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न चोरी का डर, न मेकिंग चार्ज! इस दिवाली-धनतेरस फिजिकल नहीं, डिजिटल गोल्ड खरीदें, मिलेगा तगड़ा रिटर्न

Gold investment Tips: डिजिटल गोल्ड पर टैक्स के नियम भी लगभग फिजिकल गोल्ड जैसे ही हैं .अगर आप 12 महीने के अंदर डिजिटल गोल्ड बेचते हैं तो यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और आपकी आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा.

न चोरी का डर, न मेकिंग चार्ज! इस दिवाली-धनतेरस फिजिकल नहीं, डिजिटल गोल्ड खरीदें, मिलेगा तगड़ा रिटर्न
Digital Gold vs Physical Gold: अगर आप भी इस धनतेरस पर सोना खरीदने का सोच रहे हैं, पहले ये बात जान लीजिए.
नई दिल्ली:

Gold Investment Tips: दिवाली और धनतेरस पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है. देश में सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं.दिल्ली के सर्राफा बाजार में 99.9% शुद्धता वाला सोना 1,31,800 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया है. पिछले साल की तुलना में इस बार गोल्ड के दाम में करीब 50% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. यानी जो सोना पिछले साल 85,000 रुपये के आसपास था, वह अब 1.3 लाख रुपये का हो गया है.

सोने की इस तेज उछाल के पीछे कई वजहें हैं जैसे ग्लोबल मार्केट में बढ़ती डिमांड, आर्थिक मंदी का डर और भू-राजनीतिक तनाव. यही कारण है कि निवेशक अब इसे एक सुरक्षित इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के तौर पर देख रहे हैं.

अगर आप भी इस धनतेरस पर सोना खरीदने का सोच रहे हैं, तो एक सवाल जरूर दिमाग में आता है  डिजिटल गोल्ड खरीदें या फिजिकल गोल्ड? चलिए समझते हैं दोनों में क्या फर्क है और किसमें बेहतर रिटर्न मिल सकता है.

Digital Gold: आसान, सुरक्षित और बिना झंझट के इन्वेस्टमेंट

डिजिटल गोल्ड आजकल सबसे आसान और मॉडर्न तरीका बन गया है सोना खरीदने का. इसमें आप सिर्फ 1 रुपये से भी निवेश शुरू कर सकते हैं, और सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें न चोरी का डर है, न स्टोरेज की टेंशन होगी.

डिजिटल गोल्ड को आप मोबाइल वॉलेट, बैंकिंग ऐप्स या ज्वेलरी वेबसाइट्स जैसे Paytm, PhonePe, Google Pay या Tanishq के जरिए खरीद सकते हैं. खरीदा गया सोना कंपनी की वॉल्ट में सुरक्षित रखा जाता है. आप चाहें तो इसे कभी भी बेच सकते हैं या गोल्ड ETF में बदल सकते हैं.

इसमें आपको 24 कैरेट शुद्ध सोना मिलता है और इसकी कीमत रियल टाइम में तय होती है. यानी जब आप खरीदते हैं, तब का मार्केट प्राइस ही लागू होता है.

डिजिटल गोल्ड पर टैक्स के नियम भी लगभग फिजिकल गोल्ड जैसे ही हैं .अगर आप 12 महीने के अंदर डिजिटल गोल्ड बेचते हैं तो यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और आपकी आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा.अगर एक साल से ज्यादा समय तक रखते हैं तो 12.5% टैक्स देना होता है.इसमें 3% GST भी देना पड़ता है, लेकिन मेकिंग चार्ज नहीं होता. इसलिए, डिजिटल गोल्ड उन लोगों के लिए सही ऑप्शन है जो लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट या रिटर्न के लिए सोना खरीदना चाहते हैं.

Physical Gold: परंपरा के साथ भावना भी जुड़ी

फिजिकल गोल्ड यानी असली सोना, जो हम देख और छू सकते हैं जैसे ज्वेलरी, सिक्के या बिस्किट के रूप में. भारत में शादी-ब्याह और त्योहारों में इसे खरीदने की परंपरा रही है, इसलिए इसमें भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी होता है.

लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं . जैसे इसे सुरक्षित रखना पड़ता है, चाहे घर पर या बैंक लॉकर में. इसके अलावा, खरीदते समय 3% GST के साथ मेकिंग चार्ज भी देना पड़ता है, जो 10% से 20% तक हो सकता है. यानी अगर आप 1 लाख रुपये का सोना खरीदते हैं, तो करीब 10 से 20 हजार रुपये सिर्फ मेकिंग चार्ज में चले जाते हैं.

इस वजह से फिजिकल गोल्ड शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए थोड़ा महंगा पड़ जाता है. हालांकि, पारंपरिक और धार्मिक अवसरों पर इसकी अपनी अहमियत हमेशा बनी रहेगी.

डिजिटल या फिजिकल गोल्ड कौन सा बेहतर है ?

अगर आप निवेश के नजरिए से सोच रहे हैं, तो डिजिटल गोल्ड ज्यादा बेहतर और सुविधाजनक है. इसमें न स्टोरेज की झंझट, न चोरी का डर और न ही मेकिंग चार्ज का खर्च. साथ ही, इसे कभी भी ऑनलाइन खरीदा या बेचा जा सकता है.

वहीं अगर आप पारंपरिक उपयोग जैसे शादी, गिफ्ट या धार्मिक कारणों से सोना खरीदना चाहते हैं, तो फिजिकल गोल्ड ही बेहतर रहेगा.

इस दिवाली, अगर आपका मकसद रिटर्न कमाना है तो डिजिटल गोल्ड एक स्मार्ट और सेफ चॉइस हो सकती है.


 

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