Section 377
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समलैंगिकता को अपराध बताने वाली IPC की धारा 377 को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद की
- Thursday February 8, 2024
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक
समलैंगिकता को अपराध बताने वाली आईपीसी की धारा 377 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव याचिका का निस्तारण कर सुनवाई बंद कर दी. पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि इस संबंध में 2018 में नवतेज सिंह जौहर केस में फैसला आ चुका है, लिहाजा यह याचिका निष्प्रभावी हो गई है.
- ndtv.in
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SC में धारा 377 के खिलाफ केस जीतने वाली वकील खुद भी हैं लेस्बियन कपल, दुनिया के सामने कुबूला अपना प्यार
- Monday July 22, 2019
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
मेनका और अरुंधति दोनों ही सफल वकील हैं. मेनका ने हावर्ड स्कूल से एलएलएम और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डीफिल किया है.
- ndtv.in
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सुप्रीम कोर्ट के ये हैं 5 जज, जिन्होंने समलैंगिकता के बाद अब व्यभिचार को किया अपराध से बाहर
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने 157 साल पुराने व्यभिचार को रद्द कर दिया और कहा कि किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार कानून असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है. यह लैंगिक समानता के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस पीठ ने ही धारा 377 पर अपना अहम फैसला सुनाया था. इससे पहले इसी बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग किया था. तो चलिए जानते हैं उन पांचों जजों के बारे में...
- ndtv.in
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इस देश में भी लगा है समलैंगिकता पर Ban, भारत में हुआ खत्म तो यहां भी छिड़ गई जंग
- Wednesday September 12, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
Singapore: भारत में समलैंगिकता (Homosexuality) पर आए उच्चतम न्यायालय के हालिया ऐतिहासिक फैसले से उत्साहित एक डिस्क जॉकी ने सिंगापुर में समलैंगिकता पर रोक को अदालत में चुनौती दी है.
- ndtv.in
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Section 377: देश के इस राज्य में धारा 377 के तहत दर्ज समलैंगिंक संबंध मामलों की संख्या सबसे ज्यादा
- Sunday September 9, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
धारा 377 के तहत समलैंगिक यौन संबंध को लेकर दर्ज मामलों की संख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. इसके बाद केरल का स्थान है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते इस कानून को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया था. धारा 377 के तहत 2014 से 2016 के बीच कुल 4,690 मामले दर्ज किए गए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2016 में धारा 377 के तहत समलैंगिक यौन संबंधों के 2,195 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2015 में 1,347 और 2014 में 1,148 मामले दर्ज किए गए. 2016 में सबसे ज्यादा 999 ऐसे मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए. इसके बाद केरल (207) का स्थान था.
- ndtv.in
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धारा 377 पर फैसला कोर्ट के विवेक पर छोड़ने के लिये सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़़ ने सरकार की आलोचना की
- Sunday September 9, 2018
- Reported by: भाषा
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को चुनौती देने जैसे संवेदनशील मुद्दों पर फैसला अदालत के विवेक पर छोड़ने के सरकार के रुख पर उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश ने निराशा व्यक्त की और कहा कि नेताओं की तरफ से इस तरह की शक्तियों को न्यायाधीशों पर छोड़ने का काम रोजाना हो रहा है. दो वयस्कों के बीच सहमति से समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करने वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ में शामिल न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि धारा 377 मामले में फैसला औपनिवेशिक मूल के कानूनों और संवैधानिक मूल्यों का सही प्रतिनिधित्व करने वाले कानूनों के बीच लड़ाई की भावना का सही मायने में प्रतिनिधित्व करता है.
- ndtv.in
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समलैंगिकता के फैसले पर अनेक सवाल
- Friday September 7, 2018
- विराग गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट के प्रांगण में मीडिया द्वारा फोटोग्राफी निषेध है. इसके बावजूद समलैंगिकता पर फैसले के बाद पूरा परिसर इन्द्रधनुषीय रंग से सराबोर हो गया. दो वयस्क लोगों का निजी सम्बन्ध मानते हुए समलैंगिकता को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया परन्तु इस फैसले के लिए अपनाई गयी कानूनी प्रक्रिया पर अनेक सवाल खड़े हो गये हैं.
- ndtv.in
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Section 377 खत्म होने के बाद इस शख्स ने मनाई ऐसी खुशी, माता-पिता बोले- अब हमारा बेटा अपराधी नहीं
- Friday September 7, 2018
- मोहित चतुर्वेदी
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता (Homosexuality) को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है. इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा.
- ndtv.in
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शशि थरूर ने समलैंगिकता वैध होने को बताया 'आजादी की सुबह', कहा-बेडरूम में सरकार के लिए जगह नहीं
- Friday September 7, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जमकर सराहना की है. कहा है कि एक भारतीय होने के नाते वह गर्व महसूस करते हैं.
- ndtv.in
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आठ देशों में समलैंगिक संबंध बनाने वालों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान
- Friday September 7, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के साथ ही भारत उन 125 अन्य देशों के साथ जुड़ गया, जहां समलैंगिकता वैध है. हालांकि दुनियाभर में अब भी 72 ऐसे देश और क्षेत्र हैं जहां समलैंगिक संबंध को अपराध समझा जाता है. इनमें 45 वे देश भी हैं जहां महिलाओं का आपस में यौन संबंध बनाना गैर कानूनी है.
- ndtv.in
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NEWS FLASH: बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पहुंचे पीएम मोदी और अमित शाह
- Saturday September 8, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पहले विश्व मोबिलिटी शिखर सम्मेलन ‘मूव’ का उद्घाटन करेंगे. सम्मेलन में अन्य बातों के अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन और साझा मोबिलिटी को प्रोत्साहन जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी.
- ndtv.in
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धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिलाने पर नजर
- Friday September 7, 2018
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को समलैंगिक अपनी आज़ादी के तौर पर देख रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी लंबी लड़ाई अपने मुकाम तक पहुंची है. अब उनकी नज़र समलैंगिक शादी को क़ानूनी मान्यता दिलाने पर है.
- ndtv.in
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निजता में घुसपैठ सरकार का काम नहीं
- Thursday September 6, 2018
- रवीश कुमार
कई बार सर्वोच्च अदालत के कुछ फैसलों को इसलिए नहीं पढ़ा जाना चाहिए कि वो आपके हिसाब से आया है, बल्कि इसलिए भी पढ़ा जाना चाहिए कि फैसले तक पहुंचने से पहले तर्कों की प्रक्रिया क्या है. उसकी भाषा क्या है, भाषा की भावना क्या है.
- ndtv.in
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समलैंगिकता पर सियासत...
- Thursday September 6, 2018
- अखिलेश शर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिक संबंधों को अपराध ठहराने वाली आईपीसी की धारा 377 को समाप्त कर दिया. इस फैसले का जमकर स्वागत हो रहा है. लेकिन इस पर सियासत भी शुरू हो गई है.
- ndtv.in
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अब महिला और पुरुष के बीच अप्राकृतिक यौनाचार भी अपराध नहीं...
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
गुरुवार सुबह तक भारत में समलैंगिकता को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत अपराध माना जाता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने ऐतिहासिक फैसले में इसे अपराध के दायरे से बाहर कर दिया है.
- ndtv.in
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समलैंगिकता को अपराध बताने वाली IPC की धारा 377 को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद की
- Thursday February 8, 2024
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक
समलैंगिकता को अपराध बताने वाली आईपीसी की धारा 377 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव याचिका का निस्तारण कर सुनवाई बंद कर दी. पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि इस संबंध में 2018 में नवतेज सिंह जौहर केस में फैसला आ चुका है, लिहाजा यह याचिका निष्प्रभावी हो गई है.
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SC में धारा 377 के खिलाफ केस जीतने वाली वकील खुद भी हैं लेस्बियन कपल, दुनिया के सामने कुबूला अपना प्यार
- Monday July 22, 2019
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
मेनका और अरुंधति दोनों ही सफल वकील हैं. मेनका ने हावर्ड स्कूल से एलएलएम और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डीफिल किया है.
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सुप्रीम कोर्ट के ये हैं 5 जज, जिन्होंने समलैंगिकता के बाद अब व्यभिचार को किया अपराध से बाहर
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने 157 साल पुराने व्यभिचार को रद्द कर दिया और कहा कि किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार कानून असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है. यह लैंगिक समानता के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस पीठ ने ही धारा 377 पर अपना अहम फैसला सुनाया था. इससे पहले इसी बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग किया था. तो चलिए जानते हैं उन पांचों जजों के बारे में...
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इस देश में भी लगा है समलैंगिकता पर Ban, भारत में हुआ खत्म तो यहां भी छिड़ गई जंग
- Wednesday September 12, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
Singapore: भारत में समलैंगिकता (Homosexuality) पर आए उच्चतम न्यायालय के हालिया ऐतिहासिक फैसले से उत्साहित एक डिस्क जॉकी ने सिंगापुर में समलैंगिकता पर रोक को अदालत में चुनौती दी है.
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Section 377: देश के इस राज्य में धारा 377 के तहत दर्ज समलैंगिंक संबंध मामलों की संख्या सबसे ज्यादा
- Sunday September 9, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
धारा 377 के तहत समलैंगिक यौन संबंध को लेकर दर्ज मामलों की संख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. इसके बाद केरल का स्थान है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते इस कानून को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया था. धारा 377 के तहत 2014 से 2016 के बीच कुल 4,690 मामले दर्ज किए गए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2016 में धारा 377 के तहत समलैंगिक यौन संबंधों के 2,195 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2015 में 1,347 और 2014 में 1,148 मामले दर्ज किए गए. 2016 में सबसे ज्यादा 999 ऐसे मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए. इसके बाद केरल (207) का स्थान था.
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धारा 377 पर फैसला कोर्ट के विवेक पर छोड़ने के लिये सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़़ ने सरकार की आलोचना की
- Sunday September 9, 2018
- Reported by: भाषा
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को चुनौती देने जैसे संवेदनशील मुद्दों पर फैसला अदालत के विवेक पर छोड़ने के सरकार के रुख पर उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश ने निराशा व्यक्त की और कहा कि नेताओं की तरफ से इस तरह की शक्तियों को न्यायाधीशों पर छोड़ने का काम रोजाना हो रहा है. दो वयस्कों के बीच सहमति से समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करने वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ में शामिल न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि धारा 377 मामले में फैसला औपनिवेशिक मूल के कानूनों और संवैधानिक मूल्यों का सही प्रतिनिधित्व करने वाले कानूनों के बीच लड़ाई की भावना का सही मायने में प्रतिनिधित्व करता है.
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समलैंगिकता के फैसले पर अनेक सवाल
- Friday September 7, 2018
- विराग गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट के प्रांगण में मीडिया द्वारा फोटोग्राफी निषेध है. इसके बावजूद समलैंगिकता पर फैसले के बाद पूरा परिसर इन्द्रधनुषीय रंग से सराबोर हो गया. दो वयस्क लोगों का निजी सम्बन्ध मानते हुए समलैंगिकता को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया परन्तु इस फैसले के लिए अपनाई गयी कानूनी प्रक्रिया पर अनेक सवाल खड़े हो गये हैं.
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Section 377 खत्म होने के बाद इस शख्स ने मनाई ऐसी खुशी, माता-पिता बोले- अब हमारा बेटा अपराधी नहीं
- Friday September 7, 2018
- मोहित चतुर्वेदी
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता (Homosexuality) को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है. इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा.
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शशि थरूर ने समलैंगिकता वैध होने को बताया 'आजादी की सुबह', कहा-बेडरूम में सरकार के लिए जगह नहीं
- Friday September 7, 2018
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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जमकर सराहना की है. कहा है कि एक भारतीय होने के नाते वह गर्व महसूस करते हैं.
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आठ देशों में समलैंगिक संबंध बनाने वालों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान
- Friday September 7, 2018
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के साथ ही भारत उन 125 अन्य देशों के साथ जुड़ गया, जहां समलैंगिकता वैध है. हालांकि दुनियाभर में अब भी 72 ऐसे देश और क्षेत्र हैं जहां समलैंगिक संबंध को अपराध समझा जाता है. इनमें 45 वे देश भी हैं जहां महिलाओं का आपस में यौन संबंध बनाना गैर कानूनी है.
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NEWS FLASH: बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पहुंचे पीएम मोदी और अमित शाह
- Saturday September 8, 2018
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पहले विश्व मोबिलिटी शिखर सम्मेलन ‘मूव’ का उद्घाटन करेंगे. सम्मेलन में अन्य बातों के अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन और साझा मोबिलिटी को प्रोत्साहन जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी.
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धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिलाने पर नजर
- Friday September 7, 2018
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को समलैंगिक अपनी आज़ादी के तौर पर देख रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी लंबी लड़ाई अपने मुकाम तक पहुंची है. अब उनकी नज़र समलैंगिक शादी को क़ानूनी मान्यता दिलाने पर है.
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निजता में घुसपैठ सरकार का काम नहीं
- Thursday September 6, 2018
- रवीश कुमार
कई बार सर्वोच्च अदालत के कुछ फैसलों को इसलिए नहीं पढ़ा जाना चाहिए कि वो आपके हिसाब से आया है, बल्कि इसलिए भी पढ़ा जाना चाहिए कि फैसले तक पहुंचने से पहले तर्कों की प्रक्रिया क्या है. उसकी भाषा क्या है, भाषा की भावना क्या है.
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समलैंगिकता पर सियासत...
- Thursday September 6, 2018
- अखिलेश शर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिक संबंधों को अपराध ठहराने वाली आईपीसी की धारा 377 को समाप्त कर दिया. इस फैसले का जमकर स्वागत हो रहा है. लेकिन इस पर सियासत भी शुरू हो गई है.
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अब महिला और पुरुष के बीच अप्राकृतिक यौनाचार भी अपराध नहीं...
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
गुरुवार सुबह तक भारत में समलैंगिकता को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत अपराध माना जाता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने ऐतिहासिक फैसले में इसे अपराध के दायरे से बाहर कर दिया है.
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