 
                                            प्रतीकात्मक फोटो.
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                मुंबई: 
                                        मुंबई में ट्रक ट्रांसपोर्टर और पुलिस आमने-सामने हैं. माल ढुलाई कराते ट्रांसपोर्टरों ने पुलिस के ट्रकबंदी के फैसले को चुनौती देने का ऐलान किया है. मंगलवार से प्रतिदिन आठ घंटे भारी वाहन मुंबई में नहीं चल सकेंगे.
आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्टर कांग्रेस के अध्यक्ष बल मलकीत सिंह ने एनडीटीवी इंडिया से स्पष्ट रूप से कहा है कि इससे शहर में आने वाली चीजें महंगी हो जाएंगी. क्योंकि इससे ट्रकों को शहर में माल की डिलीवरी में ज्यादा समय लगेगा. इसके अलावा मुंबई में आने के लिए इसके सीमावर्ती इलाकों में जो भीड़ लगेगी उससे वहां के ट्रैफिक के हालात बिगाड़ेंगे.
उधर मुंबई पुलिस भारी वाहनों को ट्रैफिक जाम की वजह मानती है. लिहाजा वह अपने फैसले से हटने को तैयार नहीं. वैसे ट्रकबंदी के फैसले से चार पहिया गाड़ियों के ड्राइवर खुश हैं. जबकि जानकार ऐसे फैसलों को समस्या का असली समाधान नहीं मानते.
मुंबई के अशोक दातार यातायात विशेषज्ञ हैं. उनका कहना है कि ट्रकबंदी से मसला हल नहीं होगा. मुंबई को जरूरत बस लेन और ऑड-ईवन की है. बस लेन से अभी के मुकाबले तीन गुना ज्यादा यात्री अधिक गति से सफर करेंगे. साथ ही ऑड-ईवन से सड़कों से 20 फीसदी ट्रैफिक कम होगा. इससे मुसाफिरों को भी सहूलियत होगी.
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मुंबई में हर दिन चलने वाले माल ढुलाई के वाहन महज ढाई लाख के करीब हैं. जबकि प्रवासी वाहन 29 लाख 72 हजार होते हैं. ऐसे में बीमारी कुछ और इलाज कुछ और होता दिख रहा है. यह इसलिए क्योंकि सरकार निजी चार पहिया वाहन चलाने वालों के दबाव के सामने कमजोर है, कड़े फैसले करने से डरती है.
                                                                        
                                    
                                आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्टर कांग्रेस के अध्यक्ष बल मलकीत सिंह ने एनडीटीवी इंडिया से स्पष्ट रूप से कहा है कि इससे शहर में आने वाली चीजें महंगी हो जाएंगी. क्योंकि इससे ट्रकों को शहर में माल की डिलीवरी में ज्यादा समय लगेगा. इसके अलावा मुंबई में आने के लिए इसके सीमावर्ती इलाकों में जो भीड़ लगेगी उससे वहां के ट्रैफिक के हालात बिगाड़ेंगे.
उधर मुंबई पुलिस भारी वाहनों को ट्रैफिक जाम की वजह मानती है. लिहाजा वह अपने फैसले से हटने को तैयार नहीं. वैसे ट्रकबंदी के फैसले से चार पहिया गाड़ियों के ड्राइवर खुश हैं. जबकि जानकार ऐसे फैसलों को समस्या का असली समाधान नहीं मानते.
मुंबई के अशोक दातार यातायात विशेषज्ञ हैं. उनका कहना है कि ट्रकबंदी से मसला हल नहीं होगा. मुंबई को जरूरत बस लेन और ऑड-ईवन की है. बस लेन से अभी के मुकाबले तीन गुना ज्यादा यात्री अधिक गति से सफर करेंगे. साथ ही ऑड-ईवन से सड़कों से 20 फीसदी ट्रैफिक कम होगा. इससे मुसाफिरों को भी सहूलियत होगी.
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मुंबई में हर दिन चलने वाले माल ढुलाई के वाहन महज ढाई लाख के करीब हैं. जबकि प्रवासी वाहन 29 लाख 72 हजार होते हैं. ऐसे में बीमारी कुछ और इलाज कुछ और होता दिख रहा है. यह इसलिए क्योंकि सरकार निजी चार पहिया वाहन चलाने वालों के दबाव के सामने कमजोर है, कड़े फैसले करने से डरती है.
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                                        मुंबई, ट्रांसपोर्टर, मुंबई पुलिस, भारी वाहन प्रतिबंधित, Mumbai, Transporters, Mumbai Police, Traffic, Heavy Vehicles
                            
                        