सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि धारा 377 (Section 377) ‘अप्राकृतिक अपराधो’ से संबंधित है ओर इसमें कहा गया है कि जो कोई भी स्वैच्छा से प्राकृतिक व्यवस्था के विपरीत किसी पुरूष, महिला या पशु के साथ गुदा मैथुन करता है तो उसे उम्र कैद या फिर एक निश्चित अवधि के लिये कैद जो दस साल तक बढ़ाई जा सकती है, की सजा होगी और उसे जुर्माना भी देना होगा. शीर्ष अदालत ने हालांकि अपनी व्यवस्था में कहा कि धारा 377 में प्रदत्त पशुओं ओर बच्चों से संबंधित अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित करने को अपराध की श्रेणी में रखने वाले प्रावधान यथावत रहेंगे. असहमति या जबरन बनाए गए संबंध इस धारा के तहत अपराध बने रहेंगे.