प्रतीकात्मक तस्वीर
- तीन दिनों में ही डेंगू के 91 मामले सरकारी अस्पतालों में दर्ज हुए
- पिछले साल मुंबई महाराष्ट्र में डेंगू की राजधानी बन गया था
- इस साल सरकार ने डेंगू को अधिसूचित की श्रेणी में डाल दिया
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मुंबई:
मुंबई में मानसून से जुड़ी बीमारियों की बाढ़ आ गई है, तीन दिनों में ही डेंगू के 90 से ज्यादा मरीज अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हुए हैं. इसके अलावा मलेरिया, डेंगू, गैस्ट्रो के मरीज भी अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं.
मुंबई के उपनगरीय चेंबूर इलाके में रहने वाल अनिकेत सकपाल 9वीं में पढ़ता है, तीन दिनों से अस्पताल में भर्ती है. तेज बुखार, सिरदर्द की शिकायत के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, खून की जांच में पता चला वो डेंगू से पीड़ित है. परिजनों का आरोप है इलाके में फैली गंदगी पर प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है.
अनिकेत के पिता आत्माराम नामदेव सकपाल ने कहा, "शुक्रवार को रिपोर्ट आई है, जिससे पता चला कि उसे डेंगू है। हमारे शेल कॉलोनी में कंस्ट्रक्शन का काम चालू है पानी जमा हो जाता है, बीएमसी ध्यान नहीं देती है.' मुंबई महानगरपालिका के आंकड़े बताते हैं तीन दिनों में ही डेंगू के 91 मामले अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में दर्ज हुए हैं. कागज़ में भी वजह बरसात और रुका हुआ पानी है. मलेरिया के 114, गैस्ट्रो के 220 और लेप्टो के 44 मामले आए हैं.
हालांकि कैमरे पर प्रशासन के आंकड़े कम हो गए हैं, वजह तकनीकी है. डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर सुधीर नाइक ने कहा, "23 लोग मलेरिया के भर्ती हैं, 16 डेंगू के लिये संदिग्ध हैं, 10 लेप्टो के मरीज़ हैं, 37 टायफाइड के मामले हैं जबकि हेपटाइटिस के 18 मरीज सरकारी अस्पताल में भर्ती हैं." सरकारी अस्पतालों के अलावा बड़ी तादाद में मरीज़ निजी अस्पतालों में भी भर्ती हो रहे हैं. डॉक्टरों की एक ही सलाह है सावधानी बरतें.
साईं अस्पताल के आरएमओ डॉ. सावेद अंसारी के मुताबिक, "जहां निर्माण कार्य चल रहा है वहां सफाई होनी चाहिये, नालियों में केमिकल का छिड़काव ज़रूरी है, शरीर को ढककर रखें." पिछले साल मुंबई महाराष्ट्र में डेंगू की राजधानी बना था. इस साल सरकार ने इस बीमारी को अधिसूचित की श्रेणी में डाल दिया, यानी सरकारी अधिकारी उन आवासीय परिसरों में प्रवेश कर सकते हैं जहां उन्हें डेंगू के अंडों से प्रजनन का शक हो लेकिन एक बार फिर जिस तरह से ये बीमारी पैर पसार रही है, लगता है ज़मीनी स्तर पर अभी और उपाय करने की जरूरत है.
मुंबई के उपनगरीय चेंबूर इलाके में रहने वाल अनिकेत सकपाल 9वीं में पढ़ता है, तीन दिनों से अस्पताल में भर्ती है. तेज बुखार, सिरदर्द की शिकायत के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, खून की जांच में पता चला वो डेंगू से पीड़ित है. परिजनों का आरोप है इलाके में फैली गंदगी पर प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है.
अनिकेत के पिता आत्माराम नामदेव सकपाल ने कहा, "शुक्रवार को रिपोर्ट आई है, जिससे पता चला कि उसे डेंगू है। हमारे शेल कॉलोनी में कंस्ट्रक्शन का काम चालू है पानी जमा हो जाता है, बीएमसी ध्यान नहीं देती है.' मुंबई महानगरपालिका के आंकड़े बताते हैं तीन दिनों में ही डेंगू के 91 मामले अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में दर्ज हुए हैं. कागज़ में भी वजह बरसात और रुका हुआ पानी है. मलेरिया के 114, गैस्ट्रो के 220 और लेप्टो के 44 मामले आए हैं.
हालांकि कैमरे पर प्रशासन के आंकड़े कम हो गए हैं, वजह तकनीकी है. डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर सुधीर नाइक ने कहा, "23 लोग मलेरिया के भर्ती हैं, 16 डेंगू के लिये संदिग्ध हैं, 10 लेप्टो के मरीज़ हैं, 37 टायफाइड के मामले हैं जबकि हेपटाइटिस के 18 मरीज सरकारी अस्पताल में भर्ती हैं." सरकारी अस्पतालों के अलावा बड़ी तादाद में मरीज़ निजी अस्पतालों में भी भर्ती हो रहे हैं. डॉक्टरों की एक ही सलाह है सावधानी बरतें.
साईं अस्पताल के आरएमओ डॉ. सावेद अंसारी के मुताबिक, "जहां निर्माण कार्य चल रहा है वहां सफाई होनी चाहिये, नालियों में केमिकल का छिड़काव ज़रूरी है, शरीर को ढककर रखें." पिछले साल मुंबई महाराष्ट्र में डेंगू की राजधानी बना था. इस साल सरकार ने इस बीमारी को अधिसूचित की श्रेणी में डाल दिया, यानी सरकारी अधिकारी उन आवासीय परिसरों में प्रवेश कर सकते हैं जहां उन्हें डेंगू के अंडों से प्रजनन का शक हो लेकिन एक बार फिर जिस तरह से ये बीमारी पैर पसार रही है, लगता है ज़मीनी स्तर पर अभी और उपाय करने की जरूरत है.
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