
मध्यप्रदेश में सरकार बदल गई लेकिन स्कूलों के हालात नहीं बदले. सरकारी स्कूल शिक्षकों की कमी से तो जूझ ही रहे हैं आधारभूत सुविधाओं का भी बड़ा अभाव है. सागर से आई तस्वीरें तो चौंकाने वाली हैं जहां बच्चों के साथ आवार कुत्ते पढ़ने बैठ जाते हैं. कुछ अभिभावकों का तो ये तक आरोप है कि पिछले साल छह बच्चों को कुत्तों ने काट लिया.
स्कूल में 156 बच्चों को पढ़ाने के लिए 6 शिक्षक हैं और एक अतिथि शिक्षक. बाहर से ठीक-ठाक दिख रही स्कूल बिल्डिंग में अंदर जाएं तो दिखेगा कैसे यहां बच्चों के साथ आवारा कुत्ते पढ़ाई भी करते हैं. कभी-कभार उनकी मिड-डे मील की थाली में भी मुंह मार देते हैं.
अधिकारी से लेकर मंत्री तक कह रहे हैं, मामले में जांच कराके कार्रवाई करेंगे. जिला परियोजना समन्वयक एचपी कुर्मी ने कहा मैं बीआरसी को भेजकर प्रतिवेदन बनवाता हूं, कार्रवाई प्रस्तावित करता हूं. वहीं स्कूली शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा मेरी जानकारी में ऐसा कुछ आया नहीं है. जानकारी में आएगा तो अध्ययन करके फैसला लेंगे.
सत्ता से नई-नई विपक्ष में आई बीजेपी इस मामले में सरकार पर तल्ख है. बीजेपी प्रवक्ता तपन भौमिक ने कहा जो तस्वीरें दिखाई हैं उससे ऐसा लगता है कि नई सरकार का किसी की तरफ ध्यान ही नहीं है, जो अपने आप में त्रुटि है. इस वर्ष 72000 टीचरों की भर्ती होनी थी लेकिन सरकार चली गई, अब इनको करना है. अच्छे से स्कूल चलाने चाहिए.
वैसे इस तल्खी से पहले पार्टी अपना रिपोर्ट कार्ड भी कम से कम स्कूली शिक्षा के मामले में देख लेती. मध्य प्रदेश में प्राइमरी और मिडिल स्कूलों की संख्या 1,42,000 है. शिक्षक 2,86,471 हैं, 30,000 पद ख़ाली हैं. हाई स्कूल 6534 हैं, इसमें 58,572 शिक्षक हैं और 70,000 पद ख़ाली हैं.
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ज़ाहिर है ये हालात एक महीने में नहीं बने, इसके लिए 15 साल से सत्ता में बैठी सरकार भी ज़िम्मेदार थी. संसद में पेश रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश में 18000 स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक है. 40 बच्चों पर औसत एक शिक्षक है. पूरे देश में प्राइमरी शिक्षकों की कमी का आंकड़ा 9 लाख के करीब बैठता है लेकिन बच्चे वोटर हैं नहीं सो इनकी चिंता है किसे?
(सागर से राकेश के इनपुट के साथ)
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