रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने कथित खनन पट्टा आवंटन मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ दायर जनहित याचिका बुधवार को खारिज कर दी. मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह याचिका शिव शंकर शर्मा नामक याचिकाकर्ता द्वारा दायर पहले की याचिका की पुनरावृत्ति है.
अदालत ने कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता एवं वकील सुनील महतो की ओर से दायर इस जनहित याचिका में कुछ भी नया नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है. फैसला वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये सुनाया गया.
महतो ने अपनी जनहित याचिका में आरोप लगाया था कि सोरेन ने जून 2021 में रांची के अनगड़ा ब्लॉक में अपने नाम पर एक खनन पट्टा जारी किया था. उन्होंने दावा किया कि सोरेन को पहले भी पट्टा दिया गया था और उसकी समाप्ति के बाद उन्होंने इसके लिए फिर से आवेदन किया था.
महतो ने कहा था कि सोरेन के पक्ष में एक खदान का पट्टा आवंटित होना जन प्रतिनिधियों के लिए ‘लाभ के पद पर नहीं होने' के नियम का सीधा उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया था कि रांची जिले के चान्हो में 11 एकड़ जमीन 2021 में मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन और एक अन्य संबंधी के स्वामित्व वाली कंपनी सोहराई लाइवस्टॉक फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित की गई थी.
इस मामले पर नवंबर में सुनवाई हुई थी और पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. राज्य सरकार का बचाव करते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जनहित याचिका तुच्छ और राजनीति से प्रेरित होकर दायर की गई है. इससे पहले भी इसी तरह की एक याचिका उच्च न्यायालय में दायर की गई थी, जिसने मामले की जांच के आदेश पारित किए थे. रंजन ने कहा कि इसके बाद यह मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा था और वहां भी याचिका खारिज कर दी गयी थी.
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