मुंबई:
बंबई हाईकोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को 31 मंजिला आदर्श कोपरेटिव हाउसिंग सोसायटी को ध्वस्त करने का आदेश दिया लेकिन इस आदेश पर 12 हफ्ते के लिए स्थगन भी लगाया है। हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आदर्श सोसायटी के अवैध निर्माण को लेकर नौकरशाहों एवं नेताओं के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया।
बता दें कि इस बिल्डिंग के विवाद के चलते ही कांग्रेस पार्टी के राज्य में मुख्यमंत्री रहे अशोक चव्हाण को पद से इस्तीफा देना पड़ा था और जांच में उनका नाम भी घसीटा गया।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद आज अशोक चव्हाण ने कहा कि वह कोर्ट के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। वहीं, इस बिल्डिंग में फ्लैट पाने वाले कई लोगों ने कहा कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है। वे इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
बता दें कि 2014 में चव्हाण को बॉम्बे हाईकोर्ट से भले राहत मिली थी, लेकिन इस मामले में मौजूदा मंत्री रिटायर्ड जेनरल वीके सिंह पर तमाम सवाल उठे। सेना के ही अफसरों ने उन पर गंभीर आरोप लगाये थे और पूरे मामले को उनके और पूर्व जनरल दीपक कपूर के झगड़े का नतीजा बताया था। इस मामले में उन्होंने पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी और पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण को भी कठघरे में खड़ा किया है।
वहीं, आदर्श सोसायटी के सदस्यों ने दावा किया था कि सोसायटी जिस ज़मीन पर खड़ी है, वह सेना की नहीं है। आरटीआई के जरिये जुटाई जानकारी के आधार पर सोसायटी के चेयरमैन और रिटायर्ड ब्रिगेडियर टीके सिन्हा ने कहा 'सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी हमें मिली है, वह बताती है कि रक्षा मंत्रालय के पास ज़मीन के मालिकाना हक़ से जुड़ा कोई दस्तावेज़ या जानकारी नहीं है, ये ज़मीन महाराष्ट्र सरकार की है जिसे सोसायटी ने 26 करोड़ रुपये चुकाकर ख़रीदा था।
डिफेंस एस्टेट ऑफिस के पूर्व सचिव आरसी ठाकुर ने इस पूरे विवाद का ठीकरा एके एंटनी और रिटायर्ड जनरल वीके सिंह पर फोड़ते हुए कहा था, एंटनी साहब के राज में, वीके सिंह के राज में हम बहुत रोए हैं, हमारी आंखें अभी तक गीली हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि आदर्श विवाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे और पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी के बीच झगड़े का भी नतीजा है। चूंकि ज़मीन शिंदे साहब ने दी थी इसलिए एंटनी ने उसमें अड़ंगा लगाया।
बता दें कि इस बिल्डिंग के विवाद के चलते ही कांग्रेस पार्टी के राज्य में मुख्यमंत्री रहे अशोक चव्हाण को पद से इस्तीफा देना पड़ा था और जांच में उनका नाम भी घसीटा गया।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद आज अशोक चव्हाण ने कहा कि वह कोर्ट के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। वहीं, इस बिल्डिंग में फ्लैट पाने वाले कई लोगों ने कहा कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है। वे इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
बता दें कि 2014 में चव्हाण को बॉम्बे हाईकोर्ट से भले राहत मिली थी, लेकिन इस मामले में मौजूदा मंत्री रिटायर्ड जेनरल वीके सिंह पर तमाम सवाल उठे। सेना के ही अफसरों ने उन पर गंभीर आरोप लगाये थे और पूरे मामले को उनके और पूर्व जनरल दीपक कपूर के झगड़े का नतीजा बताया था। इस मामले में उन्होंने पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी और पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण को भी कठघरे में खड़ा किया है।
वहीं, आदर्श सोसायटी के सदस्यों ने दावा किया था कि सोसायटी जिस ज़मीन पर खड़ी है, वह सेना की नहीं है। आरटीआई के जरिये जुटाई जानकारी के आधार पर सोसायटी के चेयरमैन और रिटायर्ड ब्रिगेडियर टीके सिन्हा ने कहा 'सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी हमें मिली है, वह बताती है कि रक्षा मंत्रालय के पास ज़मीन के मालिकाना हक़ से जुड़ा कोई दस्तावेज़ या जानकारी नहीं है, ये ज़मीन महाराष्ट्र सरकार की है जिसे सोसायटी ने 26 करोड़ रुपये चुकाकर ख़रीदा था।
डिफेंस एस्टेट ऑफिस के पूर्व सचिव आरसी ठाकुर ने इस पूरे विवाद का ठीकरा एके एंटनी और रिटायर्ड जनरल वीके सिंह पर फोड़ते हुए कहा था, एंटनी साहब के राज में, वीके सिंह के राज में हम बहुत रोए हैं, हमारी आंखें अभी तक गीली हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि आदर्श विवाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे और पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी के बीच झगड़े का भी नतीजा है। चूंकि ज़मीन शिंदे साहब ने दी थी इसलिए एंटनी ने उसमें अड़ंगा लगाया।
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