India | Reported by: अनुराग द्वारी, Edited by: सूर्यकांत पाठक |मंगलवार दिसम्बर 3, 2019 08:00 PM IST सन 1984 में गैस रिसी और एक शहर तबाह हो गया...तीन दशक से ज्यादा वक्त बीत गया.. लेकिन लाखों लोगों के लिए वक्त 84 में ही ठहर गया. हजारों लोगों को मौत के मुंह में धकेलने वाली भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है, लेकिन अब इस पर कोई बहस नहीं होती. आरोप लगते रहे हैं कि केन्द्र और राज्य सरकारें आज भी पीड़ितों के बजाए यूनियन कार्बाइड और उसके वर्तमान मालिक डाव केमिकल के हितों की रक्षा कर रही हैं. इन सबके बीच इन पीड़ितों की दमदार आवाज़ अब्दुल जब्बार कुछ दिनों पहले गुजर गए. इस बीच गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक और बड़ा आरोप लगाया है कि शोध के ऐसे नतीजे को दबा दिया, जिससे कंपनियों से पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए दायर सुधार याचिका को मजबूती मिल सकती थी.