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This Article is From Oct 17, 2017

पंजाब में गुरदासपुर सीट के उपचुनाव में मिली करारी हार से 'आप' को लेने होंगे सबक

इसी साल हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में भी आप को इन नौ सीटों पर कुल 1,10,687 वोट मिले थे. अब ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो पार्टी इन सीटों पर महज 23,579 वोटों पर सिमट गई.

पंजाब में गुरदासपुर सीट के उपचुनाव में मिली करारी हार से 'आप' को लेने होंगे सबक
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल.
नई दिल्ली: पंजाब और गोवा में चुनाव बुरी तरह हारने के बाद दिल्ली की आम आदमी पार्टी को दिल्ली के ही चुनाव में जैसे जीवनदान मिला और आत्मविश्वास लबालब भर गया. दिल्ली के विधानसभा चुनाव में पार्टी को छप्पर फाड़ जीत मिली. यानी 70 सीटों की विधानसभा में पार्टी के 67 विधायकों ने दस्तक दी. दिल्ली में मानों विपक्षा का नामोनिशां नहीं रहा. ऐसी जीत ने एक बार फिर पार्टी में आत्मविश्वास भरा और पार्टी फिर नई उड़ान भरने को तैयार हो गई. फिर दिल्ली में हुए एमसीडी के चुनावों में पार्टी को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी और फिर पार्टी की नाव जैसे डगमगाने लगी और फिर दिल्ली की एक विधानसभा के लिए उपचुनाव में पार्टी ने बीजेपी को पटखनी दी. इस जीत के साथ ही पार्टी ने गुजरात और राजस्थान में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. अब पार्टी फिर जब आत्मविश्वास से लबालब है तब फिर पंजाब के उपचुनाव पार्टी के लिए बुरी खबर लेकर आए हैं. एक सीट के लिए हुए उपचुनाव में पार्टी के प्रत्याशी की इतनी बुरी हार का अंदाजा शायद किसी ने नहीं लगाया था. 

आम आदमी पार्टी को 2014 के आम चुनाव में पूरे देश में केवल चार लोकसभा सीटों पर जीत मिली. यह जीत भी पार्टी को पंजाब से ही मिली थी. पार्टी को उम्मीद थी कि राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी सत्ता तक पहुंच जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पार्टी के विधायकों काफी कम रह गई और कांग्रेस पार्टी की सत्ता में वापसी हुई. उल्लेखनीय है कि विधानसभा की 117 सीटों में कांग्रेस ने 77 सीटों पर कब्जा किया, जबकि अकाली-बीजेपी गठबंधन को महज 18 सीटें हासिल हुई थीं. हालांकि पंजाब पर राज करने का सपना संजोये बैठी आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगा था. यहां पार्टी को सिर्फ 20 सीटें हासिल हुईं थी. इसके अलावा लोक इंसाफ पार्टी को 2 सीटें मिली है.

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यह जरूर था कि पार्टी को विपक्षी दल का दर्जा जरूर मिला. रविवार को आए गुरदासपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव नतीजों ने साफ कर दिया है कि यहां के लोगों का पंजाब में विधानसभा में दूसरे नंबर की पार्टी से बुरी तरह मोहभंग हो गया है. बता दें कि इस संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाले सभी नौ विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी हर जगह तीसरे नंबर पर रही थी. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनावों में भी इन सीटों पर आप तीसरे नंबर पर रही थी, लेकिन तब पार्टी को करीब पौने दो लाख वोट मिले थे. इसी साल हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में भी आप को इन नौ सीटों पर कुल 1,10,687 वोट मिले थे. अब ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो पार्टी इन सीटों पर महज 23,579 वोटों पर सिमट गई. इतने कम वोटों के चलते आप प्रत्यासी की जमानत तक जब्त हो गई.

उसके जनाधार में तेजी से गिरावट आई है. पार्टी नेतृत्व के लिए चिंता का कारण है. स्थानीय नेताओं का कहना है कि इस बड़ी हार का कारण यह रहा कि गुरदासपुर सीट पर हुए उपचुनाव में केंद्रीय नेतृत्व से कोई भी नेता प्रचार के लिए नहीं पहुंचा. अहम बात यह है कि आम आदमी पार्टी से न केवल लोगों, बल्कि पार्टी नेताओं का भी मोहभंग हुआ है. नेता एक के बाद एक पार्टी छोड़ रहे हैं. गुरदासपुर उपचुनाव से पहले पार्टी की ओर से पिछला विधानसभा चुनाव लड़े चार नेताओं ने विभिन्न दलों का दामन थाम लिया. इन नेताओं में सुजानपुर विस सीट से प्रत्याशी रहे कुलभूषण मन्हास का नाम पहला है. उनके बाद दीनानगर, कादियां और डेरा बाबा नानक विस सीटों से प्रत्याशी रहे क्रमश: जोगिंदर सिंह छीना, कंवलप्रीत सिंह और गुरिंदर सिंह शामपुरा ने भी आप को अलविदा कहा. पार्टी के पंजाब महासचिव लखबीर सिंह व पूर्व महासचिव सुकृत शारदा ने भी पार्टी छोड़ दी. 

बता दें कि विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी के प्रदेश संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर ने सीडी प्रकरण से नाराज होकर अलग पार्टी बना ली थी. तब छोटेपुर ने केंद्रीय नेतृत्व खासकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सीधा निशाना साधा था. इसके बाद से पंजाब में आप का दायरा तेजी से सिकुड़ रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कभी पंजाब को लेकर आप के केंद्रीय नेतृत्व ने भले ही एड़ी चोटी का जोर लगाया हो, लेकिन पार्टी आम जनता का भरोसा बनाए रखने में बुरी तरह विफल साबित हुई है. 

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पंजाब के गुरदासपुर उप चुनाव के आए नतीजे बीजेपी को जोरदार झटका लगा है. कांग्रेस के कैंडिडेट सुनील जाखड़ ने 1,93,219 वोटों से जीत हासिल की. बीजेपी के लिए दुखद खबर इसलिए है कि क्योंकि गुरदासपुर लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती रही है. कांग्रेस प्रत्याशी सुनील जाखड़ की जीत के बाद बीजेपी खेमें में मायूसी का आलम है, तो वहीं कांग्रेस पार्टी में जश्न का माहौल है

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