India | Reported by: भाषा |सोमवार फ़रवरी 14, 2022 04:53 AM IST अगस्त, 2019 में विभाजित कर जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने से पहले राज्य मानवाधिकार आयोग के पास कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर जो भी रिकार्ड था, वह तब इस पैनल के भंग कर दिए जाने के बाद से एक कमरे में बंद है. आरटीआई आवेदन पर यह जानकारी सामने आई है. सामाजिक कार्यकर्ता वेकेंटेश नायक ने सूचना के अधिकार कानून के तहत एक आवेदन देकर 31 अक्टूबर, 2019 तक आयोग के सामने लंबित शिकायतों की संख्या जाननी चाही थाी. तभी जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 प्रभाव में आया था.