गुर्जर नेता किरोरी सिंह बैंसला
जयपुर:
एक बार फिर से राजस्थान में गुर्जर आंदोलन की आगल भड़ सकती है. गुर्जर के लिए आरक्षण की सरकार की नीतियों से नाराज गुज्जर समुदाय आदोंलन करने जा रहे हैं. गुर्जर नेता कर्नल किरोरी सिंह बैंसला ने गुर्जर आंदोलन का आह्वान किया है और कहा कि 21 मई से पहले राजस्थान के विभिन्न इलाकों में सड़कों पर उतरेंगे. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए वसुंधरा सरकार के लिए इस आंदोलन से निपटना बड़ी चुनौती हो सकती है.
गुर्जर नेता कर्नल किरोरी सिंह ने कहा कि सरकार हमें 5 फीसदी आरक्षण देती है. सभी वैकेंसियों में हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है. हमलोग 21 मई से पहले पटोली, पीपलखेड़ा, दौसा, सिकंदरा, कोटपुतली, अजमेर, पाली, जालोर, भीलवाड़ा और सवाई माधोपुर में आंदोलन की शुरुआत करेंगे.
राजस्थान में गुर्जरों का आंदोलन खत्म, आरक्षण के लिए विधानसभा में आएगा प्रस्ताव
इससे पहले साल 2006 में भी गुर्जर आंदोलन सुर्खियों में रहा था. 2007 में भी चले आंदोलन में 23 मार्च को पुलिस कार्रवाई में 26 लोग मारे गए थे. 2008 में भी ये आंदोलन फिर से चल पड़ा. दौसा से भरतपुर तक पटरियों और सड़कों पर बैठे गुर्जरों ने रास्ता रोके रखा. पुलिस की कार्रवाई में उन दिनों 38 लोग मारे गए थे.
VIDEO: नेशनल रिपोर्टर : सरकार मानी, गुर्जर आंदोलन हुआ खत्म
गुर्जर नेता कर्नल किरोरी सिंह ने कहा कि सरकार हमें 5 फीसदी आरक्षण देती है. सभी वैकेंसियों में हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है. हमलोग 21 मई से पहले पटोली, पीपलखेड़ा, दौसा, सिकंदरा, कोटपुतली, अजमेर, पाली, जालोर, भीलवाड़ा और सवाई माधोपुर में आंदोलन की शुरुआत करेंगे.
गौरतलब है कि 2015 में भी राजस्थान में गुर्जरों ने आंदोलन किया था. जिसमें सरकार ने कानून बनाकर उन्हें विशेष पिछड़ा वर्ग के तौर पर 5 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था. आठ दिन चले इस आंदोलन का सबसे बुरा असर ट्रेनों पर पड़ा था. इस आंदोलन से करीब 200 करोड़ रुपये के नुकसान का आंकलन किया गया था.Govt is providing us 5% reservation. Injustice is being done to us in all vacancies. We'll launch an agitation before May 21 in Patoli, Pipalkheda, Dausa, Sikandra, Kotputli, Ajmer, Pali, Jalore, Bhilwara & Sawai Madhopur: Col Kirori Singh Bainsla, Gujjar leader (06.05.2018) pic.twitter.com/CwlMVE8oui
— ANI (@ANI) May 7, 2018
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इससे पहले साल 2006 में भी गुर्जर आंदोलन सुर्खियों में रहा था. 2007 में भी चले आंदोलन में 23 मार्च को पुलिस कार्रवाई में 26 लोग मारे गए थे. 2008 में भी ये आंदोलन फिर से चल पड़ा. दौसा से भरतपुर तक पटरियों और सड़कों पर बैठे गुर्जरों ने रास्ता रोके रखा. पुलिस की कार्रवाई में उन दिनों 38 लोग मारे गए थे.
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