इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर फाइल करते समय टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अपनी इनकम और संपत्ति की रिपोर्ट देते हैं. लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय अपनी कुछ इनकम या कमाई की जानकारी सही से नहीं देते हैं. जिसके चलते उन्हें इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिल जाता है. आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. अगर आप शुरु से ही इस बात का ध्यान रखें तो आप इनकम टैक्स अधिकारियों द्वारा जांच के दायरे में आने से बच सकते हैं. तो चलिए आपकों कुछ ऐसी 5 तरह की इनकम के बारे में बताते हैं, जिसके बारे में आईटीआर फऑर्म भरते समय पूरी जानकारी देना जरूरी होता है.
सेविंग्स अकाउंट पर कमाए गए ब्याज का ब्योरा
आमतौर पर लोग आईटीआर फाइल करते समय अपने सेविंग्स बैंक अकाउंट में जमा राशि पर कमाए गए ब्याज के बारे में जानकारी नहीं देते हैं. इसकी वजह ये कि ब्याज की रासि कम होती है और लोग सोचते हैं कि इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है. इस तरह लोग ऐसी लापरवाही करने से नहीं बच पाते हैं. हालांकि, सेविंग्स अकाउंट से कमाए गए ब्याज को नहीं दिखाना गलत है, क्योंकि भले ही अमाउंट कम है या जीरो है. लेकिन उसे आईटीआर रिटर्न में दिखाना जरूरी है. आपको बता दें कि सेक्शन 80TTA के तहत सालाना 10,000 रुपये तक डिडक्शन के तौर पर क्लेम करना होगा. इसे छोड़ देने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) के पास मौजूद जानकारी गलत मानी जाएगी और आपको नोटिस (Income Tax Notice) मिल सकता है.
आयकर अधिनियम की धारा 142(1) इनकम टैक्स अधिकारियों को रिटर्न दाखिल किए जाने की स्थिति में एक नोटिस जारी कर और स्पष्टीकरण या जानकारी मांगने का अधिकार देती है.
नाबालिग बच्चे के नाम पर इनकम की जानकारी
माता-पिता अपने नाबालिग बच्चे के नाम पर भी निवेश करते हैं जिसमें माता-पिता अभिभावक के तौर पर रहते हैं. ऐसे में, नाबालिग के नाम पर निवेश और बैंक अकाउंट पर जो कुछ ब्याज आ रहा है, उसे माता-पिता की आय के साथ जोड़ना होगा. इसके तहत जिस माता-पिता के परमानेंट अकाउंट नंबर का इस्तेमाल निवेश के साथ या अकाउंट के साथ किया जाता है, उन्हें अपनी इनकम के साथ इसे दिखाना होगा. नाबालिग की इनकम के जोड़ने पर 1,500 रुपये का डिडक्शन है.
विदेशों में किए गए निवेश से हुई कमाई
कई टैक्सपेयर्स विदेशी निवेश भी करते हैं. ये डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स या फॉरेन फंड्स या हाउस प्रॉपर्टी के तौर पर हो सकता है. इन निवेश के बारे में आईटीआर रिटर्न भरते समय जानकारी देनी होती है. इसके साथ इन होल्डिंग्स से हुई कमाई को दिखाना होता है. इसे नजरअंदाज करना या भूल जाना गंभीर गलती हो सकती है, जिसके नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं. इसलिए टैक्सपेयर्स को इस पर खास ध्यान देना चाहिए.
टैक्स फ्री इनकम के बारे में बताना जरूरी
ऐसी कई तरह की टैक्स फ्री इनकम हैं, लेकिन आईटीआऱ फाइल के समय इन चीजों का ध्यान रखना होता है. इनकम टैक्स एक्ट के किसी सेक्शन के तहत कुछ तरह की इनकम टैक्स फ्री होती हैं और उस पर किसी टैक्स का भुगतान नहीं करना होता है. इनमें टैक्स फ्री बॉन्ड पर ब्याज या कुछ अन्य रिसीट जैसे पब्लिक प्रोविडेंट फंड पर ब्याज (PPF Interest) आदि शामिल हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इसे टैक्स रिटर्न में भी नहीं दिखाना है. ITR में ऐसी इनकम की डिटेल्स सही तरीके से दिखाना होता है. आम तौर पर PPF अकाउंट पर ब्याज जैसी चीजें हर साल के साथ बढ़ती चली जाती हैं और इसलिए इसे आईटीआर रिटर्न भरते समय दिखाना होता है.
कुल अर्जित ब्याज
Accrued interest (कुल अर्जित ब्याज) वो इनकम है, जो कमाई जाती है, लेकिन मिलती नहीं है. ये संचयी जमा या बॉन्ड जिसमें ब्याज का भुगतान केवल मैच्योरिटी पर किया जाता है. इस इनकम पर TDS लिया जा सकता है, इसलिए, ये जरूरी है कि इस इन्वेस्टमेंट इनकम को टैक्स रिटर्न में दिखाया जाए. इसे छोड़ देने पर टैक्स विभाग की ओर से कई सवाल पूछे जा सकते हैं.
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