विज्ञापन
This Article is From Feb 24, 2016

रेल बजट 2016 - मुंबई में थोड़ा है, ज्यादा की जरूरत है...

रेल बजट 2016 - मुंबई में थोड़ा है, ज्यादा की जरूरत है...
प्रतीकात्मक चित्र
मुंबई: रेल बजट 2016 से मुंबई को एक बार फिर काफी आस है। खासकर सुरेश प्रभु से जो देश की आर्थिक राजधानी और उसकी जरूरतों को बेहतर समझते हैं। जान जोखिम में डालकर रोजाना भीड़ में सफर मुंबई की मजबूरी है। 1700 की क्षमता वाली ट्रेनों में 3600 से ज्यादा मुसाफिर समाए रहते हैं। मुंबई के 3 ट्रैक वेस्ट, सेंट्रल और हॉर्बर 2342 फेरियां में 75 लाख की भीड़ से बेदम हो जाते हैं।

मुंबई में लोकल औसतन हर दिन दस जिंदगियां लील लेती है। 2001 से अब तक 51000 लोग मुंबई की लोकल में जान गंवा चुके हैं। ऐसे में मुसाफिरों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। रोजाना कॉलेज के लिए अंधेरी से बेलापुर जाने वाले चिंतन को लगता है, "फर्स्ट क्लास के ज्यादा डिब्बे होने चाहिए। सुबह के समय ट्रेन की फ्रीक्वेंसी भी बढ़नी चाहिए। उस वक्त बहुत भीड़ होती है।'

हॉर्बर लाइन में कारोबार चलाने वाले युनूस की राय है, "अगर पनवेल से कुर्ला तक ट्रेनें चला दें तो अच्छा रहेगा, क्योंकि वहां बहुत भीड़ हो जाती है।" निजी कंपनी में इंजीनियर तृप्ति का मानना है, "महिलाओं के डिब्बे में सुरक्षा के और इंतजाम होने चाहिए। कई बार ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी मौजूद नहीं होते हैं। ऐसे में उनकी मौजूदगी सुनिश्चित की जानी चाहिए।"

पिछले बजट में मुंबई को साढ़े ग्यारह हजार करोड़ की सौगात एमयूटीपी-3 के तहत मिली थी, जिसमें नए स्टेशन, रूट और रेलें शामिल थीं, लेकिन महिलाओं के डिब्बों में सीसीटीवी से लेकर सुरक्षा के वायदों का मुंबई को अभी तक इंतजार ही है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
रेल बजट 2016, बजट2016, मुंबई, सुरेश प्रभु, मुंबई लोकल, Railway Budget 2016, Budget2016, Mumbai, Suresh Prabhu, Mumbai Local
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com