शुक्रवार को लोकसभा में RTI Amendment Act 2019 प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने पेश किया. इसमें सूचना आयुक्तों के संबंध में तीन बातें हैं. पहले 5 साल के लिए मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति होती थी. अब उनका कार्यकाल 5 साल होगा या कितना होगा इसका फैसला सेंटर करेगा. केंद्र राज्यों के लिए भी यह तय करेगा. पहले मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की सेवा की शर्तें चुनाव आयुक्तों के समान होती थीं. अब शर्तें बदली जाएंगी. सरकार ने इस बिल में मकसद यह बताया है कि चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है और सूचना आयोग कानूनी संस्था है. दोनों में अंतर होता है. इसे लेकर विपक्ष के सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार सूचना आयोग के आयुक्तों को कमज़ोर करना चाहती है. सूचना अधिकार कार्यकर्ता इस बिल को लेकर आशंकित हैं. उनके कुछ सवाल हैं. उनका कहना है कि यह संशोधन विधेयक सूचना आयुक्त की स्वायत्ता को कमज़ोर करने के लिए लाया गया है.