पिछले कुछ वर्षों में मीराबाई चानू के प्रदर्शन में काफी सुधार आया है (फाइल फोटो)
- कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पहला गोल्ड दिलाया
- इम्फाल ईस्ट की चानू को शुरुआत में करना पड़ा संघर्ष
- टोक्यो ओलिंपिक 2020 में देश के लिए हैं पदक की उम्मीद
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नई दिल्ली:
देश की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए स्टार भारोत्तोलक साएखोम मीराबाई चानू ने गुरुवार को 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया. मणिपुर की चानू ने इस स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन किया और अपने प्रतिद्वंद्वियों को आस-पास भी नहीं भटकने दिया. खास बात यह है कि इस बड़े खेल आयोजन के लिए मीराबाई को फिजियो भी उपलब्ध नहीं कराया गया था. इसके बावजूद उन्होंने एक साथ राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड और गेम रिकॉर्ड अपने नाम किए. चानू ने स्नैच में 86 का स्कोर किया और क्लीन एंड जर्क में 110 स्कोर करते हुए कुल 196 स्कोर के साथ स्वर्ण अपने नाम किया. पिछले कुछ वर्षों में चानू के प्रदर्शन में काफी सुधार आया है. वह भारतीय भारोत्तोलन की परंपरा की बागडोर अपने हाथ में ले चुकी हैं और आदर्श खिलाड़ी के रूप में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो मीराबाई इस समय भारतीय वेटलिफ्टिंग की 'पोस्टर गर्ल' बनती जा रही हैं. स्नैच और क्लीन एंड जर्क दोनों में चानू का यह व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. उन्होंने साथ ही दोनों में राष्ट्रमंडल खेल का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है. चानू ने विश्व चैम्पियन और नाइजीरिया की ऑगस्टिना नवाओकोलो का गेम रिकॉर्ड तोड़ा, जो 175 किलोग्राम का था. यह रिकॉर्ड उन्होंने 2010 में बनाया था. चानू का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड 194 किलोग्राम का था, जो उन्होंने पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में बनाया था. इसमें उन्होंने खिताबी जीत हासिल की थी.चानू से इस साल एशियाई खेलों और 2020 टोक्यो ओलिंपिक खेलों में भी पदक की उम्मीद है. उनका कहना है कि वह भारत की महिला भारोत्तोलक विश्व चैम्पियन कुंजारानी देवी, 2000 ओलम्पिक खेलों की कांस्य पदक विजेता कर्णम मलेश्वरी, लैशराम मोनिका देवी और संजीता चानू को पछाड़कर देश की नई पहचान बनने के लिए तैयार हैं. इस उपलब्धि तक पहुंचने वाली चानू के लिए जीवन आसान नहीं रहा. 23 वर्षीया चानू इम्फाल ईस्ट जिले की हैं. अन्य भारतीय खिलाड़ियों की तरह ही उन्हें भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. उनके लिए प्रेरणा भारतीय महिला भारोत्तोलक कुंजारानी रही हैं, जो मणिपुर की हैं. 2007 में चानू ने इस खेल में कदम रखा था और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. दक्षिण एशियाई जूनियर खेलों में चानू ने स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही अपनी क्षमता का सबूत दिया.
वीडियो: बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल से खास बातचीत
इसके बाद, उन्होंने 2011 में अंतर्राष्ट्रीय युवा चैम्पियनशिप में भी सोना जीता. वरिष्ठ स्तर पर उनका पहला पदक 2014 में ग्लास्गो में आयोजित हुए राष्ट्रमंडल खेलों में आया. उन्होंने रजत पदक हासिल किया और संजीता चानू ने स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद, 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में और 2017 राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीते. (इनपुट: आईएएनएस)
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इसके बाद, उन्होंने 2011 में अंतर्राष्ट्रीय युवा चैम्पियनशिप में भी सोना जीता. वरिष्ठ स्तर पर उनका पहला पदक 2014 में ग्लास्गो में आयोजित हुए राष्ट्रमंडल खेलों में आया. उन्होंने रजत पदक हासिल किया और संजीता चानू ने स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद, 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में और 2017 राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीते. (इनपुट: आईएएनएस)
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