Blogs | प्रियदर्शन |सोमवार मार्च 1, 2021 02:26 PM IST ख़ुद बाबूलाल चौरसिया का बयान इसकी पुष्टि नहीं करता. काश कि उन्होंने कहा होता कि कभी वे नाथूराम गोडसे को महान समझते थे और अपनी इस समझ पर अब वे शर्मिंदा हैं. वे गांधी की तरह किसी प्रायश्चित के लिए तैयार हैं. लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें पता ही नहीं था कि जिसका वे जलाभिषेक कर रहे हैं, वह गोडसे की प्रतिमा है. उनसे धोखे से यह काम कराया गया. कहने की ज़रूरत नहीं कि उनकी इस दलील पर किसी को भरोसा नहीं होगा.