मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्वजिय सिंह द्वारा प्रदेश के मंत्रियों को हाल ही में पत्र लिखे जाने और इस पर राज्य के वन मंत्री एवं आदिवासी नेता उमंग सिंघार के पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक शिकायती पत्र लिखे जाने के बाद सत्तारूढ़ दल में अंदरूनी कलह खुल कर सामने आ गई है. वहीं, भाजपा ने आरोप लगाया कि राज्य में पर्दे के पीछे से सरकार चलाई जा रही है. राज्य में 15 बरसों तक विपक्ष में रहने के बाद महज नौ महीने पहले कांग्रेस सत्ता में लौटी है. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि राज्य में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट पैदा हो गया है क्योंकि मुख्यमंत्री तो कमलनाथ हैं लेकिन सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं. सिंघार ने सोनिया को पत्र लिख कर रविवार को आरोप लगाया कि वह (दिग्विजय) खुद को प्रदेश में 'पावर सेंटर' के रूप में स्थापित कर कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं.
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सोनिया को उनके (सिंघार) द्वारा पत्र लिखे जाने के बारे में पूछे जाने पर सिंघार ने 'पीटीआई-भाषा' को सोमवार को बताया, 'हां, मैंने सोनियाजी को पत्र लिखा है. इसमें गलत क्या है.' सिंघार ने पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है, '...मंत्री का अपने मुख्यमंत्री के प्रति उत्तरदायित्व होता है. दिग्विजय सिंह राज्यसभा सदस्य हैं. वह पत्र लिख कर मंत्रियों से ट्रांसफर-पोस्टिंग का हिसाब ले रहे है, जो अनुचित है...' इस बीच, मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा एवं जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा खुल कर दिग्विजय के समर्थन में आए और उन्हें पार्टी का वरिष्ठ नेता बताया.
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उल्लेखनीय है कि वर्मा को मुख्यमंत्री कमलनाथ का करीबी समर्थक माना जाता है, जबकि शर्मा मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय के कट्टर समर्थक हैं. वर्मा ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा, "...दिग्विजय प्रदेश में हमारे सबसे वरिष्ठ नेता हैं। उन्हें (लम्बित कामों को लेकर) हम मंत्रियों को फोन कर सीधे आदेश देना चाहिए.' शर्मा ने दिग्विजय का बचाव करते हुए कहा, 'दिग्विजय सांसद होने के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं. इसलिए उनके द्वारा मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पत्र लिखने में कुछ भी गलत नहीं है. लोग अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर उनके पास आते हैं और वह पत्र लिख कर लोगों की इन समस्याओं को निपटारा करने के लिए कहते हैं.'
गौरतलब है कि दिग्विजय ने प्रदेश सरकार के मंत्रियों को हाल ही में पत्र लिख कर तबादलों और अन्य कार्यो के बारे में लिखे गये उनके पत्रों पर की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी थी. उन्होंने सभी मंत्रियों से मिलने के लिये 31 अगस्त तक समय देने का आग्रह किया था, ताकि वह जान सकें कि उनकी सिफारिशों पर क्या कार्रवाई की गई है. वह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य की कांग्रेस सरकार को आड़े हाथ लेते हुए ट्विटर पर लिखा, 'मध्यप्रदेश में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट पैदा हो गया है. मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं, लेकिन सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं. उनकी (दिग्विजय) चिठ्ठी (मध्यप्रदेश के मंत्रियों को) जा रही है, कौन-कौन से काम हुए...बताओ. क्या मंत्री को धमकाने का अधिकार उनको है? इसलिए कांग्रेस को स्थिति स्पष्ट कर इस संकट को समाप्त करना चाहिए.'
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चौहान ने कहा, 'कांग्रेस हाईकमान को हस्तक्षेप कर यह तय करना चाहिए कि सरकार कौन चलाए. सरकार कोई और चलाए और मुख्यमंत्री पद की शपथ कोई और ले, यह होना नहीं चाहिए. पर्दे के पीछे से सरकार नहीं चलनी चाहिए. सामने से चलनी चाहिए, पारदर्शी तरीके से चलनी चाहिए.' बीजेपी नेता ने कहा, 'कांग्रेस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुख्यमंत्री पद की जिसने शपथ ली है, वही सरकार चलाए...इसलिए कांग्रेस को स्थिति स्पष्ट कर इस संकट को समाप्त करना चाहिए.' प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा, 'बीजेपी शुरू से यह कहती रही है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार में कहने को भले ही एक मुख्यमंत्री हो, लेकिन कई और भी मुख्यमंत्री हैं, जो पर्दे के पीछे से सरकार को चला रहे हैं. मंत्री उमंग सिंघार का स्वीकार करना बीजेपी के इस बयान को मजबूती देती है.'
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