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जून में घर में पकाई वेज और नॉन वेज थाली हुई सस्ती, सब्जियों के दाम घटने से आम आदमी को राहत

Thali Price Drop June 2025: अगर आप हर महीने की ग्रॉसरी और रसोई का खर्च देखकर परेशान रहते हैं, तो जून की ये रिपोर्ट कुछ राहत दे सकती है. लेकिन आने वाले दिनों में मौसम और फसल की स्थिति के हिसाब से फिर से थाली महंगी हो सकती है, इसलिए खर्चों को प्लान करते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

जून में घर में पकाई वेज और नॉन वेज थाली हुई सस्ती, सब्जियों के दाम घटने से आम आदमी को राहत
Veg and Non Veg Thali Price Change: रिपोर्ट के मुताबिक, थाली की लागत में आई इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण सब्जियों के दाम में आई नरमी है .
नई दिल्ली:

अगर आप रोज घर पर खाना बनाते हैं तो ये खबर आपके लिए राहत भरी है. जून 2025 में वेज और नॉन वेज दोनों थालियों की कीमत में सालाना आधार पर कमी देखने को मिली है. क्रिसिल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार, वेज थाली 8% और नॉन वेज थाली 6% सस्ती हुई है. इसका सीधा फायदा उन लोगों को मिला है जो रोजमर्रा के खर्चों में कटौती करना चाहते हैं.

सब्जियों के सस्ते होने का असर

रिपोर्ट के मुताबिक, थाली की लागत में आई इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण है सब्जियों के दाम में आई नरमी. टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में अच्छी खासी गिरावट देखने को मिली है, जिससे घर में बन रही थाली की लागत पर पॉजिटिव असर पड़ा है.

टमाटर की कीमत एक साल में 42 रुपये प्रति किलो से गिरकर 32 रुपये हो गई है, यानी करीब 24% की गिरावट. वहीं प्याज में 27% और आलू में 20% की गिरावट आई है.

नॉन वेज थाली भी हुई सस्ती

नॉन वेज थाली की कीमत में भी राहत देखने को मिली है. इसकी वजह है ब्रॉयलर चिकन की कीमतों में करीब 3% की गिरावट, जो नॉन वेज थाली की कुल लागत का लगभग आधा हिस्सा होती है. इस बदलाव से उन परिवारों को राहत मिली है जो नियमित रूप से नॉन वेज खाना खाते हैं.

हालांकि, सालाना आधार पर जहां राहत दिखी है, वहीं महीने के हिसाब से थाली की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है. जून में वेज थाली की कीमत 3% और नॉन वेज थाली की कीमत 4% बढ़ी है. इसका कारण मौसम में बदलाव और ताजा फसलों की सीमित उपलब्धता है.

आने वाले समय में क्या हो सकता है बदलाव?

क्रिसिल के डायरेक्टर पुशन शर्मा के मुताबिक, आने वाले महीनों में थाली की लागत दोबारा बढ़ सकती है. इसकी वजह है सब्जियों की ताजा आवक में कमी और मौसमी बदलाव. प्याज की नई फसल अभी बाजार में नहीं आई है और जो स्टॉक बचा है, वह धीरे-धीरे निकाला जा रहा है.गर्मियों में टमाटर की बुआई भी कम हुई है, जिससे इसके दाम धीरे-धीरे बढ़ सकते हैं और थाली पर दोबारा खर्च बढ़ सकता है.

इस रिपोर्ट में उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में सब्जियों और दूसरी जरूरी चीजों की कीमतों के औसत के आधार पर थाली की लागत का अनुमान लगाया गया है. यह आंकड़ा दिखाता है कि आम आदमी पर महंगाई का सीधा असर कैसे पड़ता है और उसमें कब राहत मिलती है.

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