आज से 9 दिन पहले जब उन्होंने आखिरी बार गांधी परिवार के करीबी से मुलाकात की थी तब अपनी बात रखी थी. (फाइल फोटो)
कांग्रेस पार्टी से खुलेआम बगावत करने वाले सचिन पायलट को अभी तक गांधी परिवार से मिलने का समय तक नहीं मिला है. पायलट ने 30 विधायकों के समर्थन का दावा किया था, जो कि राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार गिराने के लिए पर्याप्त थी. 42 साल के राजस्थान के डिप्टी सीएम अपने समर्थक विधायकों के साथ कल से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. आज से नौ दिन पहले जब उन्होंने आखिरी बार गांधी परिवार के करीबी से मुलाकात की थी तब अपनी बात रखी थी. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि किसी भी बैठक से पहले, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे और सांसद राहुल गांधी ने बातचीत का आधार तय किया. सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार के भरोसेमंद व्यक्ति के माध्यम से अपनी स्थिति बताई, लेकिन इस बार, सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री पद के लिए कुछ भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. ऐसा बताया जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट के अपने भरोसेमंद व्यक्ति के माध्यम से यह बता दिया था कि वह एक समय जरूर मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन उसमें अभी समय लगेगा अभी वह युवा हैं, उन्हें इंतजार करना चाहिए. आखिरकार वह राज्य के डिप्टी सीएम हैं, राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और पांच मंत्रालयों के इंचार्ज भी हैं.
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सचिन पायलट का मानना है कि 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की जीत के बाद अशोक गहलोत का डिप्टी बनना उनकी मेहनत का प्रतिफल नहीं है. तभी से मुख्यमंत्री गहलोत और उनके डिप्टी सहयोगी के बीच दरार केवल चौड़ी होती गई है.
जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मार्च में मध्य प्रदेश में कांग्रेस छोड़ दी, तो 22 विधायक ले गए और कमलनाथ सरकार को गिरा दिया, पायलट ने भी बीजेपी के साथ बातचीत की. सूत्रों ने कहा कि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मिलकर काम कर रहे थे, उन्होंने कहा कि बीजेपी को उम्मीद थी कि वह राज्यसभा चुनावों के दौरान चुनाव लड़ेंगी, लेकिन उनके हाथ निराशा लगी और ऐसा नहीं हो सका.
ऐसा आरोप है कि पिछले महीने राजस्थान में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए हुए चुनावों के दौरान बीजेपी सचिन पायलट के साथ बातचीत चल रही थी. जब सीएम गहलोत ने बीजेपी अपने विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया था. सचिन पायलट ने खुले तौर पर इस तरह की बात को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि सभी कांग्रेस विधायक बरकरार थे, जो उन्होंने कहा, साबित हो गया जब पार्टी ने तीन में से दो राज्यसभा सीटें जीतीं.
गहलोत ने अपनी सरकार को भंग करने के कथित प्रयासों की जांच का आदेश दिया. पायलट के लिए, ब्रेकिंग पॉइंट तब था जब उन्हें स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप द्वारा जांच में पूछताछ के लिए बुलाया गया था. पायलट के करीबी सूत्रों के अनुसार, गहलोत के पास एक सम्मन भी गया, लेकिन जांचकर्ताओं ने मुख्यमंत्री को रिपोर्ट दी.
पायलट ने आज सुबह वरिष्ठ पत्रकार जावेद अंसारी से कहा, "कोई भी अपने घर को नहीं छोड़ना चाहता, लेकिन इस तरह का अपमान जारी नहीं रख सकता. मेरे विधायक और समर्थक बेहद आहत हैं और मुझे उनकी बात सुननी होगी."
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस नेतृत्व को इस मामले को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन पायलट के साथ बैठक से पहले समझौते के न्यूनतम अंक चाहिए थे. जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी थी तो उन्होंने दावा किया था कि उन्हें लगभग एक साल से गांधी परिवार से मिलने की इजाजत नहीं मिली थी.