बीएमसी चुनाव में इस बार रिकॉर्ड मतदान हुआ
- कई वोटरों को पोलिंग बूथ से निराश लौटना पड़ा
- अभिनेता वरुण धवन का नाम भी सूची में नहीं था
- इस मामले में चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे राजनीतिक दल
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मुंबई:
मुंबई महानगरपालिका चुनाव में लाखों लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पाए. विपक्षी दलों को इसमें सियासी साजिश नज़र आ रही है, वहीं महाराष्ट्र चुनाव आयोग का कहना है कि उसने कोई फेर-बदल नहीं किया और केंद्रीय चुनाव आयोग की सूची को जस का तस रखा गया है.
मंगलवार को फिल्म अभिनेता वरुण धवन जुहू के सेंट जोसफ हाईस्कूल में बने मतदान केंद्र पर वोट डालने तो पहुंचे, लेकिन उनका नाम मतदाता सूची में नहीं था. वरुण ने कहा, 'ये बहुत अजीब है. पिछले साल मैंने यहीं वोट डाला था लेकिन इस बार मेरा नाम नहीं है, मैं वेबसाइट में देखकर पता करूंगा कि मेरा नाम कहां है.' कई आम नागरिकों को भी पोलिंग बूथ से निराश होकर लौटना पड़ा. मुंबई महानगरपालिका के लिए इस बार वोटिंग का रिकॉर्ड टूटा और मतदान लगभग 11 फीसदी बढ़ा. 92 लाख मतदाताओं में से तकरीबन 56 फीसदी ने वोट डाला, लेकिन लगभग 11 लाख यानी 13 फीसदी मतदाताओं के नाम लिस्ट से गायब थे.
चुनाव आयोग का कहना है कि उन्होंने केंद्रीय चुनाव की लिस्ट को ही कॉपी किया है. महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव आयुक्त जेएस सहारिया ने कहा, 'हमने कोई नाम जोड़ा या घटाया नहीं है. 5 जनवरी से पहले जिसका नाम मतदाता सूची में था और जो सूची भारतीय निर्वाचन आयोग ने दी थी, उसी को हमने बरक़रार रखा. लोग 2012 की सूची की तुलना 2017 से कर रहे हैं. उस वक्त लगभग 1.02 करोड़ मतदाता थे, लेकिन इस बीच कई लोगों का तबादला होता है, कुछ लोगों की मौत होती है तो इसमें कुछ नया नहीं है.'
वहीं, राजनीतिक दलों का आरोप है कि 7000 से ज्यादा बूथों में से हर एक में औसतन 100 मतदाताओं के नाम गायब थे. अपनी शिकायत वो चुनाव आयोग के पास लेकर जाने वाले हैं. वैसे चुनाव आयोग के पास जवाब तैयार है कि 5 साल में 12 लाख वोटरों का लिस्ट से निकलना आयोग के लिए हैरतभरा नहीं, बल्कि सामान्य बात है.
मंगलवार को फिल्म अभिनेता वरुण धवन जुहू के सेंट जोसफ हाईस्कूल में बने मतदान केंद्र पर वोट डालने तो पहुंचे, लेकिन उनका नाम मतदाता सूची में नहीं था. वरुण ने कहा, 'ये बहुत अजीब है. पिछले साल मैंने यहीं वोट डाला था लेकिन इस बार मेरा नाम नहीं है, मैं वेबसाइट में देखकर पता करूंगा कि मेरा नाम कहां है.' कई आम नागरिकों को भी पोलिंग बूथ से निराश होकर लौटना पड़ा. मुंबई महानगरपालिका के लिए इस बार वोटिंग का रिकॉर्ड टूटा और मतदान लगभग 11 फीसदी बढ़ा. 92 लाख मतदाताओं में से तकरीबन 56 फीसदी ने वोट डाला, लेकिन लगभग 11 लाख यानी 13 फीसदी मतदाताओं के नाम लिस्ट से गायब थे.
चुनाव आयोग का कहना है कि उन्होंने केंद्रीय चुनाव की लिस्ट को ही कॉपी किया है. महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव आयुक्त जेएस सहारिया ने कहा, 'हमने कोई नाम जोड़ा या घटाया नहीं है. 5 जनवरी से पहले जिसका नाम मतदाता सूची में था और जो सूची भारतीय निर्वाचन आयोग ने दी थी, उसी को हमने बरक़रार रखा. लोग 2012 की सूची की तुलना 2017 से कर रहे हैं. उस वक्त लगभग 1.02 करोड़ मतदाता थे, लेकिन इस बीच कई लोगों का तबादला होता है, कुछ लोगों की मौत होती है तो इसमें कुछ नया नहीं है.'
वहीं, राजनीतिक दलों का आरोप है कि 7000 से ज्यादा बूथों में से हर एक में औसतन 100 मतदाताओं के नाम गायब थे. अपनी शिकायत वो चुनाव आयोग के पास लेकर जाने वाले हैं. वैसे चुनाव आयोग के पास जवाब तैयार है कि 5 साल में 12 लाख वोटरों का लिस्ट से निकलना आयोग के लिए हैरतभरा नहीं, बल्कि सामान्य बात है.
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