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This Article is From Oct 01, 2019

गेहूं के लिए 250 रुपये की चोरी से मासूम बच्ची का स्कूल छूट गया, बाल सुधारगृह पहुंची

चक्की पर गेहूं चोरी होने के बाद पिता की नाराजगी की आशंका में डरी 12 साल की लड़की ने मंदिर की दानपेटी से रुपये निकालकर गेंहू खरीदा, सागर जिले के रहली में हुई घटना

गेहूं के लिए 250 रुपये की चोरी से मासूम बच्ची का स्कूल छूट गया, बाल सुधारगृह पहुंची
बाल सुधार गृह भेजी गई 12 साल की बच्ची के पिता और छोटी बहिन व भाई.
भोपाल:

मध्यप्रदेश के सागर जिले की रहली तहसील के टिकीटोरिया मंदिर में हुई चोरी के मामले में पुलिस ने बारह वर्षीय बालिका को गिरफ्तार करके किशोर न्यायालय में पेश किया जहां से उसे बाल सुधार गृह शहडोल भेज दिया गया है. बालिका ने महज दस किलो गेंहू खरीदने के लिए मंदिर की दानपेटी से ढाई सौ रुपये निकाले थे. बालिका के बाल सुधारगृह जाने के उसका आठ वर्षीय भाई और छह वर्षीय बहिन मायूस है, क्योंकि इन तीनों भाई-बहिनों के सर से मां का साया भी उठ चुका है. ऐसे में बहिन की आंखों में ही दोनों छोटे भाई-बहिन को ममता दिखती थी. हालांकि मंदिर की इस चोरी का खुलासा नादान बालिका की नादानी से ही हो सका है, वरना कुछ दिन पहले ही श्रीदेव पंढरीनाथ मंदिर में सेंध लगाने वाले अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.

टिकीटोरिया मंदिर में इसके पहले भी चोरी के मामले सामने आए लेकिन इन चोरों तक पुलिस नहीं पहुंच सकी.
रहली नगर की बाहरी सीमा स्थित साढ़े चार सौ फीट ऊंची पहाड़ी पर विगत शनिवार को दानपेटी से रुपये निकाले चोरी होने का मामला सामने आने पर मंदिर प्रबंधन की रिपोर्ट पर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था. मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के आधार पर पुलिस ने बारह वर्षीय किशोरी से पूछताछ की. किशोरी ने दानपेटी से रुपये निकाले जाना कबूल किया. जब बालिका के पिता ने किशोरी का स्कूल बेग देखा तो उसमें सत्तर रुपये निकले. किशोरी एक सौ अस्सी रुपये व्यय करके दस किलो गेहूं घर लाई थी. किशोरी ने अपने पिता को बताया था कि मंदिर की पेटी का कुंदा जरा सा घुमाने पर पेटी खुल गई जिसमें से उसने सौ रुपये का एक नोट तथा एक सौ पचास रुपये के सिक्के निकाले थे.

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मासूम बच्ची में पिता की नाराजगी का डर इस चोरी का कारण बना. बताया जाता है कि किशोरी गेहूं पिसाने गई थी. आटा चक्की पर उसके दस किलो गेंहू गुम हो गए. घर पहुंचने पर पिता के गुस्से से डरी बच्ची ने यह कहकर मामला टाल दिया कि गेंहू आटा चक्की पर ही रखे हैं. लेकिन सच्चाई सामने आने पर डांट खाने की आशंका में चिंतित बच्ची ने दूसरे दिन गेहूं खरीदने के लिए पैसे जुटाने की सोची और बिना चप्पल पहने मंदिर पहुंच गई. वहां पर उसने मौका देखकर मंदिर की दानपेटी से कुल ढाई सौ रुपये निकाल लिए. इसमें से 180 रुपये के गेहूं खरीदकर बाकी 70 रुपये उसने स्कूल बैग में रख लिए. पुलिस ने जब पूछताछ की तो बच्ची ने सारी कहानी सुना दी.

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कक्षा सातवीं में पढ़ने वाली बारह वर्षीय किशोरी पर भले ही परिवार के भरण-पोषण का जिम्मा न हो लेकिन चार सदस्यीय परिवार के लिए भोजन बनाने का जिम्मा वह तीन साल से निभा रही है. दरअसल तीन साल पहले प्रसव के दौरान किशोरी की मां का निधन हो गया था. इसके बाद उसके पिता पर खाना बनाने का जिम्मा आ गया. आठ वर्षीय भाई और छह वर्षीय बहिन किशोरी से ही खाना मांगते हैं. किशोरी के पिता बताते हैं कि 'सब्जी मैं बनाता हूं. उससे अभी ठीक से रोटी बनाते तो नहीं बनती लेकिन खाने लायक रोटी बना देती है.'

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इस परिवार के आवास में न दरवाजा है, न दीवारें हैं. गरीब परिवार जिस तरह के मकान में रहता है उससे अच्छी जगह तो मवेशियों के रहने की होती है. दस फुट बाई दस फुट की जगह में घासपूस की झोपड़ा बनी हुई है. इसमें किशोरी अपने भाई बहिन और पिता के साथ हंसती खेलती रहती थी. अचानक बदली परिस्थितियों के कारण छोटे भाई बहिन अब अपनी मां समान बड़ी बहिन के दूर होने से मायूस हैं. हालांकि इस परिस्थिति में कई लोगों ने परिवार की मदद करने की बात कही है.

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