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This Article is From Aug 28, 2019

मध्यप्रदेश में मनरेगा की मजदूरी नहीं मिल रही, भ्रष्टाचार पर सरकार का रुख सख्त

कई जिलों में मजदूरों को तीन महीने से ज्यादा की मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया, अधिकारी कह रहे, बजट की कमी आड़े आ रही

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मध्यप्रदेश में मनरेगा की मजदूरी नहीं मिल रही, भ्रष्टाचार पर सरकार का रुख सख्त
प्रतीकात्मक फोटो.
भोपाल:

मध्यप्रदेश सरकार के लिए लाखों मजदूरों को मनरेगा की मजदूरी देना मुश्किल हो रहा है, करोड़ों की सामग्री का पेमेंट भी अटका हुआ है. कई जिलों में तीन महीने से ज्यादा की मजदूरी रुकी हुई है. अधिकारी कह रहे हैं, बजट की कमी भुगतान के आड़े आ रही है, जिससे काम भी प्रभावित हो रहा है. एक और मामला मनरेगा में भ्रष्टाचार का है, जिससे दूर करने राज्य सरकार अब बड़े अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का मन बना रही है. सरकार कह रही है, कार्रवाई अब सिर्फ सरपंचों पर नहीं अधिकारियों पर भी होगी.

मध्यप्रदेश में सागर ज़िले के रजौआ गांव में दिलीप पाराशर ने कपिल धारा योजना के तहत कुंआ खोदा, मनरेगा में भुगतान होना था महीनों बीत गए, पैसा अटका पड़ा है. उन्होंने कहा कि "दो साल पहले कुंआ खुदा था कपिलधारा में, मैंने कर्जा लेकर काम पूरा करवाया था डेढ़ लाख रुपये का. अब चुकाने में बहुत मुश्किल हो रही है." इसी गांव में ऐसे कई ग्रामीण हैं जिन्हें मनरेगा का भुगतान नहीं हुआ. सरपंच शिवराज कुर्मी कहते हैं "कुंए ही नहीं आठ लाख में चेक डैम बना, सरकार ने उसका भुगतान भी नहीं किया है. चेक डैम बनवाए थे नालों पर, 8.80 लाख के... सामग्री का भी पैसा बकाया है, थोड़ा मजदूरी का भी."

अधिकारी कह रहे हैं, बजट की कमी भुगतान के आड़े आ रही है, जिससे काम भी प्रभावित हो रहा है. जनपद पंचायत सीईओ राहुल पांडेय ने कहा "हमारे पास मोटा मोटी जो हिसाब है उसमें तीन करोड़ 90 लाख प्राप्त नहीं हुआ है, कुछ बजट की समस्या है. मटेरियल का पेमेंट नहीं हुआ तो काम रुक गया है."

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खरगौन जिले में तो कुछ दिनों पहले कई शिकायतें सामने आईं. मनरेगा में ऐसा भ्रष्टाचार हुआ कि मस्टर रोल में मृतकों के नाम चढ़े. बाकायदा उन्हें भुगतान भी हो गया. आश्चर्य यह कि सारी प्रक्रिया ऑनलाइन थी. शिकायत हो गई, लेकिन जिम्मेदार मीडिया के सवालों पर जागने की बात कह रहे हैं. एसडीएम अभिषेक गेहलोत ने कहा "सीएम हेल्पलाइन की हर टीएल बैठक में समीक्षा होती है लेकिन आपने ऐसा विषय बताया है तो कोई विशेष केस मिलेगा, तो पूरी टीम भेजकर जांच करेंगे. जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे."
    
डिंडोरी जिले के जनपद पंचायतों में मुक्तिधाम क्यों बन गए, गांव वालों को पता नहीं.. पौधे रोपे गए जो नष्ट हो चुके हैं. कुल मिलाकर सरकारी पैसे को खर्चने में खूब लापरवाही हुई. अब जनपद सीईओ स्वाति सिंह ने कहा "तीन पंचायतों में से दो में कार्रवाई हुई, सचिव निलंबित हो गया, 15 लाख की रिकवरी भानपुर में की जानी शेष है."

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सरकार कह रही है, कार्रवाई अब सिर्फ सरपंचों पर नहीं अधिकारियों पर भी होगी. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा "जो भी ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार होता है उसमें सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक को भ्रष्ट ठहराया जाता है. हम यह प्रावधान करने जा रहे हैं कि उस जनपद के सीईओ, इंजीनियर या मनरेगा के इंजीनियर हैं, उनके ऊपर भी जिम्मेदारी तय की जाएगी ताकि इसमें कसावट आए."
     
मध्यप्रदेश में मनरेगा में एक बड़ी समस्या केन्द्र की भुगतान में बेरुखी भी है. एक हफ्ते पहले तक राज्य में तीन महीने के पुराने भुगतान वाले सात लाख से ज्यादा मामले अटके थे, जबकि 21 दिन से अधिक का 183 करोड़ का 21636 प्रकरणों का भुगतान अटका पड़ा था. वहीं, 15-21 दिनों की देरी के 193 करोड़ रुपये के 2419 प्रकरण अटके पड़े थे. देरी से हो रहे भुगतान को लेकर कमलेश्वर पटेल ने कहा "मोदीजी ने लोकसभा में कहा था रोजगार गारंटी योजना का हम ढोल बजाते रहेंगे. इससे यह मानसिकता समझ में आती है कि इतनी महत्वाकांक्षी योजना जो यूपीए ने शुरू की थी, इनकी मानसिकता में कमी होने से इस तरह की विसंगतियां सामने आई हैं."

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वहीं बीजेपी कह रही है, राज्य में सरकारी लेट लतीफी की वजह से मध्यप्रदेश में मजदूर परेशान हो रहा है. बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा "मनरेगा के नाम पर रोजगार और जो कंप्लीशन रिपोर्ट लगती हैं, पुराना जो पैसा दिया गया होता है, विस्तृत स्थिति होती है, उससे सरकार पल्ला झाड़ लेती है. अधिकारी कहता है मेरा रोज तबादला हो जाता है, मैं कुछ नहीं दे सकता. ऐसे में कांग्रेस को गुलछर्रे उड़ाने के लिए पैसे नहीं दिए जा सकते. पैसा दिया जाएगा तो उसकी रिपोर्ट ली जाएगी."

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बहरहाल इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक हकीकत यह भी है कि कई महीनों तक काम करने के बावजूद मजदूरों को उनका हक देरी से मिल रहा है. कारोबारियों का पेमेंट अटका पड़ा है.

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