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पुलिस पर पिटाई का आरोप लगाने वाले 2 पत्रकारों की याचिका पर सुनवाई को राजी सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दो पत्रकारों को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने से किया इनकार कर दिया. याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वकील ने पीठ से आग्रह किया कि याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया जाए.

पुलिस पर पिटाई का आरोप लगाने वाले 2 पत्रकारों की याचिका पर सुनवाई को राजी सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने आज मध्य प्रदेश सरकार से उन दो पत्रकारों की याचिका पर जवाब मांगा, जिन्होंने आरोप लगाया है कि रेत माफिया पर रिपोर्टिंग करने के कारण राज्य के एक थाने में उनके साथ मारपीट की गई. जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने पत्रकार शशिकांत गोयल और अमरकांत सिंह चौहान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की और मध्य प्रदेश को नोटिस जारी कर जवाब मांगा.

गिरफ्तारी पर अंतरिम संरक्षण से इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने दो पत्रकारों को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने से किया इनकार कर दिया. याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वकील ने पीठ से आग्रह किया कि याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया जाए. पीठ ने कहा, 'दूसरे पक्ष को जवाब देने दीजिए. राज्य को भी तथ्य पेश करने दीजिए.' उसने याचिका पर नोटिस जारी किया और इसे नौ जून को सुनवाई के लिए लिस्टेड किया. दिल्ली हाई कोर्ट ने 28 मई को चौहान को सुरक्षा प्रदान की थी. उन्होंने दावा किया था कि भिंड के पुलिस अधीक्षक से उनकी जान को खतरा है.

दोनों पत्रकारों ने लगाया क्या आरोप

हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को मध्य प्रदेश निवासी और ‘स्वराज एक्सप्रेस' समाचार चैनल के भिंड ब्यूरो प्रमुख चौहान को दो महीने तक सुरक्षा देने का निर्देश दिया था. पिछले महीने भिंड जिले के तीन पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के अंदर उनके साथ मारपीट की गई या उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया, हालांकि पुलिस अधिकारी ने इस आरोप से इनकार किया था. यूट्यूब चैनल चलाने वाले प्रीतम सिंह राजावत, समाचार पोर्टल चलाने वाले गोयल और एक समाचार चैनल के लिए काम करने वाले चौहान ने जिला कलेक्टर को सौंपी शिकायत में आरोप लगाया कि एक मई को उनके साथ मारपीट की गई.

सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों के वकील से कई सवाल पूछे

  • आपने हमें क्यों नहीं बताया कि आपने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है?
  • क्या हम बिना यह जाने कि आपके खिलाफ क्या आरोप हैं, इस तरह की पूरी सुरक्षा दे सकते हैं?
  • आपने उसी मामले का उल्लेख करते हुए हमारे सामने जो कहानी पेश की है, उसे याचिकाओं की सामग्री से नहीं समझा जा सकता.
  • आपकी जान को खतरा कैसे है?
  • आपको मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जाने से कौन रोकता है?

एक आईपीएस अधिकारी के खिलाफ आरोप लगाना बहुत आसान है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा शीर्ष अदालत ने मामले को अगले सोमवार के लिए सूचीबद्ध किया है और नोटिस जारी किया है. इसने कहा कि वह दूसरे पक्ष को सुने बिना अग्रिम जमानत या अंतरिम संरक्षण नहीं दे सकता.

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