भोपाल:
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिये राज्य में जातिगत समीकरणों को साधना मुश्किल होता जा रहा है. पहले दलित सड़कों पर उतरे, जब उन्हें मनाने गये तो सवर्ण खासकर ब्राह्मण सड़क पर आ गये. चुनावों से पहले खुद बीजेपी के कई ब्राह्मण नेता-मंत्री ये कह रहे हैं कि राज्य में उनकी स्थिति ठीक नहीं है. सूत्र कह रहे हैं नाराजगी दूर करने सरकार चुनावी साल में ब्राह्मण कल्याण आयोग बना सकती है. परशुराम जयंती के दिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ब्राह्मणों ने सड़क पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. कुछ दिनों पहले विप्र सम्मेलन में बगैर आरक्षण का नाम लिये, शिवराज के वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगी गोपाल भार्गव आरक्षण पर हमलावर रहे, बाद में सफाई दी. उन्होंने कहा था यदि योग्यता को दरकिनार कर अयोग्य लोगों का चयन किया जाएगा, यदि 90 फीसदी वाले को बैठा दिया जाएगा और 40 फीसदी वाले की नियुक्ति की जाएगी तो यह देश के लिए घातक है.’ हर दल ब्राह्मणों का समर्थन तो चाहता है पर उसे देना कुछ नहीं चाहता. डॉ. हितेष बाजपेई जैसे मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर ब्राह्मण वर्सेस ऑल जैसे लेख लिखे.
17 अप्रैल को ब्राह्मणों की सभा में पहुंचे मुख्यमंत्री को राजधानी भोपाल में ही नारेबाजी के बाद, मंच छोड़कर जाना पड़ा था. उम्मीद थी कि नरोत्तम मिश्रा या राजेन्द्र शुक्ल जैसे ब्राह्मण नेताओं को मध्यप्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी देकर उन्हें साधने की कोशिश होगी, लेकिन राकेश सिंह को बीजेपी अध्यक्ष बनाने से भी ब्राह्मण बिफरे हैं. बीजेपी इसे विपक्ष की फूट डालो शासन करो नीति बता रही है, वहीं कांग्रेस उस शख्स को लेकर बीजेपी को घेर रही है, जिसकी विधायकी चुनाव आयोग रद्द कर चुका है, जिसको लेकर कांग्रेस खासा हमलावर थी.
बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा, 'वो ऐतिहासिक धरती है, जहां एक जिले में बाबासाहेब और भगवान परशुराम का जन्म हुआ, मुझे लगता है ऐसे वैमन्स्य फैलाकर कांग्रेस सत्ता हासिल करना चाहती है, ये पूरी तरह से विपक्ष फूट डालने का काम करके सत्ता में आना चाहता है जनता आने वाले वक्त में माकूल जवाब देगी.'
VIDEO: मध्य प्रदेश: अब CM शिवराज से नाराज हुए ब्राह्मण
वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा, 'ये सरकार ब्राह्मणविरोधी है, नरोत्तम मिश्र सबसे आधार वाले नेता थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने उन्हें अध्यक्ष नहीं बनने दिया क्योंकि वो ब्राह्मण हैं. उस दिन ब्राह्मणों का अपमान हुआ जिस दिन भगवान परशुराम का जन्मदिन था, ऐसे में ब्राह्मण फरसा उठाएगा ही.' मध्यप्रदेश में तकरीबन 10 फीसद ब्राह्मण वोटर हैं, जो 230 विधानसभा सीटों में विंध्य, महाकौशल और चंबल की 65 सीटों में उम्मीदवारों की किस्मत तय करने की ताकत रखते हैं.
17 अप्रैल को ब्राह्मणों की सभा में पहुंचे मुख्यमंत्री को राजधानी भोपाल में ही नारेबाजी के बाद, मंच छोड़कर जाना पड़ा था. उम्मीद थी कि नरोत्तम मिश्रा या राजेन्द्र शुक्ल जैसे ब्राह्मण नेताओं को मध्यप्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी देकर उन्हें साधने की कोशिश होगी, लेकिन राकेश सिंह को बीजेपी अध्यक्ष बनाने से भी ब्राह्मण बिफरे हैं. बीजेपी इसे विपक्ष की फूट डालो शासन करो नीति बता रही है, वहीं कांग्रेस उस शख्स को लेकर बीजेपी को घेर रही है, जिसकी विधायकी चुनाव आयोग रद्द कर चुका है, जिसको लेकर कांग्रेस खासा हमलावर थी.
बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा, 'वो ऐतिहासिक धरती है, जहां एक जिले में बाबासाहेब और भगवान परशुराम का जन्म हुआ, मुझे लगता है ऐसे वैमन्स्य फैलाकर कांग्रेस सत्ता हासिल करना चाहती है, ये पूरी तरह से विपक्ष फूट डालने का काम करके सत्ता में आना चाहता है जनता आने वाले वक्त में माकूल जवाब देगी.'
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वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा, 'ये सरकार ब्राह्मणविरोधी है, नरोत्तम मिश्र सबसे आधार वाले नेता थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने उन्हें अध्यक्ष नहीं बनने दिया क्योंकि वो ब्राह्मण हैं. उस दिन ब्राह्मणों का अपमान हुआ जिस दिन भगवान परशुराम का जन्मदिन था, ऐसे में ब्राह्मण फरसा उठाएगा ही.' मध्यप्रदेश में तकरीबन 10 फीसद ब्राह्मण वोटर हैं, जो 230 विधानसभा सीटों में विंध्य, महाकौशल और चंबल की 65 सीटों में उम्मीदवारों की किस्मत तय करने की ताकत रखते हैं.
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