आईसीसी ने चैनलों पर न सिर्फ कवरेज से रोक लगाई, बल्कि उनके प्रतिनिधियों को बिना कोई कारण बताए प्रेस कॉन्फ्रेन्स से बाहर निकाल दिया गया।
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Mumbai:
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने एक बार फिर तुगलकी फरमान जारी करते हुए चुनिंदा न्यूज़ चैनलों पर न सिर्फ कवरेज करने से रोक लगा दी, बल्कि बेहद गलत तरीके से उन चैनलों के प्रतिनिधियों को बिना कोई कारण बताए प्रेस कॉन्फ्रेन्स से बाहर निकाल दिया गया। आईसीसी की इस रोक के आदेश में मैच प्रैक्टिस तथा प्रेस कॉन्फ्रेन्स भी शामिल हैं।फाइनल मैच से पूर्व आयोजित भारत और श्रीलंका के कप्तानों और आईसीसी अध्यक्ष शरद पवार के संवाददाता सम्मेलन में शामिल होने आए चैनलों प्रतिनिधियों से वानखेड़े स्टेडियम परिसर से बाहर रहने के लिए कहा गया। न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) और आईसीसी के बीच गुरुवार रात लंबी बातचीत होने के बावजूद कवरेज को लेकर कोई बीच का हल नहीं निकल सका। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मोहाली में हुए सेमीफाइनल मैच को लेकर भी इसी तरह की पाबंदी लगाई गई थी, जिसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दखल के बाद यह मामला अस्थायी तौर पर सुलझा था। आईसीसी की इसी पाबंदी की वजह से सेमीफाइनल में प्रिंट मीडिया के कई पत्रकार थे, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चंद पत्रकार ही प्रवेश पा सके। आईसीसी ने कई न्यूज चैनलों पर प्रसारण नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष एकनाथ खड़से ने आईसीसी अध्यक्ष और एनसीपी प्रमुख शरद पवार और 2 जी घोटाले के आरोपी शाहिद बलवा के रिश्तों पर सवाल उठाए थे। हो सकता है कि पवार साहब पत्रकारों के असहज सवालों से बचना चाहते हों, लेकिन इस फैसले से देश जिसे अपना फाइनल बता रहा है, उस तक खबरें पहुंचाना जरूर मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में बगैर कारण आए इस फैसले को तुगलकी ही कहा जाएगा।(इनपुट भाषा से भी)
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