Chunaavi Blogs | रतन मणिलाल |मंगलवार फ़रवरी 7, 2017 01:37 PM IST भारत में, और विशेषकर उत्तर भारत के राज्यों में चुनावी प्रचार एक तरह से फ्री-स्टाइल कुश्ती की तर्ज पर होता है जिसमें कोई भी नियम या बंदिश नहीं होती. भले ही भारत का चुनाव आयोग अपने तमाम आदेशों से चुनाव प्रचार के वक्तव्यों, टिप्पणियों और भाषणों के लिए दिशा निर्देश निर्धारित करता रहा हो, लेकिन नेता हैं कि मानते ही नहीं. उनके लिए प्रचार का एक-एक मौका अपनी बात को अतिरंजित कर कहने के लिए इस्तेमाल किया जाता है भले ही इससे किसी की संवेदनाओं पर चोट क्यों न पहुंचती हो.