कांग्रेस सांसद अंबिका सोनी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
संसद का शीतकालीन सत्र लगभग बिना किसी कामकाज के समाप्त होने के कगार पर पहुंचने के बीच सरकार और विपक्ष ने आज इसके लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया.
कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि सभी चाहते हैं कि संसद चले लेकिन इसका सुचारू संचालन सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है. सोनी ने सवाल किया, ‘‘कौन नहीं चाहता कि संसद चले?..इसे चलाने की जिम्मेदारी सरकार की है. प्रधानमंत्री को आना चाहिए, सदन में बैठना चाहिए और कार्यवाही को सुनना चाहिए. क्या यह प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी नहीं कि विपक्षी सांसदों को क्या बोलना है वह सुनें?’’
बसपा नेता मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री को चर्चा के लिए सदन में आना चाहिए. उन्होंने नोटबंदी की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति की भी मांग की. उन्होंने कहा कि अनियमितताओं की काफी बातें हो रही हैं. माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि सांसद संसद आ रहे हैं क्योंकि वे एक चर्चा चाहते हैं लेकिन गतिरोध को तोड़ने के लिए पहल करना सरकार की जिम्मेदारी है.
विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी सत्र के शुरुआत के दिन से ही चर्चा के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, ‘‘हम इसके लिए विपक्षी दलों से अनुरोध कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए तैयार कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस, वामदल और तृणमूल कांग्रेस सदन की कार्यवाही नहीं चलने दे रहे. उन्होंने कहा कि इन दलों को 16 दिनों तक संसद नहीं चलने देने के लिए लोगों से माफी मांगनी चाहिए.
कुमार ने कहा कि कांग्रेस ने कल भी ‘काला दिवस’ बताकर कार्यवाही चलाने के प्रयास को विफल कर दिया. उन्होंने दावा किया कि विपक्षी पार्टी अब चर्चा की बात कर रही है क्योंकि कार्यवाही बाधित करने को लेकर अब वह नैतिक दबाव महसूस कर रही है.
संसदीय मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी विपक्षी दलों पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘‘16 नवम्बर से अभी तक क्या हो रहा है, यह बाधा नहीं तो क्या है? उन्होंने कहा कि सरकार चर्चा के लिए शुरू से तैयार रही है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि सभी चाहते हैं कि संसद चले लेकिन इसका सुचारू संचालन सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है. सोनी ने सवाल किया, ‘‘कौन नहीं चाहता कि संसद चले?..इसे चलाने की जिम्मेदारी सरकार की है. प्रधानमंत्री को आना चाहिए, सदन में बैठना चाहिए और कार्यवाही को सुनना चाहिए. क्या यह प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी नहीं कि विपक्षी सांसदों को क्या बोलना है वह सुनें?’’
बसपा नेता मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री को चर्चा के लिए सदन में आना चाहिए. उन्होंने नोटबंदी की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति की भी मांग की. उन्होंने कहा कि अनियमितताओं की काफी बातें हो रही हैं. माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि सांसद संसद आ रहे हैं क्योंकि वे एक चर्चा चाहते हैं लेकिन गतिरोध को तोड़ने के लिए पहल करना सरकार की जिम्मेदारी है.
विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी सत्र के शुरुआत के दिन से ही चर्चा के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, ‘‘हम इसके लिए विपक्षी दलों से अनुरोध कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए तैयार कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस, वामदल और तृणमूल कांग्रेस सदन की कार्यवाही नहीं चलने दे रहे. उन्होंने कहा कि इन दलों को 16 दिनों तक संसद नहीं चलने देने के लिए लोगों से माफी मांगनी चाहिए.
कुमार ने कहा कि कांग्रेस ने कल भी ‘काला दिवस’ बताकर कार्यवाही चलाने के प्रयास को विफल कर दिया. उन्होंने दावा किया कि विपक्षी पार्टी अब चर्चा की बात कर रही है क्योंकि कार्यवाही बाधित करने को लेकर अब वह नैतिक दबाव महसूस कर रही है.
संसदीय मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी विपक्षी दलों पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘‘16 नवम्बर से अभी तक क्या हो रहा है, यह बाधा नहीं तो क्या है? उन्होंने कहा कि सरकार चर्चा के लिए शुरू से तैयार रही है.
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