प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
सीबीआई ने 18 वर्ष बाद एक भगोड़े को गिरफ्तार किया है, जिसने खुद को तत्कालीन प्रधानमंत्री का तकनीकी सलाहकार बताकर एक व्यक्ति से कथित तौर पर ठगी की थी।
काम दिलाने का झासा देकर ठगे थे 15 हजार रुपये
सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि दो अगस्त 1999 की तिथि वाली एक शिकायत पर एक मामला दर्ज किया गया था कि जयवर्धन शर्मा ने खुद को भारत के प्रधानमंत्री का तकनीकी सलाहकार बताया और शिकायतकर्ता को संयुक्त राष्ट्र में काम दिलाने के लिए 15 हजार रुपये की ठगी की।
प्रवक्ता ने कहा, 'जांच में यह बात सामने आई कि आरोपी ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता से खुद संपर्क किया था और उसे संयुक्त राष्ट्र का काम दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में पद दिलाने के लिए 60 हजार रुपये की मांग की।' उन्होंने कहा कि उसने कथित तौर पर शिकायकर्ता का नाम संयुक्त राष्ट्र के काम के लिए सिफारिश करने के लिए तत्काल 15 हजार रुपये की मांग की।
सरकारी गेस्ट हाउस में IIT प्रोफेसर बन कर रह रहा था आरोपी
प्रवक्ता ने कहा, 'शिकायतकर्ता ने 26 मार्च 1998 को 15 हजार रुपये का भुगतान किया। आरोपी ने शिकायकर्ता की डायरी में अपना फर्जी टेलीफोन नंबर और पता लिखा, जिसमें उसने खुद को प्रधानमंत्री का तकनीकी सलाहकार बताया। यह भी बात सामने आई कि उस समय आरोपी अहमदाबाद में सरकारी गेस्ट हाउस में आईआईटी के प्रोफेसर के तौर पर रह रहा था।'
प्रवक्ता ने कहा कि आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत एक आरोपपत्र दायर किया गया, लेकिन फरार आरोपी को पकड़ने के प्रयास जारी थे। उन्होंने कहा, 'काफी सावधानीपूर्वक योजना के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार आरोपी को अहमदाबाद की सक्षम अदालत के समक्ष पेश किया जा रहा है।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
काम दिलाने का झासा देकर ठगे थे 15 हजार रुपये
सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि दो अगस्त 1999 की तिथि वाली एक शिकायत पर एक मामला दर्ज किया गया था कि जयवर्धन शर्मा ने खुद को भारत के प्रधानमंत्री का तकनीकी सलाहकार बताया और शिकायतकर्ता को संयुक्त राष्ट्र में काम दिलाने के लिए 15 हजार रुपये की ठगी की।
प्रवक्ता ने कहा, 'जांच में यह बात सामने आई कि आरोपी ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता से खुद संपर्क किया था और उसे संयुक्त राष्ट्र का काम दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में पद दिलाने के लिए 60 हजार रुपये की मांग की।' उन्होंने कहा कि उसने कथित तौर पर शिकायकर्ता का नाम संयुक्त राष्ट्र के काम के लिए सिफारिश करने के लिए तत्काल 15 हजार रुपये की मांग की।
सरकारी गेस्ट हाउस में IIT प्रोफेसर बन कर रह रहा था आरोपी
प्रवक्ता ने कहा, 'शिकायतकर्ता ने 26 मार्च 1998 को 15 हजार रुपये का भुगतान किया। आरोपी ने शिकायकर्ता की डायरी में अपना फर्जी टेलीफोन नंबर और पता लिखा, जिसमें उसने खुद को प्रधानमंत्री का तकनीकी सलाहकार बताया। यह भी बात सामने आई कि उस समय आरोपी अहमदाबाद में सरकारी गेस्ट हाउस में आईआईटी के प्रोफेसर के तौर पर रह रहा था।'
प्रवक्ता ने कहा कि आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत एक आरोपपत्र दायर किया गया, लेकिन फरार आरोपी को पकड़ने के प्रयास जारी थे। उन्होंने कहा, 'काफी सावधानीपूर्वक योजना के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार आरोपी को अहमदाबाद की सक्षम अदालत के समक्ष पेश किया जा रहा है।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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