विज्ञापन
This Article is From Jul 06, 2017

मध्य प्रदेश में सड़कर बर्बाद होने के लिए खरीदी गई प्याज, भंडारण की व्यवस्था नहीं

किसान आंदोलन शुरू होने के बाद आनन-फानन में सरकार ने फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला किया

मध्य प्रदेश में सड़कर बर्बाद होने के लिए खरीदी गई प्याज, भंडारण की व्यवस्था नहीं
प्रतीकात्मक फोटो.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
सरकार ने 500 करोड़ खर्च करके खरीदी आठ लाख मीट्रिक टन प्याज
पिछले साल सरकारी खजाने को 100 करोड़ का नुकसान हुआ था
सरकार के लिए मुसीबत बनती जा रही प्याज, बंपर उत्पादन हुआ
भोपाल: मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन शुरू होने के बाद आनन-फानन में सरकार ने कुछ फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला किया, जिसमें प्याज भी शामिल है. लेकिन अब यह प्याज सरकार के लिए मुसीबत बनती जा रहा है. अमूमन सरकारी भंडारों में प्याज के भंडारण की व्यवस्था नहीं होती क्योंकि फल-सब्जी सरकार खरीदती नहीं है. ऐसे में इस बार भी कई टन प्याज खरीद के बाद बर्बाद हो गई.
      
हितौरी के प्यारेलाल के खेतों में इस बार प्याज की बंपर पैदावार हुई. कुछ प्याज अप्रैल में बेच लिया कुछ सरकार के आठ रुपये प्रति किलो प्याज खरीदने के ऐलान के बाद भी बिक गई. फिर भी 7-8 टन प्याज बर्बाद हुई. प्यारेलाल को लगभग 20000 का नुकसान उठाना पड़ा. करौंद मंडी में आए प्यारेलाल ने कहा मेरी प्याज सड़ गई, खराब हो गई, बिकेगी भी नहीं. लेट लाए, नंबर में लगे रहे... कांटे में नंबर पर, लेकिन टोकन नहीं मिल पाया.
      
अकेले भोपाल की करौंद मंडी में ही 8000 टन प्याज सड़ गई. कुछ में अंकुर निकल आए, कई बोरियों में कीड़े लग गए. मंडी में नई पैदावार नहीं आ रही. पुराने में से ठीक-ठाक उपज को छांट-बीनकर अलग रखा जा रहा है.

सरकार की योजना आठ लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदने की थी. खरीद लगभग पूरी भी हो गई. प्याज की खरीद में जुटे मार्कफेड के महाप्रबंधक योगेश जोशी ने कहा लगभग 7, 82,000 एमटी प्याज खरीद लिया है लेकिन सरकार का निर्देश है कि 30 जून तक जिनको टोकन दिया है उनसे प्याज खरीदेंगे.

हालांकि सरकार खुद मानती है कि उसके पास प्याज के भंडारण की व्यवस्था न के बराबर है. कोशिश यही है कि खरीद को जल्द से जल्द बेचा जाए. सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ हितेष वाजपेयी ने माना कि भंडारण की सुविधा नहीं है. इसका कारण, प्याज रेगुलर कमोडिटी नहीं है. शासकीय खरीद नहीं होती थी. हम समझ सकते हैं हमारा नुकसान है. साढ़े तीन लाख डिस्पोज़ किया है, ढाई लाख बिक गया है. अब रेट भी 3-4 रुपये तक मिल रहा है.
      
पिछले साल सरकार ने एक लाख मीट्रिक टन प्याज लगभग सवा सौ करोड़ में खरीदी थी. यह प्याज सड़ गई. इससे सरकारी खजाने को 100 करोड़ का नुकसान हुआ. इस बार आठ लाख मीट्रिक टन प्याज 500 करोड़ खर्च करके खरीदी जा चुकी है. इसमें से लगभग आधी प्याज इस बार भी उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले बर्बाद होगी, यह तय है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे: