प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:
मुंबई के मलाड इलाके में हिंदू मुस्लिम एकता का एक नया चेहरा सामने आया जब मुस्लिम समाज के लोगों ने एक हिन्दू अनाथ वृद्धा का हिंदू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया। 60 साल की सकु बाई का यूं तो कोई सगा संबंधी नहीं था, लेकिन शव यात्रा का मंजर बता रहा था कि वो अकेली नहीं थी। मलाड की इस हिंदू महिला का अंतिम संस्कार उसके मुस्लिम पड़ोसियों ने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार किया।
1962 में आई थीं मुस्लिम बहुलता वाले इलाके में
सकु बाई अपने पति के साथ मुस्लिम बहुलता वाले इलाके में 1962 में आई थीं। इस दंपति की कोई संतान नहीं थी। पति की मौत के बाद सकु बाई का कोई सगा संबंधी नहीं रहा। सकु बाई दूसरे घरों में काम करके जीवन निर्वाह करती थीं। कुछ दिनों पहले बीमार पड़ने पर उनके इन्हीं पड़ोसियों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया, और उनकी मौत के बाद शुक्रवार को उनका दाह संस्कार किया।
पड़ोसियों ने ही किया था पति का भी अंतिम संस्कार
इससे पहले भी सकु बाई के पड़ोसियों ने ही उनके पति का भी अंतिम संस्कार किया था। जब 2002 के गुजरात दंगों के ठीक बाद साम्प्रदायिकता का माहोल था तब भी सकु बाई के पड़ोसियों ने ही हिंदू रीति रिवाज़ के मुताबिक उनके पति का अंतिम संस्कार करके हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की थी।
1962 में आई थीं मुस्लिम बहुलता वाले इलाके में
सकु बाई अपने पति के साथ मुस्लिम बहुलता वाले इलाके में 1962 में आई थीं। इस दंपति की कोई संतान नहीं थी। पति की मौत के बाद सकु बाई का कोई सगा संबंधी नहीं रहा। सकु बाई दूसरे घरों में काम करके जीवन निर्वाह करती थीं। कुछ दिनों पहले बीमार पड़ने पर उनके इन्हीं पड़ोसियों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया, और उनकी मौत के बाद शुक्रवार को उनका दाह संस्कार किया।
पड़ोसियों ने ही किया था पति का भी अंतिम संस्कार
इससे पहले भी सकु बाई के पड़ोसियों ने ही उनके पति का भी अंतिम संस्कार किया था। जब 2002 के गुजरात दंगों के ठीक बाद साम्प्रदायिकता का माहोल था तब भी सकु बाई के पड़ोसियों ने ही हिंदू रीति रिवाज़ के मुताबिक उनके पति का अंतिम संस्कार करके हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की थी।