Madhya Pradesh News: लगातार बारिश ने मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत बद से बदतर कर दी है. हाल ही में सामने आए वीडियोज में कई स्टूडेंट को अपने को बारिश के पानी से बचाने के लिए क्लासरूम में छातों के नीचे खुद को छुपाए हुए देखा जा सकता है. छत से टपक रहे पानी से बचने के लिए उन्हें इसके लिए मजबूर होना पड़ा. यह वीडियो राज्य के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की कहानी बयां करते हैं. वीडियो में छात्र फर्श पर बैठे हुए हैं क्योंकि क्लासरूम में न तो कुर्सियां हैं और न ही डेस्क. जर्जर (बिल्डिंग), गंदे (टॉयलेट्स) और अपर्याप्त (टीचिंग स्टाफ) जैसे विशेषण बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल बयां करते हैं. मॉनसून के सीजन में जब बारिश का पानी क्लासरूम में भरने लगता है तो हालात और बिगड़ जाते हैं. कई बार तो सुरक्षित ठिकाने की तलाश में जानवार भी स्कूल परिसर में घुस जाते हैं.
In the government school in Khairi Kalan in Seoni, not only roofs, even the walls of the classroom are damaged. Parents said many students do not attend classes because the school roof leaks during the rainy season pic.twitter.com/83Yvwtbosb
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) July 27, 2022
सिवनी जिले के खैरी कलां के सरकारी स्कूल की न केवल छत बल्कि दीवारें भी खस्ताहाल हैं. पेरेंट्स ने बताया कि कई स्टूडेंट तो इसलिए क्लास अटेंड नहीं करते क्योंकि बारिश के मौसम में छत टपकने लगती है. स्कूल के प्रिंसिपल महेंद्र शर्मा ने एनडीटीवी को बताया, "कुछ दिन पहले दीवार का प्लास्टर फर्श पर गिर गया था और एक स्टूडेंट बाल-बाल बचा था." आदिवासी बहुत डिंडोरी जिले के गोपालपुर हायरसेकेंडरी स्कूल में तो बारिश से बचाव के लिए छत को प्लास्टिक की शीट से ढंकना पड़ता है. यहां करीब 400 छात्र दरकी दीवार वाली स्कूल बिल्डिंग में बैठने को विवश हैं क्योंकि आसपास कोई अन्य हायर सेंकेडरी स्कूल नहीं है.
In tribal-dominated Dindori plastic sheets to protect from rain cover the roof of Gopalpur Higher secondary school. Here, around 400 students are forced to sit inside unsafe buildings with cracked walls as there is no other higher secondary school nearby. pic.twitter.com/tHwq3ckpH9
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) July 27, 2022
और तो और, राजधानी भोपाल में भी कुछ स्कूलों की हालत दयनीय है. रोशनपुरा के सरकारी प्राइमरी स्कूल के कक्षा 1 से 5 तक के स्टूडेंट एक ही कमरे में पढ़ रहे हैं क्योंकि 103 स्टूडेंट्स को बैठाने के लिए स्कूल में पर्याप्त संख्या में कक्षाएं नहीं हैं. इन कक्षाओं के लिए स्कूल में केवल दो टीचर हैं.
Even schools in state capital Bhopal are in a pathetic state. Students of Classes 1 to 5 of a government primary School in Roshanpura are crammed in one room as the school does not have
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) July 27, 2022
enough classrooms to accommodate 103 students. pic.twitter.com/v9V7eTAd8b
इनमें से एक टीचर शबनम खान बताती हैं, "यह एक कम्युनिटी हॉल हैं, सभी पांचों कक्षाएं यहां लगती हैं." पॉश एरिया शाहपुरा के स्कूल में बच्चे खुले तारों और गीली दीवार वाले रूम में बैठ रहे हैं. स्कूल का टॉयलेट गंदा है. यहां के शिक्षक भी आसपास के शरारती तत्वों से परेशान हैं. प्रिंसिपल- इन-चार्ज मधुमती भावलकर बताती हैं, "चौकीदार, चपरासी भी नहीं है. कई बार स्थानीय लोग ताला तोड़ देते हैं. टायलेट गंदें हैं, इसलिए हम इनका इस्तेमाल नहीं करते. " एनडीटीवी ने इस मामले में स्कूली शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं हो सकी. केवल जर्जर भवन ही समस्या नहीं है. राज्य में 21077 स्कूल ऐसे हैं जिनमें केवल एक ही टीचर है. इन 21,077 स्कूलों में से 93 फीसदी ग्रामीण इलाकों में हैं. एलीमेंट्री क्लासेस के नेशनल एजुकेशनल अचीवमेंट सर्वे में मध्य प्रदेश पांचवें स्थान पर है लेकिन यह भी बताया गया है कि राज्य में कक्षा 10 के केवल 27 फीसदी स्टूडेंट ही फार्मूले, इक्वेशन और साइंस के नियम को हल करने में सक्षम हैं.
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