बीजपी को बुधवार को उस वक्त करारा झटका लगा जब मध्य प्रदेश विधानसभा में एक विधेयक पर मत विभाजन के दौरान उसके दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने अपना समर्थन मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत सरकार को दे दिया. राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि इन दोनों भाजपा विधायकों के कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने में कमलनाथ (73) के साथ-साथ भोपाल मध्य के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जो कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी के खेमे के हैं. ये दोनों विधायक पूर्व में कांग्रेसी नेता रहे हैं और पिछले साल मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे. भाजपा के इन दोनों विधायकों ने कहा कि यह उनकी 'घर वापसी' है.
नारायण त्रिपाठी बार-बार दल बदलने के लिए जाने जाते हैं. उनका सतना के भाजपा सांसद गणेश सिंह से कुछ महीनों से अनबन चल रही है. इसके अलावा, वह चाहते हैं कि मैहर को जिला बनाया जाए. वह लंबे समय से इस सीट से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. लंबे समय से इलाके के लोग मैहर को नया जिला बनाने की मांग कर रहे हैं, जो विचाराधीन है. वर्तमान में मैहर एक तहसील है और सतना जिले में आता है. वह पहले मध्य प्रदेश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 2008 के विधानसभा चुनावों में नारायण त्रिपाठी मैहर सीट से भाजपा से हार गए थे, लेकिन कांग्रेस के टिकट पर पांच साल बाद यानी 2013 में फिर से जीत गए.
हालांकि, ठीक दो साल बाद नारायण त्रिपाठी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद तत्कालीन सत्तारूढ़ बीजेपी का रुख किया. साल 2016 में, उन्होंने उपचुनावों में फिर से मैहर सीट जीती और उसके बाद बीजेपी के साथ बने रहे. साल 2018 के विधानसभा चुनावों में नारायण त्रिपाठी मैहर से फिर से बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में जीते, लेकिन माना जाता है कि उन्होंने 2019 के आम चुनावों में सतना लोकसभा सीट से तीन बार के बीजेपी सांसद गणेश सिंह के खिलाफ काम किया था. हालांकि, गणेश सिंह ने सतना लोकसभा सीट लगातार चौथी बार भारी अंतर से जीती. कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, नरायण त्रिपाठी कांग्रेस के संपर्क में उसी समय से थे, जब बीजेपी ने साल 2018 में यहां सत्ता खोई. लेकिन कांग्रेस भगवा पार्टी को रोकने के लिए सही अवसर की प्रतीक्षा कर रही थी.
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वहीं, शरद कोल जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर शहडोल जिले के ब्यौहारी सीट से जीत दर्ज की थी, उन्होंने भी बुधवार को विधेयक पर मतदान के दौरान कमलनाथ सरकार का समर्थन किया. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ब्यौहारी सीट से कांग्रेस की टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया. तब वह युवा कांग्रेस के नेता थे. इसलिए विधानसभा चुनाव से ठीक 10 दिन पहले वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये और ब्यौहारी सीट से बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया. वह चुनाव जीत कर विधायक बन गये. कोल को बीजेपी की संस्कृति ठीक नहीं लग रही है और वह सोचते हैं कि उसे पार्टी बाहरी समझते हैं. कोल के पिता जुगलाल कोल भी शहडोल जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं.
बुधवार शाम को पत्रकारों से बात करते हुए दोनों विधायकों ने इसे घर वापसी करार दिया, जबकि मध्य प्रदेश सरकार के खनन मंत्री प्रदीप जायसवाल, जो कमलनाथ सरकार का समर्थन करने वाले चार निर्दलीय विधायकों में से एक हैं, उन्होंने कहा कि कम से कम चार और बीजेपी विधायक जल्द ही कांग्रेस का दामन थामेंगे. इसी बीच, बीजेपी नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने यहां संवाददाताओं को बताया, "खेल कांग्रेस ने शुरू किया, खत्म हम करेंगे." विधानसभा में दंड विधि (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक 2019 पर बसपा विधायक संजीव सिंह द्वारा मांगे गये मत विभाजन के दौरान कुल 122 विधायकों ने सत्तारूढ़ कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया.
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