रतलाम के कमेड़ गांव में पिछले हफ्ते बीजेपी के जिस कार्यकर्ता की हत्या की बात सामने आई थी, उसे डीएनए रिपोर्ट ने पूरी तरह से पलट दिया है. पुलिस के मुताबिक शव हिम्मत पाटीदार का था ही नहीं, बल्कि उसके पुराने नौकर मदन मालवीय का था, जिसकी हत्या हिम्मत ने बीमा के 20 लाख रुपये हासिल करने के लिये कर दी और बताया ये गया कि हत्या हिम्मत की हुई है. पुलिस के मुताबिक हिन्दी फिल्मों की स्क्रिप्ट की तरह रची गई इस साजिश का किरदार और निर्देशक दोनों ही हिम्मत पाटीदार है. जांच के बाद रतलाम एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि 23 जनवरी को सुबह साढ़े आठ बजे डॉयल 100 पर फोन के जरिये सूचना मिली थी कि थाना बिलपांक के कमेड़ गांव में 36 साल के हिम्मत पाटीदार की किसी ने हत्या कर दी. शिनाख्त मिटाने के लिये शव का चेहरा भी जला दिया. मामले की जानकारी सबसे पहले हिम्मत के पिता लक्ष्मीनारायण पाटीदार ने अपने बेटे सुरेश को दी फिर पुलिस को बुलाया गया.
घटनास्थल पर एसपी गौरव तिवारी, एएसपी प्रदीप शर्मा के साथ एफएसएल अधिकारी और डॉग स्कवॉयड की टीम भी पहुंच गई. मृतक के भाई सुरेश पाटीदार की रिपोर्ट पर थाना बिलपांक में धारा 302 और 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरु हुई. मामले की जांच के लिये 5 टीमें बनाई गईं. घटनास्थल से एफएसएल की टीम ने मोबाइल, पर्स, आधार कार्ड, एटीएम के अलावा एक पॉकेट डायरी भी बरामद की थी. जिसमें बैंक, उधार और बीमे का ज़िक्र था. घटनास्थल के पास से ही मृतक के जूते, मोटरसाइकिल और खेत में खून से सना एक बेल्ट भी मिला था, जिससे हिम्मत के परिवार ने उसकी पहचान करने का दावा किया.
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पूछताछ में पुलिस को पता लगा था कि गांव का ही मदन मालवीय, जो दो साल पहले हिम्मत के खेत पर काम करता था वो भी 22 जनवरी से गुमशुदा है. पुलिस ने जांच में मदन से जुड़े सुराग भी तलाशने शुरू किये तो घटनास्थल से करीब 500 मीटर दूर सड़क किनारे कुछ कपड़े और एक जोड़ी जूते मिले. जिसमें गीली मिट्टी लगी थी. मदन के पिता ने शिनाख्त में बताया कि ये जूते और कपड़े उसके बेटे के हैं. इसके बाद पुलिस को शक़ हुआ, क्योंकि हिम्मत की मोटरसाइकिल के फुट रेस्ट पर लगी मिट्टी का मैच मदन के जूतों से हो रहा था. पुलिस ने जब हिम्मत के कॉल रिकॉर्ड खंगाले तो पता लगा कि 23 जनवरी की तड़के साढ़े 4 बजे तक उसके मोबाइल का इस्तेमाल हुआ, लेकिन फॉरेंसिक जांच में पता लगा कि फोन से कॉल रिकार्ड, मैसेज, तस्वीरें, वीडियो सब डिलीट कर दिये गये हैं. वहीं, हिम्मत रात में अपने खेत पर मोटर चालू करने जाता था, लेकिन वारदात वाले दिन मोटर चालू ही नहीं हुई. दूसरी तरफ, डायरी में सिर्फ वही बातें लिखी थीं जिससे परिवार को फायदा होता जैसे बीमा, एटीएम पिन, और एफडी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पुलिस को पता लगा कि पहले मृतक का गला घोंटा गया जिससे वो बेहोश हुआ, बाद में किसी धारदार हथियार से गर्दन पर चार बार हमला कर उसे मारा गया और फिर पहचान मिटाने के लिए चेहरे को घास से जला दिया गया.
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क्राइम सीन किया गया क्रियेट
अब पुलिस टीम ने इन सवालों के साथ क्राइम सीन को रिक्रिएट किया, फिर से तस्वीरें ली गईं. दोनों परिवार के लोगों से अलग-अलग बात की गई. मदन के परिवार ने एक अहम सुराग दिया, उनका कहना था शव से मिला अंडरगारमेंट मदन का है. अब पुलिस का शक़ यक़ीन में बदलने लगा, क्योंकि शव के जो कपड़े थे उसमें जैकेट और पैंट की ज़िप खुली हुई थी. अब बस इंतज़ार था डीएनए रिपोर्ट का, जिसके लिये पुलिस ने कपड़े, नाखून और बालों के सैंपल 24 तारीख को ही एफएसएल लैब सागर भेज दिये थे. रिपोर्ट आई तो शक़ यक़ीन में बदल गया क्योंकि शव हिम्मत नहीं, बल्कि मदन का था.
आखिर मदन की हत्या क्यों हुई?
इस सवाल का जवाब रतलाम एसपी गौरव तिवारी ने दिया. उनके मुताबिक मदन हिम्मत पाटीदार के खेत पर पहले मजदूरी का काम करता था. हिम्मत पाटीदार ने 17 दिसम्बर 2018 में अपना 20 लाख रुपये का बीमा भी करवाया था. उसके ऊपर दस लाख रूपये का उधार भी था. इससे बचने के लिये उसने पूरा षडयंत्र रचा और अपनी ही कद काठी और उम्र के मदन मालवीय, जो कि उसके खेत पर काम करता था उसकी हत्या कर दी और पहचान छिपाने के लिये उसके चेहरे को जला दिया.हिम्मत पाटीदार फिलहाल फरार है और पुलिस ने उसकी सूचना देने वाले को 10,000 रुपये का इनाम देने का ऐलान किया है. (इनपुट- साजिद खान, रतलाम)
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