समाजसेवी डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर (फाइल फोटो)
मुंबई:
समाजसेवी डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच में जुटी सीबीआई ने इस केस में पहले आरोपी डॉ. वीरेन्द्र तावड़े की गिरफ्तारी के बाद कई अहम सुराग मिलने का दावा किया है। सीबीआई सूत्रों की मानें तो दाभोलकर हत्याकांड का मास्टरमाइंड डॉ. वीरेन्द्र तावड़े ही है।
सीबीआई ने 1 जून को नवी मुंबई से सटे पनवेल में स्थित हिन्दू जनजागृति संस्था के सर्वर और मोबाइल खंगालने के बाद कई खुलासे किये हैं। एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि वीरेन्द्र तावड़े 8 ई-मेल का इस्तेमाल करता था। तावड़े ईमेल के ज़रिये 2009 गोवा धमाकों के फरार आरोपी सारंग अकोलकर के संपर्क में था। तावड़े और अकोलकर के बीच 18 ऐसे ई-मेल का आदान-प्रदान हुआ जिसमें डॉ. दाभोलकर का जिक्र था। ई-मेल के जरिये एजेंसी को ये भी पता लगा है कि दोनों की जोड़ी हिन्दू विरोधी ताकतों को ठिकाने लगाने के लिए 15000 लोगों की तैनाती का मंसूबा पाले बैठी थी।
सीबीआई सूत्रों का ये भी कहना है कि दोनों ई-मेल में भी कोड भाषा का ही इस्तेमाल करते थे, मसलन देसी बंदूक के लिए देसी साहित्य और विदेशी पिस्तौल के विदेशी साहित्य का ज़िक्र था। दोनों असलहों का कारखाना भी खोलना चाहते थे। फॉरेंसिक रिपोर्ट ये भी कहती है कि दाभोलकर की हत्या में इस्तेमाल हथियार से ही कॉमरेड गोविंद पानसरे का मर्डर हुआ, जबकि पानसरे की हत्या में इस्तेमाल दूसरे हथियार से कलबुर्गी की जान ली गई। सूत्रों का ये भी कहना है कि रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बावजूद दो महीने पहले तक अकोलकर और डॉ. तावड़े के बीच मुलाकात होती रही।
महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा के खिलाफ अलख जगाने निकले डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को टहलने के दौरान ओंकारेश्वर पुल के पास हत्या कर दी गई थी।
सीबीआई ने 1 जून को नवी मुंबई से सटे पनवेल में स्थित हिन्दू जनजागृति संस्था के सर्वर और मोबाइल खंगालने के बाद कई खुलासे किये हैं। एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि वीरेन्द्र तावड़े 8 ई-मेल का इस्तेमाल करता था। तावड़े ईमेल के ज़रिये 2009 गोवा धमाकों के फरार आरोपी सारंग अकोलकर के संपर्क में था। तावड़े और अकोलकर के बीच 18 ऐसे ई-मेल का आदान-प्रदान हुआ जिसमें डॉ. दाभोलकर का जिक्र था। ई-मेल के जरिये एजेंसी को ये भी पता लगा है कि दोनों की जोड़ी हिन्दू विरोधी ताकतों को ठिकाने लगाने के लिए 15000 लोगों की तैनाती का मंसूबा पाले बैठी थी।
सीबीआई सूत्रों का ये भी कहना है कि दोनों ई-मेल में भी कोड भाषा का ही इस्तेमाल करते थे, मसलन देसी बंदूक के लिए देसी साहित्य और विदेशी पिस्तौल के विदेशी साहित्य का ज़िक्र था। दोनों असलहों का कारखाना भी खोलना चाहते थे। फॉरेंसिक रिपोर्ट ये भी कहती है कि दाभोलकर की हत्या में इस्तेमाल हथियार से ही कॉमरेड गोविंद पानसरे का मर्डर हुआ, जबकि पानसरे की हत्या में इस्तेमाल दूसरे हथियार से कलबुर्गी की जान ली गई। सूत्रों का ये भी कहना है कि रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बावजूद दो महीने पहले तक अकोलकर और डॉ. तावड़े के बीच मुलाकात होती रही।
महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा के खिलाफ अलख जगाने निकले डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को टहलने के दौरान ओंकारेश्वर पुल के पास हत्या कर दी गई थी।
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