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पहले चरण की वोटिंग, एनडीए के लिए अग्निपरीक्षा, क्या 2020 वाला दोहराएंगे स्ट्राइक रेट?

बिहार विधानसभा में इस बार चुनाव काफी अहम है. मुद्दा विहीन चुनाव में इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर है.

पहले चरण की वोटिंग, एनडीए के लिए अग्निपरीक्षा, क्या 2020 वाला दोहराएंगे स्ट्राइक रेट?
बिहार चुनाव में एनडीए बनाम महागठबंधन
पटना:

चुनाव राजनीति है , चुनाव युद्ध है , चुनाव शौक है , चुनाव कौशल है , चुनाव पेशा है , चुनाव खेल है , चुनाव ताकत है...आदि, आदि..के बीच कल बिहार के मतदाता पहले चरण का मतदान करेंगे. अधिकांश लोग इस चुनाव को पिछले चुनाव की नजर से देख रहे हैं. लेकिन पिछले पांच सालों में बहुत कुछ बदला है. मसलन सन 2010 के चुनाव में नीतीश कुमार का विकास मुद्दा था तो सन 2015 में आरक्षण बचाओ का अंडर करेंट था. सन 2020 में तेजस्वी के फ्रेश नेतृत्व ने भाजपा और नीतीश को जमकर चुनौती देते दिखे थे, जिसमे चिराग फैक्टर भी शामिल था. 

इस बार के चुनाव में कई फैक्टर 

लेकिन इस बार के चुनाव में पिछले कई फैक्टर गायब हैं. जन सुराज और प्रशांत किशोर मीडिया में एक बड़ी लहर के बाद अचानक शांत हुए तो लालू तेजस्वी ने भी अगड़ा पिछड़ा के मुद्दे को पीछे धकेल दिया है. भाजपा भी धर्मवाद और मंदिर मुद्दे पर शांत है या अब आगे कुछ ज्यादा नहीं बोल रही है. नीतीश महिला और अति पिछड़ा के साथ सभी गैर मुस्लिम यादव को अपने काम गिना रहे हैं. 

एनडीए दो जातियों को किया नजरअंदाज 

इसलिए इस चुनाव को पिछले किसी भी चुनाव की नजर से देखना गलत होगा. टिकट बंटवारे को देखें तो एनडीए ने यादव और मुस्लिम को नजरअंदाज़ किया है. ऐसा लग रहा है था कि एनडीए ये मानकर चल रही है कि इन दो समुदाय का वोट उन्हें बेहद कम या बिल्कुल नहीं मिलेगा. उधर राजद पुनः यादव को थोक में टिकट देकर यह साबित किया है की पार्टी उनके साथ है. ऊपर से भाजपा पहले दिन से ही लालू-राबड़ी राज के कथित जंगलराज के खिलाफ ताबड़तोड़ हमले कर रही है.

तेजस्वी के कई वादे 

दोनों तरफ के घोषणापत्र एक जैसे है. हालांकि अंत समय में तेजस्वी कई लुभावने घोषणा किए हैं लेकिन उनका क्या असर होगा,अभी आकलन करना मुश्किल है. लेकिन एक बात तय है कि टी शर्ट में चुनावी प्रचार को निकले तेजस्वी युवा और नौकरी की बात कर रहे हैं तो एनडीए भी कुछ ऐसे ही एक करोड़ रोजगार सृजन की बात कर रही है.

एनडीए की बड़ी तैयारी 

लेकिन अंत में एनडीए की कोशिश है कि वो पहले चरण में इतना बढ़त बढ़ा ले कि उसे दूसरे चरण में दिक्कत नहीं हो. पटना , गया , तिरहुत , सारण इत्यादि ऐसे प्रमंडल हैं जहां कागज पर एनडीए मजबूत दिख रही है लेकिन इसे कई लोकल मुद्दों पर घेराव भी नजर आ रहा है. लहर विहीन चुनाव में इस बार सबकी नजरें फ्लोटिंग वोटर पर ही टिकी हुई हैं.  

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