- बोरीवली RPF थाना इंचार्ज के मुताबिक जनवरी से अब तक खुदकुशी के 40 मामले
 - मुंबई लोकल के स्टेशन, प्रशासन-पुलिस के लिए चिंता का विषय बन चुके हैं
 - 2013 में खुदकुशी का आंकड़ा 62, 2014 में 33, और 2015 में 32 रहा था
 
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                                                                                मुंबई: 
                                        सुबह के 10 बज रहे थे। विक्रोली रेलवे स्टेशन पर रोज की तरह उस दिन भी यात्रियों की भीड़ थी। उस भीड़ में हाथ में छाता लिए एक शख्स भी खड़ा था। जैसे ही लोकल ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आई, वह शख्स अचानक कूदकर पटरी पर लेट गया। मोटरमैन कुछ समझ पाता, तब तक उसके शरीर के दो टुकड़े हो चुके थे।
मुंबई में इन दिनों ऐसी घटनाएं आम हो चुकी हैं, और बोरीवली आरपीएफ थाना इंचार्ज राजीव सिंह के मुताबिक इस साल जनवरी माह से अब तक 40 लोग ख़ुदकुशी कर चुके हैं।
राजीव सिंह के मुताबिक, ख़ुदकुशी करने वालों में युवा से लेकर बुजुर्ग तक हैं और ज्यादातर की वजह बेरोजगारी, निजी समस्या, कर्ज का बोझ और लंबी बीमारी रही है।
मुंबई में ख़ुदकुशी प्वाइंट बनते जा रहे रहे मुंबई लोकल के स्टेशन, रेलवे प्रशासन और पुलिस दोनों के लिए चिंता का विषय बन चुके हैं।
रेलवे से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक सालभर में अमूमन 30 से 32 लोग रेलगाड़ियों के नीचे आकर ख़ुदकुशी करते हैं, लेकिन इस बार सात महीने के भीतर ही अब तक 40 लोग ख़ुदकुशी कर चुके हैं। वैसे साल 2013 में भी ख़ुदकुशी का आंकड़ा 62 तक पहुंचा था, जबकि 2014 में यह आंकड़ा 33 था, जिनमें पांच महिलाएं भी शामिल थीं, और साल 2015 में कुल 32 लोगों ने जान दी, जिनमें दो महिलाएं थीं।
                                                                        
                                    
                                मुंबई में इन दिनों ऐसी घटनाएं आम हो चुकी हैं, और बोरीवली आरपीएफ थाना इंचार्ज राजीव सिंह के मुताबिक इस साल जनवरी माह से अब तक 40 लोग ख़ुदकुशी कर चुके हैं।
राजीव सिंह के मुताबिक, ख़ुदकुशी करने वालों में युवा से लेकर बुजुर्ग तक हैं और ज्यादातर की वजह बेरोजगारी, निजी समस्या, कर्ज का बोझ और लंबी बीमारी रही है।
मुंबई में ख़ुदकुशी प्वाइंट बनते जा रहे रहे मुंबई लोकल के स्टेशन, रेलवे प्रशासन और पुलिस दोनों के लिए चिंता का विषय बन चुके हैं।
रेलवे से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक सालभर में अमूमन 30 से 32 लोग रेलगाड़ियों के नीचे आकर ख़ुदकुशी करते हैं, लेकिन इस बार सात महीने के भीतर ही अब तक 40 लोग ख़ुदकुशी कर चुके हैं। वैसे साल 2013 में भी ख़ुदकुशी का आंकड़ा 62 तक पहुंचा था, जबकि 2014 में यह आंकड़ा 33 था, जिनमें पांच महिलाएं भी शामिल थीं, और साल 2015 में कुल 32 लोगों ने जान दी, जिनमें दो महिलाएं थीं।
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