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This Article is From Jan 19, 2017

क्या उम्मीदों को पूरा करेगा आने वाला आम बजट 2017...?

Ratan Mani Lal
  • बजट ब्लॉग,
  • Updated:
    January 19, 2017 19:07 IST
    • Published On January 19, 2017 19:07 IST
    • Last Updated On January 19, 2017 19:07 IST
देश में – विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में – जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच एक ऐसे प्रकरण पर से ध्यान अचानक हट-सा गया है, जो हम सबके जीवन और भविष्य पर दूरगामी असर डालेगा. यह है वर्ष 2017 का केंद्रीय बजट, जो केवल इस मामले में ही अलग नहीं होने जा रहा कि इसे इस बार 1 फरवरी को पेश किया जाएगा, बल्कि इसलिए भी कि पिछले तीन महीनों से देश के हर नागरिक की ज़िन्दगी और काम को जिस तरह नोटबंदी ने प्रभावित किया है, उसके असर को कम करने के लिए जो भी उपाय किए जाने है, उनकी झलक इस बजट में ज़रूर देखने को मिलने वाली है.

दिल्ली में 19 जनवरी को इस बजट के दस्तावेजों की छपाई परंपरागत तरीके से 'हलवा' रस्म के साथ शुरू हो गई. यह दिलचस्प बात है कि पिछले कई दशकों से चली आ रही इस रस्म में एक बड़ी-सी कढ़ाही में ढेर सारा हलवा बनाया जाता है और उसे मंत्रालय के सारे अधिकारियों और कर्मचारियों में बांटा जाता है. वित्तमंत्री अरुण जेटली और बड़ी संख्या में वित्त मंत्रालय के अधिकारी शाम 4 बजे इस रस्म में हिस्सा लेने आए. एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त मंत्रालय के 100 से भी अधिक अधिकारी जेटली द्वारा बजट पेश किए जाने तक उस प्रेस में ही रहेंगे, जहां बजट के दस्तावेज़ छापे जा रहे हैं.

भले ही इस परंपरा को शिद्दत से निभाया गया हो, लेकिन यह ज़रूर है कि नए प्रस्तावों, आयकर और प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष कर की कई परम्परागत कोशिशों से अलग कुछ किया जाना इस बजट के लिए ज़रूरी हो गया है. पिछले कई महीनों से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस बजट में आयकर देने वालों के लिए बड़ी राहत की घोषणा हो सकती है, और बचत को बढ़ावा देने के लिए कुछ नए कदम सुझाए जा सकते हैं. बड़ी संख्या में देश के लोगों ने पिछले कई वर्षों में जो धन बचाकर रखा था और उसे बड़े नोटों (500 रु और 1000 रु) में बदल लिया था, उसके अचानक गैरकानूनी हो जाने से, और उसे नए और छोटे नोटों में बदलवाने में आई दिक्कतों की वजह से घर में की जा रही बचत बुरी तरह प्रभावित हुई है. ऐसे में कोई आसान योजना आना बहुत ज़रूरी है, जिससे घरों में धन बचाने को प्रोत्साहन दिया जा सके. हालांकि विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसी किसी भी योजना में ज़ोर इस बात पर ही दिया जाएगा कि धन बचाने के लिए उसे नकद के तौर पर घरों में रखने के बजाय बैंकों, पोस्ट ऑफिसों या अन्य किसी नए तरीके से जुड़ी योजना आ सकती है.

देश के आर्थिक मामलों के जानकार इस बात पर सहमत दिखते हैं कि आयकर की सीमा बढ़ाई जा सकती है, आयकर के स्लैबों में परिवर्तन किया जा सकता है, सर्विस टैक्स को वर्तमान दर से बढ़ाकर 18 प्रतिशत किया जा सकता है और नकद खर्च या लेनदेन पर पैन कार्ड की अनिवार्यता को और कड़ा किया जा सकता है. नकदी-रहित अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ाते हुए तमाम तरह के कार्ड या ऑनलाइन पेमेंट पर छूट या प्रोत्साहन की भी घोषणा हो सकती है.

लेकिन सबसे बड़ा बदलाव प्रस्तावित बैंकिंग ट्रांज़ेक्शन टैक्स (बीटीटी या बैंक के लेनदेन पर प्रत्यक्ष टैक्स) से संबंधित है. हालांकि इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी अभी तक नहीं आई है, लेकिन कहा जाता है कि यह प्रकरण विमुद्रीकरण के सुझाव से जुड़ा हुआ है. इसके अंतर्गत, बैंक में जमा धन से कोई भी लेनदेन करने पर एक बिंदु पर ही टैक्स लगाया जाएगा, जो स्वतः कट जाएगा, और इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (जीएसटी) और बीटीटी के बाद किसी और तरह के टैक्स की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी.

लेकिन अभी इस तरह का टैक्स भारत में लगाया जाना थोडा कठिन लगता है, क्योंकि अभी हर नागरिक का बैंक अकाउंट और बैंक अकाउंट से ही सारे लेनदेन होना बहुत व्यापक नहीं है. लेकिन फिर भी, इस दिशा में एक शुरुआत के संकेत इस बजट में मिल सकते हैं.

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने लगभग दो महीने पहले केंद्र सरकार की वेबसाइट पर नागरिकों से बजट 2017-18 के लिए सुझाव मांगे थे और 18 जनवरी तक इस वेबसाइट पर करीब 10,000 सुझाव आ चुके हैं. लोग अपने सुझाव 20 जनवरी तक दे सकते हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि पिछले वर्ष इस वेबसाइट पर 40,000 से अधिक सुझाव आए थे और उनमें से कई को वास्तविक बजट में समाहित भी किया गया था. इस वर्ष के सुझावों पर नज़र डालने से लगता है कि अधिकतर लोग आयकर स्लैबों को बढ़ाने और आयकर की दरों में बदलाव चाहते हैं. यदि इन पर विचार किया गया तो आयकर के क्षेत्र में बड़े बदलाव लगभग तय हैं.

यह भी रोचक है कि बजट पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद आ रहा है, और ऐसे संकेत दिए गए हैं कि इन पांच राज्यों से संबंधित कोई विशिष्ट घोषणाएं नहीं की जाएंगी. लेकिन फिर भी, कुल मिलाकर इस बजट से देश के हर व्यक्ति को बड़ी उम्मीदें हैं, क्योंकि विमुद्रीकरण के बाद घरों के और व्यापार के बजट में आए भूचाल के बाद अब देश के बजट से ही स्थिति संभलने की उम्मीद है. इस दिशा में बजट से वांछित मदद या प्रोत्साहन मिलने पर ही केंद्र की सरकार बड़े आर्थिक या अन्य सुधारों के बारे में सोच सकती है.

रतन मणिलाल वरिष्ठ पत्रकार हैं...

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