रोनाल्डो यूरो कप के फाइनल में चोटिल हो गए थे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
यूनियन ऑफ़ यूरोपियन फ़ुटबॉल एसोसिशन्स यानी यूएफ़ा ने यूरो 2016 की अपनी बेस्ट इलेवन की घोषणा कर दी है। इस टीम ऑफ़ द टूर्नामेंट में महज़ 4 टीमों के खिलाड़ी शामिल हैं। इनमें 4 खिलाड़ी चैंपियन टीम पुर्तगाल से हैं, 3 जर्मनी से और 2-2 फ़्रांस और वेल्स से हैं। एक नज़र टीम पर डाल लेते हैं और इस टीम में कितने फॉरवर्ड, डिफ़ेंडर और मिडफ़ील्डर शामिल हैं वह भी जानते हैं-
UEFA की यूरो 2016 की टीम ऑफ़ द टूर्नामेंट
पुर्तगाल
फ़्रांस
वेल्स
इन खिलाड़ियों के देखने के बाद भले ही इन पर सवाल न उठे, क्योंकि हर खिलाड़ी ने अपनी टीम के लिए शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन जिन खिलाड़ियों को नहीं चुना गया उनको लेकर सवाल ज़रूर उठ रहे हैं।
नोवी कपाड़िया, फ़ुटबॉल एक्सपर्ट
फ़ुटबॉल विशेषज्ञ नोवी कपाड़िया के मुताबिक वेल्स के गैरथ बेल को इस टीम का हिस्सा होना चाहिए था, लेकिन उन्हें नज़रअंदाज़ किया गया। NDTV ने जब उनसे पूछा कि बेल को किस खिलाड़ी की जगह शामिल किया जाना चाहिए था, तो उन्होंने कहा कि दिमितिरी पायेत की जगह उन्हें टीम का हिस्सा होना चाहिए था। "पायेत ने फ़ाइनल में रोनाल्डो को चोटिल करने के अलावा कुछ खास नहीं किया और बड़े मैचों में पायेत का प्रदर्शन ज्यादा खास नहीं रहता.."
- पायेत के रिकॉर्ड को देखें तो इस टूर्नामेंट में उन्होंने 3 गोल किए और 24 मौके बनाए..जो शानदार है..
नोवी एक और नाम के नहीं होने से खुश नहीं हैं। उनके मुताबिक पुर्तगाल के लिए मिडफ़ील्ड में विलियम कारवाल्हो ने शानदार प्रदर्शन किया है और उन्हें वेल्स के जो एलन या फिर जर्मनी के टोनी क्रूस किसी की भी जगह पर टीम में शामिल किया जा सकता था...
निलांजन दत्ता, फ़ुटबॉल एक्सपर्ट
NDTV से बातचीत में भारतीय फ़ुटबॉल संघ में कार्यरत निलांजन दत्ता ने कहा कि आमतौर पर यह चलन जिसमें क्वार्टरफ़ाइनल के बाद की टीमों से ही खिलाड़ियों को चुना जाता है, उसके चलते कुछ बेहतरीन खिलाड़ी इस टीम में जगह नहीं बना सके, जिन्हें इसका हिस्सा होना चाहिए था। "पहला नाम विश्व के बेस्ट वाइड प्लेयर और वेल्स के कप्तान गैरथ बेल का है। वह पहली बार अपनी टीम को सेमीफ़ाइनल में पहुंचाने में सफल रहे। ऐसे में उनसे बेहतर कोई खिलाड़ी नहीं। उनकी रफ़्तार, दौड़ और विपक्षी घेरे को भेदने की क्षमता उन्हें बेस्ट बनाती है। दूसरा नाम इटली के डिफ़ेंडर लियोनार्डो बोनुच्ची का है, जिनसे स्ट्राइकर्स को हमेशा मुश्किल पेश आती है।"
बोनुच्ची के लिए सपोर्ट की कमी नहीं है, लेकिन किस डिफ़ेंडर की जगह उन्हें शामिल किया जाए यह बड़ा सवाल है। बोआटेंग या पेपे..दोनों ने शानदार खेल दिखाया है। पेपे ने 12 क्लियरेंस किए हैं, 3 ब्लॉक किए हैं, रफ़ैल गरेरो ने 5 क्लियरेंस किए हैं।
इसके अलावा भी देखें तो फ़्रांस के गोलकीपर जो बेस्ट गोलकीपर में ज्यादातर लोगों की पसंद रहे उन्हें नहीं चुना गया। लॉरिस ने 7 मैचों में महज़ 5 गोल खाए हैं और इनमें 3 बार उनके खिलाफ़ कोई गोल नहीं हुआ। मिडफ़ील्ड में पॉल पॉग्बा का नाम भी नहीं होने से कुछ लोग खुश नहीं हैं। लेकिन जब इतने खिलाड़ियों में से महज़ 11 नाम चुने जाएंगे तो ज़ाहिर बात हैं कि कोई खुश होगा और कोई नाराज़ क्योंकि सभी खिलाड़ियों को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता...
UEFA की यूरो 2016 की टीम ऑफ़ द टूर्नामेंट
पुर्तगाल
- क्रिस्टियानो रोनाल्ड, फॉरवर्ड
- पेपे, डिफ़ेंडर
- रफ़ैल गरेरो, डिफ़ेंडर
- रुई पेट्रीशियो, गोलकीपर
- जॉशुआ किम्मिच, मिडफ़ील्डर
- जेरोम बोआटेंग, डिफ़ेंडर
- टोनी क्रूस, मिडफ़ील्डर
फ़्रांस
- एंटोन ग्रीज़मैन, फॉरवर्ड
- दिमित्री पायेत, अटैकिंग मिडफ़ील्डर
वेल्स
- जो एलन, मिडफ़ील्डर
- एरन रैमसी, मिडफ़ील्डर
इन खिलाड़ियों के देखने के बाद भले ही इन पर सवाल न उठे, क्योंकि हर खिलाड़ी ने अपनी टीम के लिए शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन जिन खिलाड़ियों को नहीं चुना गया उनको लेकर सवाल ज़रूर उठ रहे हैं।
नोवी कपाड़िया, फ़ुटबॉल एक्सपर्ट
फ़ुटबॉल विशेषज्ञ नोवी कपाड़िया के मुताबिक वेल्स के गैरथ बेल को इस टीम का हिस्सा होना चाहिए था, लेकिन उन्हें नज़रअंदाज़ किया गया। NDTV ने जब उनसे पूछा कि बेल को किस खिलाड़ी की जगह शामिल किया जाना चाहिए था, तो उन्होंने कहा कि दिमितिरी पायेत की जगह उन्हें टीम का हिस्सा होना चाहिए था। "पायेत ने फ़ाइनल में रोनाल्डो को चोटिल करने के अलावा कुछ खास नहीं किया और बड़े मैचों में पायेत का प्रदर्शन ज्यादा खास नहीं रहता.."
- पायेत के रिकॉर्ड को देखें तो इस टूर्नामेंट में उन्होंने 3 गोल किए और 24 मौके बनाए..जो शानदार है..
नोवी एक और नाम के नहीं होने से खुश नहीं हैं। उनके मुताबिक पुर्तगाल के लिए मिडफ़ील्ड में विलियम कारवाल्हो ने शानदार प्रदर्शन किया है और उन्हें वेल्स के जो एलन या फिर जर्मनी के टोनी क्रूस किसी की भी जगह पर टीम में शामिल किया जा सकता था...
निलांजन दत्ता, फ़ुटबॉल एक्सपर्ट
NDTV से बातचीत में भारतीय फ़ुटबॉल संघ में कार्यरत निलांजन दत्ता ने कहा कि आमतौर पर यह चलन जिसमें क्वार्टरफ़ाइनल के बाद की टीमों से ही खिलाड़ियों को चुना जाता है, उसके चलते कुछ बेहतरीन खिलाड़ी इस टीम में जगह नहीं बना सके, जिन्हें इसका हिस्सा होना चाहिए था। "पहला नाम विश्व के बेस्ट वाइड प्लेयर और वेल्स के कप्तान गैरथ बेल का है। वह पहली बार अपनी टीम को सेमीफ़ाइनल में पहुंचाने में सफल रहे। ऐसे में उनसे बेहतर कोई खिलाड़ी नहीं। उनकी रफ़्तार, दौड़ और विपक्षी घेरे को भेदने की क्षमता उन्हें बेस्ट बनाती है। दूसरा नाम इटली के डिफ़ेंडर लियोनार्डो बोनुच्ची का है, जिनसे स्ट्राइकर्स को हमेशा मुश्किल पेश आती है।"
बोनुच्ची के लिए सपोर्ट की कमी नहीं है, लेकिन किस डिफ़ेंडर की जगह उन्हें शामिल किया जाए यह बड़ा सवाल है। बोआटेंग या पेपे..दोनों ने शानदार खेल दिखाया है। पेपे ने 12 क्लियरेंस किए हैं, 3 ब्लॉक किए हैं, रफ़ैल गरेरो ने 5 क्लियरेंस किए हैं।
इसके अलावा भी देखें तो फ़्रांस के गोलकीपर जो बेस्ट गोलकीपर में ज्यादातर लोगों की पसंद रहे उन्हें नहीं चुना गया। लॉरिस ने 7 मैचों में महज़ 5 गोल खाए हैं और इनमें 3 बार उनके खिलाफ़ कोई गोल नहीं हुआ। मिडफ़ील्ड में पॉल पॉग्बा का नाम भी नहीं होने से कुछ लोग खुश नहीं हैं। लेकिन जब इतने खिलाड़ियों में से महज़ 11 नाम चुने जाएंगे तो ज़ाहिर बात हैं कि कोई खुश होगा और कोई नाराज़ क्योंकि सभी खिलाड़ियों को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता...
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