मुंबई का एक ट्रैफिक पुलिस कर्मी.
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                मुंबई: 
                                        मुंबई ट्रैफिक पुलिस कैशलेस हो गई है. मुंबई में सड़क पर तैनात कोई भी ट्रैफिक पुलिस कर्मी नकद में जुर्माना नहीं ले सकता. माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए यह पहल की गई है.
मुंबई में तैनात ट्रैफिक पुलिस कार्मियों के हाथ में अब रसीद बुक की जगह एम स्वाइप मशीन और कमर में बड़े बैग की जगह छोटा प्रिंटर आ गया है. यातायात नियम तोड़ने वालों से अब यह कार्ड के जरिए जुर्माना ले रहे हैं, नगद नहीं. जिनके पास क्रेडिट या डेबिट कार्ड नहीं है उन्हें पर्ची देकर किसी भी वोडाफोन सेंटर या फिर ट्रैफिक चौकी में जाकर पैसे भरने को कहा जाता है.
मुंबई ट्रैफिक पुलिस के मुखिया और सहआयुक्त मिलिंद भारम्बे ने बताया कि वहां भी अधिकृत एजेंसी के प्रतिनिधि पैसे लेंगे. किसी भी हालात में कोई भी ट्रैफिक पुलिस वाला नकद नहीं जमा करेगा. इसकी शुरुआत इस साल से शुरू की गई. चौकी पर भी रुपये जमा करने की व्यवस्था भी सिर्फ कुछ समय तक के लिए है क्योंकि बहुत से टेम्पो ट्रक, ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों के पास क्रेडिट या डेबिट कार्ड नहीं हैं.
मुंबई में तकरीबन 6000 चालान रोजाना कटते हैं. हाईटेक होती मुंबई ट्रैफिक पुलिस सिर्फ कैशलेस ही नहीं हुई है वह नियम तोड़कर भागने वालों को एम स्वाइप डिवाइस से कंट्रोल रूम की तरह चालान भी भेज रही है. हालांकि शुरुआती दौर में इस पहल से जुड़ी कुछ समस्याएं भी सामने आई हैं. कभी नेट नहीं मिलता और कभी नाराज लोग मिल जाते हैं. लेकिन यह देश में पूरी तरह से कैशलेस होने वाली पहली ट्रैफिक पुलिस बन चुकी है.
कहा जा रहा है कि कैशलेश का मतलब भ्रष्टाचार खत्म. पर यह तो तब होगा जब सामने वाला जुर्माना भरने को तैयार हो. अगर वो पहले की तरह ले-देकर निकलना चाहे तब क्या ? बहरहाल मुंबई ट्रैफिक पुलिस की यह पहला काबिले तारीफ जरूर है.
                                                                        
                                    
                                मुंबई में तैनात ट्रैफिक पुलिस कार्मियों के हाथ में अब रसीद बुक की जगह एम स्वाइप मशीन और कमर में बड़े बैग की जगह छोटा प्रिंटर आ गया है. यातायात नियम तोड़ने वालों से अब यह कार्ड के जरिए जुर्माना ले रहे हैं, नगद नहीं. जिनके पास क्रेडिट या डेबिट कार्ड नहीं है उन्हें पर्ची देकर किसी भी वोडाफोन सेंटर या फिर ट्रैफिक चौकी में जाकर पैसे भरने को कहा जाता है.
मुंबई ट्रैफिक पुलिस के मुखिया और सहआयुक्त मिलिंद भारम्बे ने बताया कि वहां भी अधिकृत एजेंसी के प्रतिनिधि पैसे लेंगे. किसी भी हालात में कोई भी ट्रैफिक पुलिस वाला नकद नहीं जमा करेगा. इसकी शुरुआत इस साल से शुरू की गई. चौकी पर भी रुपये जमा करने की व्यवस्था भी सिर्फ कुछ समय तक के लिए है क्योंकि बहुत से टेम्पो ट्रक, ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों के पास क्रेडिट या डेबिट कार्ड नहीं हैं.
मुंबई में तकरीबन 6000 चालान रोजाना कटते हैं. हाईटेक होती मुंबई ट्रैफिक पुलिस सिर्फ कैशलेस ही नहीं हुई है वह नियम तोड़कर भागने वालों को एम स्वाइप डिवाइस से कंट्रोल रूम की तरह चालान भी भेज रही है. हालांकि शुरुआती दौर में इस पहल से जुड़ी कुछ समस्याएं भी सामने आई हैं. कभी नेट नहीं मिलता और कभी नाराज लोग मिल जाते हैं. लेकिन यह देश में पूरी तरह से कैशलेस होने वाली पहली ट्रैफिक पुलिस बन चुकी है.
कहा जा रहा है कि कैशलेश का मतलब भ्रष्टाचार खत्म. पर यह तो तब होगा जब सामने वाला जुर्माना भरने को तैयार हो. अगर वो पहले की तरह ले-देकर निकलना चाहे तब क्या ? बहरहाल मुंबई ट्रैफिक पुलिस की यह पहला काबिले तारीफ जरूर है.
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