में से हर महीने PF के तौर पर काटे जाते हैं ₹2,940, सो, सालभर में तेरा PF कॉन्ट्रिब्यूशन होगा ₹35,280, और हर महीने ₹5,000 के हिसाब से तूने PPF खाते में सालभर के दौरान जमा करवाए ₹60,000... ₹60,000 का तेरा तीसरा निवेश है टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फ़ंड स्कीम ELSS में... यानी तेरी कुल बचत या निवेश हो गया ₹1,55,280... इस रकम में से इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत अधिकतम छूट मिल सकती है ₹1,50,000, सो, तुझे पूरी रकम पर छूट मिल जाएगी... औ इसके बात तेरी टैक्सेबल इनकम रह जाएगी ₹5,02,500..."
"इसके बाद क्या करना होगा, पापा...?", उत्सुक सार्थक का सवाल था...
"इस पर कितना टैक्स लगेगा...?"
"बेटा, इस रकम पर पुरानी टैक्स व्यवस्था की टैक्स स्लैब के हिसाब से ₹12,490 इनकम टैक्स बनेगा, लेकिन चूंकि तेरी टैक्सेबल इनकम ₹5,00,000 से कम हो गई है, इसलिए इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87A के तहत इस समूची रकम पर तुझे छूट हासिल हो जाएगी, और तुझे एक पैसा भी इनकम टैक्स नहीं चुकाना होगा..."
"अरे वाह... लेकिन जो पैसा TDS के तौर पर दिसंबर तक मेरी तनख्वाह से काटा जा चुका है, उसका क्या होगा...?"
"वह समूची रकम उस समय तुझे वापस मिल जाएगी, जब तू जुलाई में वक्त रहते ITR, यानी इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल कर देगा... इसकी आखिरी तारीख 31 जुलाई होती है, सो, उससे पहले ऐसा कर लेना... लेकिन अब सबसे अपने दफ़्तर को जाकर मकान किराये और सभी तरह के निवेश की जानकारी दे देना, ताकि कम से कम वित्तवर्ष के बाकी महीनों में तेरी तनख्वाह से TDS नहीं काटा जाए, और तुझे लगभग ₹3,000 हर महीने एक्स्ट्रा मिलें..."
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